अयोध्या नाम में अकार, यकार और धकार को क्रमशः ब्रह्मा, विष्णु और शिव का वाचक माना जाता है। इनके किले, टीले और सरोवर पुराणों में दर्ज हैं, यहां के प्रतापी राजा पूजित हुए। 491 वर्ष पुराने विवाद का पटाक्षेप मंदिर के रुप में सुबह की ताजगी के एहसास से भर देता है। सुप्रीम कोर्ट से अब जब सबसे बड़े और लंबे मुकदमे का फैसला आ चुका है तो यहां यह जानना भी दिलचस्प है कि रामजन्मभूमि पर पांच सदी के बाद जो मंदिर बनेगा, वह कैसा होगा? अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हो चुका है। कोर्ट ने सरकार को तीन महीने के अंदर मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने का भी आदेश दिया हैं। ऐसे में अब हर तरफ यही चर्चा है कि रामलला का 27 वर्ष से चला आ रहा ‘टेंटवास’ कब समाप्त होगा? मंदिर का निर्माण कब शुरू होगा, मंदिर कैसा होगा?
लगभग 30 साल पहले राम मंदिर का मॉडल पेश करने वाले आर्किटेक्ट चंद्रकांत भाई सोमपुरा की मानें तो यह मंदिर दुनिया के सबसे भव्य मंदिरों में से एक होगा। गुजरात के रहने वाले चंद्रकांत सोमपुरा का परिवार पीढ़ियों से मंदिर डिजाइन कर रहा है। उन्हीं के परिवार ने सोमनाथ मंदिर डिजाइन किया था। वहीं, लंदन में स्वामी नारायण मंदिर केवल दो साल में तैयार करवाया गया था। श्री चंद्रकांत के मुताबिक उन्होंने छह महीने में छह किस्म के डिजाइन पर काम करते हुए राम मंदिर का नागर शैली मॉडल तैयार किया था। भारत में नागर, द्रविड़ और बैसर शैली में मंदिर का निर्माण होता है। उत्तर भारत में नागर शैली प्रसिद्ध है। मंदिर के लिए 50 फीसदी काम पूरा हो चुका है, इसके गुम्बद को अभी डिजाइन किया जा रहा है।
अयोध्या के राम जन्मभूमि विवाद से जुड़े मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है। कोर्ट ने विवादित 2.77 एकड़ जमीन राम लला विराजमान को सौंप दिया है। जिसके बाद से यहां राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया तेज हो गई है। राम मंदिर का मॉडल देश के जान माने मंदिर आर्किटेक्ट चंद्रकांत भाई सोमपुरा ने तैयार किया है। राम मंदिर का मॉडल अयोध्या में कारसेवकपुरम् में रखा गया है। लाखों कारसेवकों एवं करोड़ों राम भक्तों का विश्वास है कि इसी मॉडल के अनुरूप ही प्रस्तावित राम मंदिर का निर्माण किया जाएगा।
राम मंदिर निर्माण के लिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अब इसके स्थापत्य को लेकर उत्सुकताएं जगी हैं। इसकी तैयारियां 90 के दशक यानी करीब 30 साल पहले ही आर्किटेक्ट चंद्रकांत भाई ने शुरू कर दी थी। उन्होंने ऐसा विश्व हिंदू परिषद के अशोक सिंघल के मार्गदर्शन किया था। चंद्रकांत भाई के अनुसार अयोध्या में भव्य राम मंदिर 106 खंभे वाला दो मंजिला मंदिर होगा। जिसके गर्भगृह में प्रभुराम विराजमान होंगे। उनका दावा है कि निर्माण के लिए अगर 2000 कारीगर लगाए जाते हैं तो इसे ढाई से तीन साल में पूरा बनाया जा सकता है। निर्माण के लिए करीब 100 करोड़ रुपये के खर्च का आकलन किया गया है।
अहमदाबाद के चंद्रकांत भाई का संबंध एक ऐसे परिवार से है, जिन्हें पारंपरिक भारतीय नागर शैली के मंदिरों के डिजाइन बनाने में महारत हासिल है। गुजरात के विख्यात सोमनाथ मंदिर के आर्किटेक्ट उनके दादा प्रभाशंकर सोमपुरा थे। चंद्रकांत भाई के पिता भी देश के जाने माने आर्किटेक्ट रहे हैं। उन्होंने ही उत्तराखंड के बद्रीनाथ मंदिर के मरम्मत का कार्य किया था। चंद्रकांत भाई के परिवार की तीसरी और चौथी पीढ़ी देश के प्रसिद्ध मंदिरों के निर्माण में अपना योगदान दे रही है।
27 साल से टेंट में हैं रामलला
विवाद के चलते सन् 1992 से ही रामलला कड़ी सुरक्षा घेरे के बीच टेंट में हैं। चारों तरफ से 80 फीट लंबे, 40 फीट चौड़े, 16 फीट ऊंचे कंटीले बाड़ हैं। 27 साल से राम जन्म भूमि की यही संरचना है। सन् 1993 में सुप्रीम कोर्ट से पूजा की अनुमति तो मिल गई, सादगी से पूजा भी शुरू हो गई, लेकिन टेंट में लगा तिरपाल फटने पर उसे बदलने के लिए कोर्ट के चक्कर काटने पड़ते है। 1992 के बाद सन् 2004 में पहली बार तिरपाल बदला गया था। वह भी कोर्ट का चक्कर काटने के बाद। इसके बाद सन 2015 में दूसरी बार तिरपाल बदला गया था।
दर्शन के अस्थायी इंतजाम पर सरकार कर रही विचार
प्रभु श्री राम के दर्शन को पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को दूर से ही बाड़ के बीच सुरक्षा घेरे में टेंट के दर्शन कर वापस लौटना पड़ता है। अब जबकि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है, उत्तर प्रदेश की योगी सरकार रामलला के प्रत्यक्ष दर्शन की अस्थायी व्यवस्था करने पर विचार कर रही है।
मंदिर निर्माण की शैलियों का विकास
गौरतलब है कि भारत में मंदिर निर्माण कला विश्व की प्राचीन सभ्यताओं की समकालीन है। भारत में भौगोलिक और सांस्कृतिक प्रभावों के अनुरूप मंदिरों के निर्माण से संबंधित दो मूल स्थापत्य शैलियों का विकास हुआ हैं। इसके साथ ही इन दोनों शैलियों से प्रभावित एक तीसरी बेसर शैली का भी मध्य भारत में विकास हुआ है। इन दोनों प्रमुख शैलियों नागर और द्रविड़ का प्रभाव पूरे देश के मंदिरों के निर्माण में देखा जा सकता है। नागर शैली जहां उत्तर भारत के मंदिर निर्माण में इस्तेमाल हुआ है, तो वहीं दक्षिण भारत में द्रविड़ शैली में मंदिरों का निर्माण किया गया।
मंदिर निर्माण की शैलियों का विकास पीढ़ी दर पीढ़ी हुआ
उपरोक्त दोनों ही मंदिर निर्माण शैलियों से जुड़े कारीगर और आर्किटेक्ट समुदायों ने अपनी संबंधित शैलियों का पीढ़ी दर पीढ़ी विकास किया है। उत्तर भारत में सोमपुरा परिवार नागर शैली के मंदिरों के निर्माण और डिजाइन से जुडा हुआ है। अधिकांश सोमपुरा परिवार मंदिरों के निर्माण के व्यवसाय से जुड़े हुए है।
नागर शैली की धरोहर है सोमपुरा परिवार
पद्मश्री पी. ओ. सोमपुरा की विरासत नागर शैली की धरोहर साबित हुआ है। जिसको उनके बेटे और शिष्यों द्वारा आगे बढ़ाया जा रहा है। चंद्रकांत भाई इसी प्रसिद्ध परिवार की तीसरी पीढ़ी है। साथ ही उनके बाद की चौथी पीढ़ी भी देश के प्रसिद्ध मंदिरों के निर्माण में अपना योगदान दे रही है।
चंद्रकांत सोमपुरा को 1997 में सर्वश्रेष्ठ आर्किटेक्ट घोषित किया गया था। उनके द्वारा लंदन में निर्मित अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण मंदिर को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया है। सोमपुरा परिवार ने गांधीनगर के अक्षरधाम मंदिर के साथ-साथ सिंगापुर, पिट्सबर्ग और अमेरिका में मंदिर निर्माण की कई परियोजनाओं में शामिल रहा है।
ऐसा होगा रामलला का भव्य मंदिर –
चंद्रकांत द्वारा तैयार किए गए मॉडल को अयोध्या के कारसेवकपुरम् में रखा गया है। बताया जा रहा है कि इसी मॉडल के अनुरूप ही प्रस्तावित राम मंदिर का निर्माण किया जाएगा। चंद्रकांत भाई कहते हैं कि यह 212 स्तंभ वाला दो तल का मंदिर होगा।
इसका गर्भगृह सोमनाथ मंदिर से भी बड़ा होगा, जिसमें प्रभुराम विराजमान होंगे। ऊपरी मंजिल पर राम दरबार होगा।
मंदिर की कुल लंबाई 270 फीट, चौड़ाई 140 फीट, उंचाई 128 फीट होगी। इसका आकार 2.75 लाख घन मीटर होगा।
इसे बनाने के लिए स्टील का नहीं, बल्कि पारंपरिक विधि का इस्तेमाल होगा।
330 बीम होगी, 106 खंभे नीचे और 106 खंभे ऊपरी मंजिल पर लगेंगे।
पांच प्रवेशद्वार-सिंहद्वार, नृत्यमंडप, रंग मंडप, पूजा-कक्ष और गर्भगृह होंगे।
मंदिर आधार से शिखर तक चार कोण का और गर्भ गृह आठ कोण का होगा, परिक्रमा वृत्ताकार होगी।
कुल 24 दरवाजे लगेंगे, जिनकी चौखटें संगमरमर से बनी होगी।
मंदिर का मुख्य गेट मकराना के सफेद संगमरमर से बनेगा।
मंदिर के जिस कक्ष में राम लला विराजमान होंगे, उस गर्भगृह से ठीक ऊपर 16 फीट 3 इंच का प्रकोष्ठ होगा। इसी प्रकोष्ठ पर 65 फीट 3 इंच ऊँचा शिखर बनाया जाएगा।
करीब सवा दो लाख घन फुट लाल पत्थरों से मंदिर बनेगा। जिसे बनाने में करीब 3 साल लगेंगे।
नागर और द्रविड़ शैली का प्रभाव यहां देखने को मिलेगा।
निर्माण में नहीं होगा लोहे का इस्तेमाल
राम मंदिर के निर्माण में लोहे का इस्तेमाल नहीं होगा। इसकी वजह स्थापत्य को पत्थरों के जरिए मंदिर को मजबूती देना बताई जाती है। वहीं, भगवान राम की प्रतिमा के साथ-साथ राम दरबार का निर्माण होगा। मुख्य मंदिर में सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और भगवान गणेश की प्रतिमाएं भी उनके इर्द-गिर्द होंगी।
भूतल पर ही विराजमान होगी रामलला की मूर्ति
राम मंदिर में पांच प्रवेशद्वार (सिंहद्वार, नृत्यमंडप, रंग मंडप, पूजा-कक्ष, और गर्भगृह) होंगे। रामलला की मूर्ति भूतल पर ही विराजमान होगी। पूरे मंदिर के निर्माण में करीब 1.75 लाख घन फुट पत्थर की आवश्यकता होगी। पत्थर का काम 1990 में ही शुरू हो चुका था, इसलिए इसमें बहुत सारा काम पहले ही हो चुका है, फिर भी काफी कुछ करना बाकी है।
तिरुपति जैसा शहर बनेगी अयोध्या
अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब अयोध्या के विकास के लिए उत्तर प्रदेश शासन द्वारा मेगा वर्क प्लान तैयार हो रहा है। इसमें सरयू नदी पर क्रूज (पानी का छोटा जहाज) चलाना भी शामिल है। मगर अयोध्या को तिरुपति जैसा शहर बनाने में कम से कम चार साल का समय लगेगा।
इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनेगा
अयोध्या में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाने की भी योजना है। जहां से संभवतः अप्रेल 2020 में राम नवमी पर पहली उड़ान भरी जा सकेगी। अयोध्या में रेलवे स्टेशन का विस्तार किया जाएगा, जिसमें 100 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। अयोध्या से फैजाबाद के बीच 5 किलोमीटर का फ्लाईओवर बनेगा। सरयू नदी के किनारे भगवान राम की 251 मीटर की विश्व की सबसे बड़ी मूर्ति बनेगी। दिसंबर से 5 पांच सितारा होटल का काम भी शुरू हो जायेगा। दिसंबर में ही 10 बड़े रिजॉर्ट के निर्माण का काम भी शुरू होगा।
100 एकड़ में बनेगी राम प्रतिमा
अयोध्या में सरयू नदी के किनारे लगभग 100 एकड़ में पूरा इलाके का कायाकल्प किया जाएगा। 251 मीटर ऊंची भगवान श्रीराम की मूर्ति बनाई जाएगी। यह विश्व की सबसे बड़ी मूर्ति होगी। इसमें 20 मीटर ऊंचा चक्र भी होगा। मूर्ति के नीचे 50 मीटर का बेस होगा। भगवान श्रीराम के हाथ में धनुष, तीर और तरकश होगा। अयोध्या में 10 श्रीराम द्वार बनाये जाएंगे।
म्यूजियम भी बनेगा
50 मीटर ऊंचे बेस-पेडस्टल के नीचे ही भव्य और आधुनिक म्यूजियम बनाया जाएगा, जिसमें भगवान श्रीराम के जीवन से जुड़ी चीजों को रखा जाएगा। यही नहीं इस म्यूजियम में अयोध्या का इतिहास और इक्ष्वाकु वंश के राजा मनु से लेकर श्रीराम जन्म भूमि तक का इतिहास होगा। आधुनिक तकनीक के माध्यम से इस म्यूजियम में भगवान विष्णु के सभी अवतारों को भी दिखाया जाएगा।
राम मंदिर परिसर की प्रस्तावित विशेषताएँ
राम कुटिया (कॉटेज)
सात्विक भोजनालय
विश्राम गृह
बड़े होटल
राम लीला मैदान
गुरूकुल
सरयू घाट
ऑडिटॉरियम
वनवास (बगीचा)
पार्किंग
गौशाला
बंदरों के उपचार के लिए अस्पताल
वैदिक पुस्तकालय
सर्विस रोड
पेडस्टल प्लाजा
तरुण कुमार दाधीच