गर्मियों की आहट शुरू हो गई है और इस दौरान बच्चों को सबसे ज्यादा इंतजार रहता है गर्मी की छुट्टियों का। अब अगर इन छुट्टियों में एक छोटा-सा ब्रेक लेकर परिवार के साथ कहीं घूमने निकल जाएँ तो क्या बात है! इससे एग्जाम के प्रेशर के बाद बच्चे भी खुश हो जाएँगे और फैमिली के साथ टाइम बिताकर बड़े भी तरोताजा हो जाएँगे। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कुछ बेहतरीन पर्यटन स्थलों के बारे में जहाँ आप परिवार के साथ समय बिता सकते हैं…
मैक्लॉडगंज, धर्मशाला ; हिमाचल प्रदेश
प्राकृतिक खूबसूरती से भरपूर है हिमाचल प्रदेश की वादियाँ जहाँ पहुँचकर बच्चों के साथ ही बड़ों का मन भी खुश हो जाता है। यहाँ आप बौद्ध मॉनेस्ट्री, खूबसूरत लैंडस्केप, पहाड़, झरने, लोक जीवन और हिमाचली खाने का लुत्फ उठा सकते हैं।
कैसे पहुँचें : मैक्लॉडगंज, धर्मशाला पहुँचने के लिए हिमाचल परिवहन की वॉल्वो बस चलती है। रात भर की यह बस सेवा आपको बड़े आराम से सुबह-सुबह धर्मशाला पहुँचा देगी। ट्रेन से धर्मशाला जाना चाहते हैं तो नजदीकी रेलवे स्टेशन पठानकोट है, जो धर्मशाला से 85 किलोमीटर दूर है।
कहां ठहरें : यहाँ हर बजट के होटल उपलब्ध हैं। अगर आप थोड़ी बचत करना चाहते हैं तो होम स्टे भी ट्राई कर सकते हैं। ऐसा करने से आपको यहाँ के लोकल लोगों से रूबरू होने और उनके कल्चर को समझने का मौका भी मिलेगा।
कॉर्बेट नैशनल पार्क, नैनीताल और मसूरी ; उत्तराखंड
अगर आप प्रकृति के नजदीक कुछ वक्त गुजारना चाहते हैं तो उत्तराखंड जाएँ। कुमाऊँ की पहाड़ियाँ गर्मियों में बड़ी राहत देने वाली होती हैं। दिल्ली से कॉर्बेट नैशनल पार्क तक की दूरी 270 किलोमीटर है, जिसे आराम से कुदरत के नजारों को देखते-देखते रोड ट्रिप के जरिए पूरा किया जा सकता है। शाम होते-होते आप कॉर्बेट नैशनल पार्क पहुँच जाएँगे। अगली सुबह जंगल सफारी करें और आराम करें। इसके अगले दिन नैनीताल पहुँचें। यहाँ से कुल 80 किलोमीटर की दूरी पर नैनीताल है। यहाँ आप देख सकते हैं नौकुचियाताल, मल्लीताल, भीमताल, सातताल और खुरपाताल। नैनीताल से ऊपर पहाड़ों की रानी मसूरी है। यहां की हर चीज में कोलोनियल दौर की छाप देखने को मिलती है। यहाँ आप केम्पटी फॉल, मसूरी फॉल, वन चेतना केंद्र और सुरकंडा देवी मंदिर देख सकते हैं। कुमाऊँ में सबसे मशहूर है बाल मिठाई जिसे आप जरुर ट्राई करें ।
कैसे जाएँ : उत्तराखंड जाने का सबसे अच्छा तरीका है कि रोड ट्रिप। लेकिन आप अगर कॉर्बेट ट्रेन से जाना जाहते हैं तो नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम है।
कश्मीर ; जम्मू-कश्मीर
इन गर्मियों में आप अपने परिवार को कश्मीर की वादियों में भी ले जा सकते हैं। अगर पहले से बुकिंग कर लेंगे तो आपको फ्लाइट्स पर भी अच्छी डील मिल जाएगी। श्रीनगर में डल लेक, हाउसबोट, मुगल गार्डन, गुलमर्ग में स्नो और पहलगाम में हरी-भरी वादियाँ के खूबसूरत नजारों को देख सकते हैं।
कैसे पहुँचें : कश्मीर तक जाने का सबसे अच्छा साधन है दिल्ली से श्रीनगर की सीधी फ्लाइट। सड़क यात्रा काफी लंबी और थकाने वाली हो सकती है। आप जम्मू तक ट्रेन से भी पहुंच सकते हैं। आगे की यात्रा सड़क से करनी होगी। वैसे तो कश्मीर में हर बजट के होटल उपलब्ध है लेकिन आप कुछ नए जमाने के ट्रैवलर्स हॉस्टल भी ट्राई कर सकते
मुन्नार, एल्लपी, कोचीन ; केरल
केरल को ‘गॉड्स ओन कंट्री’ कहा जाता है। केरल की पहचान है यहां के हाउसबोट, बैकवॉटर्स और टी गार्डन। आप कोचीन में बीच और चर्च भी देख सकते हैं और उस जगह पर भी जरूर जाएँ जहाँ वास्को डी गामा ने अपने जीवन की आखिरी साँस ली। स्पाइस मार्केट देखें। फिर कोचीन से 130 किलोमीटर पर मुन्नार की हरी-भरी वादियों में टी गार्डन देखने जाएँ। मसालों के बगीचे देखें और फिर जाएँ एल्लपी। यह छोटा-सा प्राचीन शहर मुन्नार से 168 किमी दूर है। यहाँ कुछ दिन हाउसबोट मे गुजारें। फोर्ट कोचीन में किसी शाम भरतनाट्यम की लाइव प्रस्तुति जरूर देखें।
कोचीन तक आप ट्रेन या प्लेन से पहुँच सकते हैं।
दमन और दीव
अरब सागर के तट पर बसा दमन 15वीं शताब्दी में पुर्तगालियों की कॉलोनी रहा है इसलिए यहाँ पुर्तगाली कल्चर की छाप देखने को मिलती है। खूबसूरत बीच और चर्च इस जगह की पहचान हैं। दीव के सेंट पॉल्स चर्च की सफेद इमारत वास्तुकला का बेहतरीन नमूना है। दीव में खास आकर्षण है नैयडा केव्स। ये दूसरी गुफाओं से बिल्कुल अलग हैं। इनके भीतर भरपूर रोशनी पहुँचती है। दीव में ऐतिहासिक महत्व का एक किला भी है। दमन पहुंचने के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन वापी है और नजदीकी एयरपोर्ट दीव में ही है। मुंबई से 197 किलोमीटर की यह यात्रा रोड से भी की जा सकती है।
कुन्नूर ;कर्नाटक
ऊटी से महज 18 और कोयंबटूर से 32 किलोमीटर दूर यह हिल स्टेशन नीलगिरि की पहाड़ियों के बीच बसा है। यहाँ वाइल्डलाइफ के अलावा खूबसूरत टी गार्डन भी हैं। यहाँ आप नीलगिरि माउंटेन रेलवे का भी आनंद ले सकते हैं। कुन्नूर की खासियत है हरे-भरे मैदान और चाय के बागान, जिनमें खूबसूरत कोलोनियल स्टाइल के बंगले बने हुए हैं। चाय के बागानों की दूर तक फैली हरियाली और यहाँ-वहाँ डोलते बादलों के टुकड़े आपका मन मोह लेंगे। नीलगिरि माउंटन का सबसे ऊँचा पॉइंट डोडाबेटा भी नजदीक ही है।
माउंट आबू, राजस्थान
अरावली की पहाड़ियों में बसा शहर माउंट आबू राजस्थान का इकलौता हिल स्टेशन है। यहाँ कई नदियाँ, झरने और हरे-भरे पहाड़ हैं। यह जगह पर्यटकों के बीच काफी प्रसिद्ध है। राजस्थान के वैभवपूर्ण इतिहास को समेटे यह शहर अपने मंदिरों के लिए भी जाना जाता है। यहाँ का दिलवाड़ा मंदिर बहुत खूबसूरत है। खाने में माउंट आबू में वेजिटेरियन थाली, घेवर और मारवाड़ी थाली के अलावा आबू चाट से गोभी परांठा जरूर खाएँ।
कैसे पहुंचे : माउंट आबू पहुँचने के लिए आप रेल से आबू रोड तक जा सकते है। आगे 14 किलोमीटर सड़क मार्ग से जाना होगा। नजदीकी एयरपोर्ट उदयपुर है।
गंगटोक ;सिक्किम
सिक्किम पूर्वोत्तर का एक खूबसूरत राज्य है, जिसकी राजधानी है गंगटोक। इस छोटे-से पहाड़ी शहर में आपको वह सबकुछ मिलेगा जिससे आपकी छुट्टियाँ यादगार बन जाएँ। यहां पर मशहूर महात्मा गाँधी मार्ग है, मॉनेस्ट्री हैं, बंजाखरी वरॅटरफॉल है, चांगु लेक है और भारत-चीन बॉर्डर है जिसे हम नाथूला बॉर्डर कहते हैं। गंगटोक में आप एडवेंचर स्पोर्ट्स का मजा ले सकते हैं। गंगटोक शहर के बीचों बीच बना रोप-वे आपको पूरा शहर का 360 डिग्री व्यू दिखाता है।
कैसे पहुँचें : गंगटोक जाने के लिए नजदीकी एयरपोर्ट बागडोगरा और नजदीकी रेलवे स्टेशन न्यू जलपाईगुड़ी है। यहां से आगे की यात्रा सड़क से की जा सकती है। आप बागडोगरा से हेलिकॉप्टर में भी गंगटोक पहुँच सकते हैं।
अभय कुमार