अग्रेजी सरकार द्वारा भारतके स्वतंत्रता सैनानियों पर किए गए अत्याचारों की मूक गवाही में इस सेल्यूलर जेल का निर्माण 1896 ई. में आरंभ हुआ था और यह पूर्ण रूप से 1906 ई. में बनकर तैयार हुई थी। इसका निर्माण ब्रिटिश सरकार के द्वारा कराया गया था। सेल्यूलर जेल काला पानी नामक जेल के नाम से कुख्यात थी। इस जेल के अंदर 698 कोठरियाँ (बैरक) और 7 खण्ड थे, जो सात दिशाओ में फैलकर पंखुड़ीदार फूल की आकृति का एहसास कराते थे। इसके बीच में एक बुर्जयुक्त मीनार थी और हर खंड में तीन मंजिले थी। इसमें जो कोठरी बनी है उसे सेल कहते है जिसका आकार 4.5 मीटर गुणा 2.7 मीटर है। इन कोठरियों का बनाने का उद्देश्य कैदियों के आपसी मेलजोल को रोकना था, जिससे वह एक जुट ना हो पाए और ना ही कोई रणनीति बना पाए।
इसकी बाहरी दीवारें काफी छोटी थी इसकी ऊँचाई लगभग तीन मीटर की है जिसको कूद कर कोई भी बाहर जा सकता था, लेकिन ये सेल्यूलर जेल भारत की भूमि से बहुत दूर समुद्र में बनी है और उस दीवार को कूदने के बाद चारों तरफ सिर्फ पानी ही पानी है जिसे कोई पार नही कर सकता है। कारागार की इन कोठरियों के दीवारों के ऊपर वीर शहीदों के नाम लिखे हुए हैं। इस कारागार में एक संग्रहालय भी है जिसमें अस्त्र-शस्त्र मौजूद हैं जिनसे स्वतंत्रता सेनानियों के ऊपर अत्याचार किया जाता था। इसके मुख्य भवन का निर्माण लाल ईटों से किया गया था जिन्हें बर्मा से लाया गया था।
इस जेल का नाम सेल्यूलर जेल इसलिए रखा गया क्योंकि इसका निर्माण ऑक्टोपस के आकार का कराया था। ऑक्टोपस एक समुद्री जीव है जो कि 8 पैर वाला होता है। इस जेल में सात खंड बनाए गए थे और इसका प्रत्येक खंड 3 मंजिल का था। सातों खंडों के बीच एक बड़ा स्तम्भ लगाया गया था जहां से जेल के सभी कैदियों को एक साथ देखा जा सकता था और उनकी हरकत पर नजर रखी जा सकती थी। इस स्तम्भ के ऊपर एक बहुत बड़ा घंटा लगा हुआ था जो कोई संभावित खतरा होने पर बजाया जाता था।