क्याआप स्मार्ट मोबाइल फोन यूज करते हैं? अगर हां, तो क्या आपने मोबाइल में ढेर सारे एप्लीकेशन (ऐप) डाउनलोड कर रखे हैं? अगर अब भी आपका जवाब हां है तो हो सकता है आप गंभीर खतरे मे हों या बहुत जल्द फंसने वाले हों। साइबर क्राइम विशेषज्ञों के अनुसार मोबाइल ऐप न केवल हमारी सुरक्षा बल्कि गोपनीयता में भी सेंध लगा रहे हैं।
साइबर क्राइम विशेषज्ञों के अनुसार इंटरनेट पर यूजर्स तभी तक सुरक्षित हैं, जब तक वह सजग हैं। मोबाइल एप्स बड़ी आसानी से यूजर्स से उनका डाटा एकत्र करने की अनुमति ले लेती हैं। इस तरह के एप्स आपके मोबाइल की हर गतिविधि पर पूरी नजर रखते हैं और आपको बिना बताए किसी भी डाटा का अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर लेते हैं। इन एप्स को आपकी पल-पल की गतिविधि की जानकारी होती है। आप कहां जा रहे हैं? आप किसे फोन या मैसेज कर रहे हैं? आप मोबाइल पर क्या देख या कर रहे हैं?
ऐसे करे ऐप को दी गई अनुमति का रिव्यू
डाटा चोरी से बचने के लिए आपको ऐप डाउनलोड करते वक्त ही सावधान रहना चाहिए। आप मोबाइल में पहले से डाउनलोडेड एप को दी गई अनुमति का भी रिव्यू कर सकते हैं। इसके लिए आपको फोन की सेटिंग में जाकर। ।चचे या ।चचे – छवजपपिबंजपवदे देखें। यहां मोबाइल में मौजूद सभी ऐप की लिस्ट दिख जाएगी। इसके बाद किसी भी ऐप को क्लिक कर च्मतउपेपवदे का रिव्यू या बदलाव कर सकते हैं।
सुनिश्चित करें मोबाइल की सुरक्षा
1. मोबाइल ऐप्स को सुरक्षित करने के साथ ही मोबाइल को भी सुरक्षित रखना बेहद जरूरी होता है। इसके लिए सबसे पहला और जरूरी कदम है कि मोबाइल फोन को मजबूत पासवर्ड से लॉक रखें। जन्मदिन या मोबाइल नंबर को पासवर्ड न बनाएं। पासवर्ड में स्पेशल कैरेक्टर्स का जरूर इस्तेमाल करें।
2. मोबाइल को मजबूत पासवर्ड रखने के अलावा प्रत्येक महीने अपडेट भी करते रहें। हर बार नया पासवर्ड बनाएं और प्रत्येक बार स्पेशल कैरेक्टर्स का इस्तेमाल जरूर करें।
3. ईमेल आईडी या सोशल मीडिया अकाउंट में ड्यूल सिक्योरिटी का विकल्प चुनें। इससे आपको लॉग इन करते वक्त यूजर आईडी व पासवर्ड के साथ ही एक ओटीपी भी डालना होगा, जो संबंधित मोबाइल या इमेल पर प्राप्त होगा। इससे उस अकाउंट को हैक करना और मुश्किल हो जाएगा।
4. ईमेल या सोशल मीडिया पर आने वाले अनचाहे मेल व मैसेज को न खोलें। इन मेल या लिंक में वायरस हो सकता है, जिसकी मदद से हैकर आपका पूरा सिस्टम या संबंधित अकाउंट हैक कर सकता है। इस तरह के मेल य लिंक में अक्सर लालच देकर फंसाने का प्रयास किया जाता है।
5. किसी अनजान सिस्टम या ऐसे सिस्टम पर अपना अकाउंट लॉगइन करने से बचें जिसे कई लोग यूज करते हैं। साइबर कैफे में भी ईमेल या सोशल मीडिया अकाउंट खोलते वक्त प्राइवेट ब्राउजिंग का सहारा लें। क्रोम ब्राउजर में प्दबवहदपजव च्तपअंजम ठतवूपदह मोड का इस्तेमाल करें।
6. आजकल प्रमुख मार्केट, रेलवे स्टेशनों और एयरपोर्ट सहित तमाम सार्वजनिक जगहों पर फ्री वाईफाई की सुविधा भी उपलब्ध रहती है। इन वाईफाई का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। इससे संबंधित सिस्टम के हैक होने का खतरा बढ़ जाता है।
7. मोबाइल का ब्लूटूथ तभी ऑन करें, जब उसकी जरूरत हो। हमेशा ब्लूटूथ ऑन होने से मोबाइल हैक हो सकता है या उसमें मौजूद गोपनीय डाटा चोरी हो सकता है।
8. किसी कंप्यूटर या फोन से सीधे ऐप ट्रांसफर न करें। इसे साइड लोडिंग कहते हैं। इससे भी आपके डिवाइस में वायरस के हमले का खतरा बढ़ जाता है। ऐप स्टोर से ही ऐप डाउनलोड करें।
9. अपना मोबाइल स्थाई तौर पर किसी को देने या बेचने से पहले उसे फैक्ट्री रीसेट कर दें। हार्डबूट करना और बेहतर विकल्प है। हार्डबूट करने के लिए सेटिंग मे जाकर बैकअप एंड रीसेट (ठंबानच – त्मेमज) विकल्प चुनें। यहां फैक्ट्री डाटा रीसेट (थ्ंबजवतल क्ंजं त्मेमज) पर क्लिक करें। इसके बाद आप वो फोन किसी को दे सकते हैं।
दशरथ पुजारी