उपभोक्ताओं के विभिन्न हितों को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक वर्ष 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता संरक्षण दिवस मनाया जाता है। कंज्युमर्स इंटरनेशनल ने 35 साल पहले 1983 में सबसे पहले उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाने की शुरूआत की थी।
इस दिन को मनाने का कारण था कि ग्राहकों को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी हो, क्योंकि बहुत से ग्राहकों को अधिकारों की जानकारी न होने के कारण परेशानी उठानी पड़ती हैं। सभी ग्राहकों को यह जानकारी होनी चाहिए कि अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए उनका क्या अधिकार हैं, पूरी दुनिया की सरकारें उपभोक्ताओं के अधिकारों का खयाल रखें। इस दिवस को मनाने का व्यापक उद्देश्य उपभोक्तोओं में जागरूता फैलाना है और उनके हितों की रक्षा एवं उन्हें विभिन्न प्रकार के शोषणों से बचाना है। हर व्यक्ति चाहता है कि उसने जितनें पैसे दिये हैं उसको उसकी कीमत की पूरी वस्तु मिलनी चाहिए, लेकिन ऐसा नही हो पाता है। हर व्यक्ति को पूरा अधिकार है कि वह जो वस्तु खरीद रहा है उसके बारे में सारी जानकारी मिलनी चाहिए ।
उपभोक्ता आंदोलन की शुरूआत अमेरिका में रल्प नाडेर द्वारा की गई थी, जिसके परिणाम स्वरूप 15 मार्च 1962 को अमेरिकी कांग्रेस में तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के द्वारा उपभोक्ता संरक्षण का विधेयक पेश किया गया। इस विधेयक में चार विशेष प्रावधान थे-
01. उपभोक्ता सुरक्षा के अधिकार 02. सूचना प्राप्त करने का अधिकार
03. उपभोक्ता को चुनाव करने का अधिकार 04. सुनवाई का अधिकार
बाद में इसमें 4 और अधिकारों को जोड़ा गया। इस दिन का ऐतिहासिक महत्व है क्योंकि इसी दिन 15 मार्च 1962 में अमेरिकी संसद कांग्रेस में उपभोक्ता अधिकार विधेयक पेश किया गया था। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 9 अप्रैल 1985 को उपभोक्ता संरक्षण के लिए कुछ नियमों को अपनाते हुए एक प्रस्ताव पारित किया और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव को सदस्य देशों मुख्य तौर पर विकासशील देशों को उपभोक्ताओं के हितों के बेहतर संरक्षण के लिए नीतियाँ और कानून अपनाने के लिए राजी करने का जिम्मा सौंपा गया।
अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनैडी ने अपने भाषण में कहा था, यदि उपभोक्ता को खराब वस्तु दी जाती हैं या कीमतें बहुत ज्यादा ली जाती हैं, अगर किसी प्रकार की दवाएँ असुरक्षित और बेकार हो चुकी हैं, और वह उपभोक्ता को दी जाती हैं, किसी भी प्रकार से उपभोक्ता की सेहत और सुरक्षा खतरे में पड़ती हैं तो यह यह उपभोक्ता का रूपया बर्बाद करना हैं।‘’
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम –
इस अधिनियम के तहत किसी भी प्रकार का सामान खरीदने वाला या किसी प्रकार की सेवा लेने वाला प्रत्येक व्यक्ति उपभोक्ता है, और उसके अधिकार भी हैं। जिसे जानने के साथ ही जागरूक होकर उनका लाभ उठाना भी उपभोक्ता के अधिकारों में हैं और किसी तरह का विवाद होता हैं तो इसके लिए कानूनी नियम भी हैं।
उपभोक्ता सुरक्षा के अधिकार-
अगर दुकानदार या कोई विक्रता किसी खराब सामान को बेच कर उपभोक्ता के सेहत के साथ या उसकी सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करता हैं तो यह एक अपराध हैं। इसके लिए उपभोक्ता कानूनी मदद ले सकता हैं।
उपभोक्ता को जानने का अधिकार-
जो व्यक्ति किसी सामान को या माल को खरीदता हैं तो उसे यह अधिकार हैं कि वह उस सामान की गुणवत्ता, मात्रा, प्रमाणिकता आदि जाने। इसके साथ ही शुद्धता, मानक और मूल्य के बारे में सूचित किए जाने का अधिकार भी रखता है, जिससे ग्राहक किसी प्रकार के खराब ससमान को न ले और उसे खराब सामान से बचाया जा सके।
वस्तुओं को चुनने का अधिकार-
उपभोक्ता को किसी वस्तु या सेवा की स्पर्धात्मक मूल्य पर उपलब्धता का विश्वास पाने का पूर्ण स्वतंत्र अधिकार है। ग्राहक क्या चुनें और क्या न चुने, इसमें आधारभूत वस्तुओं तथा सेवाओं का अधिकार भी शामिल है।
सुनवाई का अधिकार-
कई बार दुकानदार या कोई अन्य विक्रेता ग्राहक के साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार करता हैं तो ग्राहक को यह भी अधिकार हैं वह उसका विरोध कर सके। अगर दुकानदार किसी ग्राहक के साथ बेईमानी करता हैं तो उसके खिलाफ शिकायत करने का अधिकार भी हैं ग्राहकों के पास।
शिकायत का अधिकार-
अगर उपभोक्ता किसी प्रकार से ठगा जाता है तो वह शिकायत भी कर सकता हैं, उसे अपनी आवाज उठाने का अधिकार हैं। उपभोक्ता अपनी वास्तविक शिकायत को लेकर केस दर्ज करा सकता हैं।
राकेश शर्मा