भारतीय उपमहाद्वीप में स्विट्जऱलैंड, आइसलैंड जैसा ही एक पर्यटन स्थल है लेह-लद्दाख। केन्द्रशासित प्रदेश लद्दाख रोमांचक पर्यटन के लिए मशहूर है। लद्दाख का नाम सुनते ही हमारे सामने पहाड़ी परिदृश्यल, ठंडे रेगिस्तांन, ऊंचे पर्वत और बर्फ याद आ जाती है।
जैसे कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहा जाता है, वैसे ही लेह लद्दाख भी किसी स्वर्ग से काम नहीं है। बर्फीली घाटियों से ढंके पहाड़, हरियाली चुनर, भूरे, बंजर, पत्थरों से पटी विशाल पर्वत श्रृंखलाएं, हजारों फीट की ऊंचाई वाले पर्वतों के बीच बेहद खूबसूरत घाटियां, कल-कल बहते ठंडे पहाड़ी झरने, कांच की तरह साफ व मटमैली भी दोनों तरह की नदियां, किसी रेगिस्तान की तरह बिछी रेत, पठार और उस पठार में खूबसूरत झील, ये सब नज़ारे आपको लद्दाख में आसानी से देखने को मिल जायेंगे।
पैंगाॅन्ग त्सो
लद्दाख की सबसे प्रसिद्ध झील पैंगॉन्ग है जो लेह से करीब २५० किलोमीटर दूर है। यह दुनिया की सबसे ऊंची नमकीन पानी वाली झील (Salt Lake) है। इस झील का सिर्फ एक तिहाई हिस्सा ही भारत में है जबकि बाकी का हिस्सा तिब्बत में आता है। यह खूबसूरत झील समुद्र तल से १४ हजार २७० फीट की ऊंचाई पर है। इस झील की खासियत यह है कि जैसे-जैसे इस पर सूर्य की रोशनी पड़ती है इसका रंग बदलता रहता है।
त्सो मोरीरी
मोरीरी त्सो या मोरीरी लेक चैंगथैंग एरिया में समुद्र तल से १५ हजार ७५ फीट की ऊंचाई पर स्थित है। मोरीरी, भारत के हिमालय क्षेत्र में पायी जाने वाले सबसे ऊंची झीलों में एक है। इस झील की लंबाई १९ किलोमीटर और चौड़ाई ७ किलोमीटर है। बर्ड वॉचिंग यहां की एक फेमस एक्टिविटी है क्योंकि करीब ३४ प्रजाति की बर्ड्स यहां आती हैं। लेह से इस झील की दूरी २४० किलोमीटर है।
त्सो कार
इस झील को ट्विन लेक यानी जुड़वा झील भी कहा जा सकता है 1योंकि इस झील के पश्चिमी हिस्से में नमकीन पानी और पूर्वी हिस्से में ताजा पानी आता है। दक्षिणी लद्दाख स्थित इस सॉल्ट लेक के साइज और गहराई में अंतर पाया जाता है। गर्मियों में इस लेक के आसपास का तापमान ३० डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है जबकि सर्दियों में -४० डिग्री सेल्सियस तक। लेह से इस झील की दूरी १६० किलोमीटर है।
यरब त्सो
लद्दाख के सभी खूबसूरत झीलों में से एक है यरब त्सो जो नुब्रा वैली के पनामिक गांव में स्थित है और अगर आप लेह-लद्दाख जा रहे हैं तो इस लेक तक घूमने जाना न भूलें। यरब त्सो के आसपास स्थित शांति और हवा में मौजूद खुशबू आपको अपनी ओर आकर्षित करेगी। लेह से इस लेक की दूरी १८० किलोमीटर है।
शांति स्तूप
शांति स्तूपप लेह से पांच किमी दूर चंस्पास में स्थित हैं। विश्व में शांति और समृद्धि का प्रसार करने के अलावा ये स्तूप बौद्ध धर्म के २५०० वर्षों का भी प्रतीक है। ये स्तूप जापान और लेह के बीच शांति समझौते का भी प्रतीक है। बौद्ध धर्म को समर्पित ये स्तूप पूरी तरह से सफेद है। शांति स्तू प को बनाने का विचार जापानी भिक्षु निचिदात्सु फुजी का था।
१९९१ में ऊंची पहाड़ी पर निर्मित इस स्तू्प से लेह का मनोरम नज़ारा देखने को मिलता है। लेह आने वाले लोग इस स्तूप को जरूर देखने आते हैं। इस जगह से लेह शहर का पूरा दृश्य दिखाई देता है। स्तूप के आधार पर वर्तमान दलाई लामा की तस्वीर लगी हुई है और बुद्ध की कुछ कलाकृतियां बनी हुईं हैं। बुद्ध की मुख्य प्रतिमा धर्म का चक्र अर्थात् धर्मचक्र चलाते हुए बनी हुई है।
जांस्कर घाटी
यह वेली लद्दाख की सबसे बेहतरीन जगहों पर एक है। यह जगह हिमालय रेंज में पड़ती है। यह घाटी चारों ओर से पहाडिय़ों और बर्फ से ढंकी है। जहां पर आपको एक अलग ही सुकून मिलेगा। यहां पर घूमने का सबसे अच्छा समय जून से सितबंर तक है। इस मौसम में बर्फ साफ होती है।
मैग्नेटिक हिल
लद्दाख की बेस्ट जगह इस पहाड़ी को भी माना जाता है। यहां पर आपको साइंस का अच्छा नमूना देखने को मिल जाएगा। जिसके बारे में जानकर विज्ञान भी हैरान है। अगर आप इस पहाड़ी के अपनी बाइक को न्यूट्रल कर छोड़ देंगे तो वह अपने आप धीरे-धीरे चलने लगेगी।
खारदुंग ला पास
खारदुंग ला पास को लद्दाख क्षेत्र में नुब्रा और श्योक घाटियों के प्रवेश द्वार के रूप में जाना जाता है। यह सियाचिन ग्लेशियर में महत्वपूर्ण स्ट्रेटेजिक पास है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता, हवा यह महसूस करवाती है जैसे कि आप दुनिया के शीर्ष पर हैं।
नुब्रा वैली
नुब्रा एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। लेह शहर से लगभग १५० किमी की दूरी पर स्थित, घाटी रिओ श्योक और सियाचिन नामक नदियों के संगम पर स्थित है। इस आश्चर्यजनक घाटी को Tri-Arm Valley के नाम से भी जाना जाता है। ठंडे रेगिस्तान को चिन्हित करते हुए, लहराते हुए रेत के टीलों के साथ, यहां दो कूबड़ों वाले अद्वितीय बैक्ट्रियन ऊंटों को देखा जा सकता है। इस घाटी में प्रसिद्ध पश्मीना बकरी का निवास भी है।
धर्मेश व्यास