गर्मी का समय था एक बाप अपने बेटे के साथ गधे की रस्सी पकड़े पैदल चला जा रहा था कुछ देर चलकर पिता ने पुत्र को गधे पर बैठा दिया और स्वयं पैदल चल दिया। दो यात्री उधर से निकल रहे थे। पुत्र को घोड़े पर सवार देखकर एक ने कहा-कैसा नालायक बच्चा है जो बाप को पैदल चला रहा है और खुद घोड़े पर बैठा है। यह सुनकर लड़का चुपचाप घोड़े से नीचे उतरा और अपने पिताजी से बोला-बापू, आप बैठिये घोड़े पर। लड़का पैदल चलने लगा। आगे जाने पर कुछ लोग मिले और बोले-कैसा निर्दयी बाप है, जो बच्चे को पैदल चला रहा है और खुद लाट साब बना घोड़े पर बैठा है? इस बात से पिता को धक्का लगा और घोड़े से उतरकर लड़के के साथ पैदल चलने लगा। कुछ और आगे बढ़कर तीसरे प्रकार के लोग मिले और बोले-देखो, कैसे मूर्ख हैं, जो घोड़ा होते हुए भी पैदल चल रहे हैं?
अब पिता ने पुत्र से कहा, चल बेटा, हम दोनों इस पर बैठ जाते हैं। आगे चलकर दोनों ने किसी के इस व्यंग्य को भी सुना, अरे, इस घोड़े को मारने का इरादा है क्या? पिता-पुत्र दोनों घबराकर नीचे उतर आए और एक पेड़ की छांव में बैठकर सोचने लगे कि क्या किया जाए?
पिता ने सारी स्थिति पर गौर करके पुत्र को समझाते हुए बोला बेटा, यहां जो बात एक की नजर में सही है वही दूसरे की नजर में गलत है। जब हम दोनों घोड़े पर बैठे थे, तब दुनिया को एतराज था, लेकिन घोड़े को तो नहीं था, अतः हम दोनों घोड़े पर बैठकर ही चलेंगे। यह मेरे अंदर की आवाज है।
सीख : मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र उसका अन्तर्मन है। यह उसकी अंदरूनी शक्ति है, जो उसे कुछ ईश्वरीय संदेश देती है। महान् वैज्ञानिक थॉमस एडीसन ने कहा है तुम दुनिया की सुनोगे तो बिखर जाओगे, अपने अंदर की सुनोगे तो उबर जाओगे। तो मित्रों अपने मन की सुने और निर्णय लें।
चिराग मीणा