” बजट भारत को वैश्विक आर्थिक शक्ति बनाने की दिशा में एक कदम “
उदयपुर,4 फरवरी। समुत्कर्ष समिति द्वारा मासिक विचार गोष्ठी के क्रम में ” बजट के निहितार्थ “ विषयक 47 वीं मासिक विचार गोष्ठी का आयोजन फतह स्कूल में किया गया ।
विषय प्रवर्तन करते हुए समुत्कर्ष पत्रिका के परामर्श दाता तरुण शर्मा ने कहा कि मोदी सरकार का अंतिम ‘पूर्ण बजट’, गांव और गरीब के लिए समर्पित बजट कहा जाएगा। दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य रक्षक योजना (ओबामा केयर से भी बड़ी) की घोषणा, भाजपा के चुनाव घोषणा पत्र के अनुरूप किसानों को उनकी सभी फसलों के लागत मूल्य से 50 प्रतिशत अधिक का न्यूनतम समर्थन मूल्य, दिलाने और खरीफ फसल के लिए लागत मूल्य के डेढ़ गुना देने का फैसला, रोजगार बढ़ाने के लिए अतिरिक्त रोजगार सृजन होने पर कर्मचारी भविष्य निधि में 12 प्रतिशत का सरकारी अनुदान के रूप में योगदान, सब्जी उत्पादन बढ़ाने हेतु भी सरकारी मदद सहित तमाम ऐसे उपाय हैं जो इस बजट को पिछले कई वर्षो के बजटों से अलग दिखाते हैं।
हरिदत्त शर्मा ने अपना विश्लेषण रखते हुए कहा कि मेक इन इंडिया अभियान के लिए बेहद अहम कदम उठाते हुए सरकार ने एमएसएमई क्षेत्र को 3794 करोड़ रुपये पूंजी सहायता और ब्याज सबसिडी के रूप में आवंटित करने का फैसला लिया है। इसके साथ ही मुद्रा योजना के तहत 3 लाख करोड़ रुपये की स्वीकृति स्वरोजगार सृजन और स्वरोजगार के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उन्होंने सरकार के व्यावहारिक दृष्टिकोण की भी सराहना की, जिसमें कृषि क्षेत्र को मजबूत करने के लिए कई उपाय किए गए हैं जोकि 2020 तक किसानों की आय को दोगुनी करने के सरकार के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में अहम कदम साबित होंगे।
तरुण कुमार दाधीच ने बताया कि वित्त मामलों के जानकारों ने पहले ही बजट के किसानोन्मुख होने की बात कही थी। उनकी बात सही भी निकली। जहां कृषि कर्ज को 1 लाख करोड़ बढ़ाकर 11 लाख करोड़ किया गया है तो वहीं सरकार ने किसानों को लागत का डेढ़ फीसदी न्यूनतम समर्थन मूल्य देने को लेकर प्रतिबद्धता दिखाई है। इस बात में कहीं दो मत नहीं कि इस बार बजट में सरकार कृषि क्षेत्र में आय बढ़ाने को लेकर ज्यादा फिक्रमंद दिखी है। 22 हजार हाट कृषि बाजार में बदले जाने की बात बजट में तो कही ही गई है, साथ ही खाद्य प्रसंस्करण के लिए 1,400 करोड़ रुपये सरकार देने जा रही है।
प्रदीप उपाध्याय ने बताया कि पिछले कुछ समय से सरकार द्वारा अतिरिक्त रोजगार सृजन पर आयकर में छूट, वस्त्र और अन्य कुछ उद्योगों में अतिरिक्त रोजगार देने पर कर्मचारी भविष्य निधि में सहयोग इत्यादि शुरू हुआ था। इस बजट में इसे और आगे बढ़ाते हुए अभी सभी उद्योगों में अतिरिक्त रोजगार देने पर कर्मचारी भविष्य निधि में 12 प्रतिशत योगदान सरकार से दिया जाएगा, ऐसी घोषणा बजट में हुई है, जो स्वागत योग्य है।
संचालन करते हुए संदीप आमेटा ने वित्त मंत्री अरूण जेटली के बयान का उल्लेख किया जिसमे उन्होंने मध्यम वर्ग को आम बजट में कोई बड़ी राहत नहीं दिए जाने का बचाव करते हुए कहा कि सरकार पहले के बजटों में इस वर्ग के लिए अनेक कदम उठा चुकी है। उन्होंने का कहा कि राजकोषीय गुंजाइश होने पर भविष्य में और राहत दी जा सकती है। पूर्व में घोषित प्रमुख घोषणाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब यह सरकार सत्ता में आई तो वेतनभोगियों के लिये छूट सीमा दो लाख रुपये बढ़ाकर ढाई लाख रुपये की गई। बचत पर 50,000 रुपये की अतिरिक्त छूट दी गई जिससे यह छूट एक लाख से बढ़कर 1.5 लाख रुपये हो गई तथा आवास ऋण वापसी पर ब्याज भुगतान के लिए 50,000 रुपये की अतिरिक्त छूट के साथ इसे बढ़ाकर दो लाख रुपये कर दिया गया। हालांकि वित्तमंत्री ने कॉरपोरेट जगत को भी फायदा पहुंचाया है और 50 करोड़ से 250 करोड़ तक की आमदनी तक की कंपनियों का टैक्स 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत कर दिया है।
गोष्ठी में अनिल गुप्ता , राकेश शर्मा, डॉ नरेन्द्र टाँक, गोपाल माली, शिवशंकर खंडेलवाल , कविता शर्मा , जसवन्त राय, आदि उपस्थित थे ।
लोकेश जोशी
94147 32617
विचार गोष्ठी संयोजक
समुत्कर्ष समिति , उदयपुर