एक बहेलिया जंगल में पक्षियों को पकड़ने के लिए गया और पक्षियों को पकड़ने के लिए अपने जाल फैलाकर उस पर चावल के दाने बिखेर कर जंगल की झाड़ियो में छुप गया। इतने में झुण्ड में जाते हुए कबूतरों को जंगल में चावल के दाने दिखे तो उन सभी के मुह में पानी भर आया और चावल के दाने चुगने के लिए सभी नीचे उतरे। उनमे मौजूद एक बुद्धिमान कबूतर को कुछ शक हुआ की भला जंगल में ऐसे चावल के दाने कहाँ से आ गये। हो न हो इसमें कोई धोखा हो सकता है।
उसके मना करने के बावजूद सभी कबूतर दाना चुगने लगे और इस तरह सभी कबूतर शिकारी द्वारा फैलाये जाल में फँस गये । सभी उड़ने की कोशिश करने लगे लेकिन वे सभी असफल रहे । बुद्धिमान कबूतर बोला दोस्तों अगर हम सभी एक साथ पूरी शक्ति लगाकर उड़ें तो निश्चित ही हम सभी इस जाल को लेकर उड़ सकते हैं।
इसके बाद उन कबूतरों ने एक साथ पूरी ताकत से उड़ने लगे जिससे वे फसे हुए जाल को लेकर उड़ने लगे लेकिन पास में छिपा बहेलिया भी उनके पीछे दौड़ा लेकिन कबूतरों की एकता की शक्ति के पीछे वह असफल रहा और उन कबूतरों को पकड़ नही पाया ।फिर उन कबूतरों ने अपने मित्र मूषकराज के पास पहुँचे। जाल काटने के बाद एक बार फिर से आजाद हो गये। इस प्रकार उनकी
एकता की ताकत ने उन्हें बहेलिया के कैद में होने से बचा लिया।
कहानी से शिक्षा
”अगर हम सब एक साथ मिलकर रहें तो हमारी एकता की ताकत से हम बड़ी से बड़ी मुसीबत का सामना आसानी से कर सकते है।’’
याज्ञिक शर्मा