इंसान जो करना चाहे अगर उसे वह ठान ले तो उसे पूरा करने से कोई नहीं
रोक सकता । ऐसी ही एक मिसाल कायम की है ओडीशा के दाईत्री नाइक ने ।
बिहार के माउंटेन मैन के नाम से जाने जाने वाले दशरथ मांझी को कौन नहीं जानता होगा, हथौड़े और छेनी की मदद से पहाड़ को तोडकर अपने गांव तक रास्ता बनाना आसान काम नहीं था। लेकिन उनकी जिद ने उन्हें इस काम में सफलता दिलाई, और वो कई लोगों के लिए मिसाल बन गए। लेकिन जिस व्यक्ति की हम चर्चा कर रहे हैं उन्होंने शायद दशरथ मांझी के बारे में सुना भी ना हो। ये व्यक्ति हैं ओड़ीशा के दाईत्री नाइक।
गांव में पानी का नहीं था कोई इंतजाम
ओड़ीशा के रहने वाले दाईत्री नायक 70 साल के हैं, यानी वो उम्र जिस उम्र में लोग कुछ खास करने के बारे में सोच भी नहीं पाते । लेकिन जरूरत ने दाईत्री नाइक से वो करवा दिया, जिसने उन्हें इस उम्र में सबके लिए मिसाल बना दिया। उनके गांव में पानी के लिए कोई इंतजाम नहीं था।
एक किमी. लंबी नहर खोदी
दाईत्री नाइक की एक सोच ने गांव के सैंकड़ों लोगों की समस्या का हल निकाल दिया। सालों से पानी की कमी से जूझ रहे लोगों की बड़ी मुश्किल को हल कर दिया। तीन साल की कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने पहाड़ तोडकर गांव तक नहर लाने में सफलता हासिल की।
बारिश के पानी पर निर्भर थे लोग
70 साल के दाईत्री नाइक ओड़ीशा के केन्दुझर जिले के हैं। यहां बांसपाल, तेलकोई और हरिचंदपुर ब्लॉक में सिंचाई के लिए कोई इंतजाम नहीं था। प्रशासन की ओर से कोई भी पहल नहीं की जा रही थी। ऐसे में खेती के लिए लोगों को बारिश के पानी पर ही निर्भर रहना पड़ता था। रोजमर्रा के काम के लिए भी लोग मजबूरन तालाब के गंदे पानी का ही इस्तेमाल कर रहे थे।
दाईत्री ओर उनके पूरे परिवार की मेहनत
अब कैनाल मैन के नाम से जाने जाने वाले दाईत्री के मुताबिक ”मैंने अपने परिवार के साथ नहर बनाने का काम शुरू किया। पानी के इंतजाम के लिए मैंने तीन साल तक पहाड़ों को तोड़ा और खुदाई की। मेरे परिवार वालों ने पत्थर हटाने में मेरी मदद की। नहर खुदने के बाद गांव में पानी लाया जा सका है।’’