पाँच अगस्त को रामनगरी अयोध्या सालों के इंतजार के बाद उस पल का साक्षी बनी, जिसकी प्रतीक्षा देश को सदियों से थी। करीब 492 साल के इंतजार के बाद आज अयोध्या में राम मंदिर की नींव रखी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन किया और मंदिर की आधारशिला रखी। इस अवसर पर पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि बरसों से टाट और टेंट के नीचे रह रहे हमारे रामलला के लिए अब एक भव्य मंदिर का निर्माण होगा। टूटना और फिर उठ खड़ा होना, सदियों से चल रहे इस व्यतिक्रम से राम जन्मभूमि आज मुक्त हो गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाँच अगस्त को अभिजीत मुहूर्त में श्रीराम जन्मभूमि में भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन करने के साथ ही आधार शिला भी रखी। इससे पहले उन्होंने अयोध्या हनुमानगढ़ी मंदिर में प्रभु राम के भक्त हनुमान दर्शन भी किया। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत भी इस पावन अवसर के सहभागी बने।
पाँच अगस्त को अवधपुरी (अयोध्या) में राम जन्मभूमि पर भूमि पूजन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो भाषण दिया, वह न केवल सारगर्भित और विलक्षण पांडित्य से भरा था अपितु राम के विश्वव्यापी रूप की ऐसी व्याख्या शायद ही पहले किसी प्रधानमंत्री ने कीया हो। अपने भाषण में मोदी ने भारत की सभ्यता, संस्कृति और लोकाचार में भगवान राम के महत्व पर बल दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘दुनिया में कितने ही देश राम के नाम का वंदन करते हैं, वहाँ के नागरिक खुद को श्रीराम से जुड़ा हुआ मानते हैं, विश्व की सर्वाधिक मुस्लिम जनसंख्या जिस देश में है, उस इंडोनेशिया में भारत की तरह काकाविन रामायण, स्वर्णदीप रामायण, योगेश्वर रामायण जैसी कई अनूठी रामायणें हैं। राम आज भी वहाँ पूजनीय हैं। कम्बोडिया में रमकेर रामायण हैं, लाओस में फा लाक, फ्रा लाम रामायण है, मलेशिया में हिकायत सेरी राम, तो थाईलैंड में रामाकेन हैं। आपको ईरान और चीन में भी राम के प्रसंग तथा रामकथाओं का विवरण मिलेगा।’
मंदिर हमारी संस्कृति का आधुनिक प्रतीक बनेगा
मोदी ने कहा कि श्रीराम का मंदिर हमारी संस्कृति का आधुनिक प्रतीक बनेगा, हमारी शाश्वत आस्था का प्रतीक बनेगा, हमारी राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बनेगा और ये मंदिर करोड़ों-करोड़ लोगों की सामूहिक संकल्प शक्ति का भी प्रतीक बनेगा। राममंदिर के निर्माण की ये प्रक्रिया, राष्ट्र को जोड़ने का उपक्रम है। ये महोत्सव है- विश्वास को विद्यमान से जोड़ने का। नर को नारायण से जोड़ने का, लोक को आस्था से जोड़ने का, वर्तमान को अतीत से जोड़ने का और स्वयं को संस्कार से जोड़ने का।
‘भगवान बुद्ध भी राम से जुड़े हैं तो सदियों से ये अयोध्या नगरी जैन धर्म की आस्था का केंद्र भी रही है। राम की यही सर्वव्यापकता भारत की विविधता में एकता का जीवन चरित्र है! तमिल में कंब रामायण तो तेलगू में रघुनाथ और रंगनाथ रामायण हैं। उड़िया में रूइपाद-कातेड़पदी रामायण तो कन्नड़ में कुमुदेन्दु रामायण है। आप कश्मीर जाएँगे तो आपको रामावतार चरित मिलेगा, मलयालम में रामचरितम् मिलेगी। बांग्ला में कृत्तिवास रामायण है तो गुरु गोबिन्द सिंह ने तो खुद गोबिन्द रामायण लिखी है। अलग अलग रामायणों में, अलग अलग जगहों पर राम भिन्न-भिन्न रूपों में मिलेंगे, लेकिन राम सब जगह हैं, राम सबके हैं। इसीलिए, राम भारत की ‘अनेकता में एकता’ के सूत्र हैं।’
मोदी ने कहा ‘जीवन का ऐसा कोई पहलू नहीं है, जहाँ हमारे राम प्रेरणा न देते हों। भारत की ऐसी कोई भावना नहीं है जिसमें प्रभु राम झलकते न हों। भारत की आस्था में राम हैं, भारत के आदर्शों में राम हैं! भारत की दिव्यता में राम हैं, भारत के दर्शन में राम हैं! हजारों साल पहले वाल्मीकि की रामायण में जो राम प्राचीन भारत का पथ प्रदर्शन कर रहे थे, जो राम मध्ययुग में तुलसी, कबीर और नानक के जरिए भारत को बल दे रहे थे, वही राम आजादी की लड़ाई के समय बापू के भजनों में अहिंसा और सत्याग्रह की शक्ति बनकर मौजूद थे! तुलसी के राम सगुण राम हैं, तो नानक और कबीर के राम निर्गुण राम हैं!’
श्री राम का संदेश पूरी दुनिया तक पहुँचे
जिनके त्याग, बलिदान और संघर्ष से आज ये स्वप्न साकार हो रहा है, जिनकी तपस्या राममंदिर में नींव की तरह जुड़ी हुई है, मैं उन सब लोगों को आज 130 करोड़ देशवासियों की तरफ से नमन करता हूँ। आज का दिन सच्चाई, अहिंसा, विश्वास और बलिदान के दिन का प्रतीक है। हमें ये सुनिश्चित करना है कि भगवान श्रीराम का संदेश, राममंदिर का संदेश, हमारी हजारों सालों की परंपरा का संदेश, कैसे पूरे विश्व तक निरंतर पहुँचे। कैसे हमारे ज्ञान, हमारी जीवन-दृष्टि से विश्व परिचित हो, ये हम सबकी, हमारी वर्तमान और भावी पीढ़ियों की जिम्मेदारी है।
भय होई न प्रीति…
भय होई न प्रीति…भगवान राम ने यह भी दिखाया कि जब तक हमारे पास ताकत नहीं होगी तब तक प्रीति नहीं होगी। इसलिए राष्ट्र को ताकतवर होना जरूरी है। माना जा रहा है प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान हाल ही में चीन और पड़ोसी देशों को साथ हुए विवाद को देखते हुए दिया है।
आज का ये दिन उसी तप, त्याग और संकल्प का प्रतीक हैं…
प्रधानमंत्री ने राम जन्मभूमि मंदिर के लिए किए गए आंदोलन की तुलना भारत की स्वाधीनता के लिए किए गए संघर्षों से की। मोदी ने कहा दृ ‘हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के समय कई-कई पीढ़ियों ने अपना सब कुछ समर्पित कर दिया था। गुलामी के कालखंड में कोई ऐसा समय नहीं था जब आजादी के लिए आंदोलन न चला हो, देश का कोई भूभाग ऐसा नहीं था जहाँ आजादी के लिए बलिदान न दिया गया हो। 15 अगस्त का दिन उस अथाह तप का, लाखों बलिदानों का प्रतीक है, स्वतंत्रता की उस उत्कंठ इच्छा, उस भावना का प्रतीक है। ठीक उसी तरह, राम मंदिर के लिए कई-कई सदियों तक, कई-कई पीढ़ियों ने अखंड अविरत एक-निष्ठ प्रयास किया है। आज का ये दिन उसी तप, त्याग और संकल्प का प्रतीक है। जिनके त्याग, बलिदान और संघर्ष से आज ये स्वप्न साकार हो रहा है, जिनकी तपस्या राम मंदिर में नींव की तरह जुड़ी हुई है, मैं उन सब लोगों को आज नमन करता हूँ, उनका वंदन करता हूँ। संपूर्ण सृष्टि की शक्तियाँ, राम जन्मभूमि के पवित्र आंदोलन से जुड़ा हर व्यक्तित्व, जो जहाँ है, इस आयोजन को देख रहा है, वो भाव-विभोर है, सभी को आशीर्वाद दे रहा है।’
आंदोलन में अर्पण भी था, तर्पण भी था, संघर्ष भी था, संकल्प भी
यह सौभाग्य की बात है कि राम जन्मभूमि ट्रस्ट ने मुझे आमंत्रित किया है और मुझे मौका दिया इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने का इतिहास ने आज फिर दोहराया गया है। राम मंदिर के लिए चले आंदोलन में अर्पण भी था, तर्पण भी था, संघर्ष भी था, संकल्प भी था।
प्रधानमंत्री ने कहादृ ‘राम हमारे मन में गढ़े हुए हैं, हमारे भीतर घुल-मिल गए हैं। कोई काम करना हो, तो प्रेरणा के लिए हम भगवान राम की ओर ही देखते हैं।
गाँव-गाँव में पूजी हुई शिलाएँ, यहाँ ऊर्जा का स्रोत बन गई
मुझे विश्वास है कि श्रीराम के नाम की तरह ही अयोध्या में बनने वाला ये भव्य राममंदिर भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत का द्योतक होगा। यहाँ निर्मित होने वाला राममंदिर अनंतकाल तक पूरी मानवता को प्रेरणा देगा। आज देशभर के लोगों के सहयोग से राम मंदिर निर्माण का ये पुण्य काम शुरु हुआ है। जैसे पत्थरों पर श्रीराम लिखकर राम सेतु बनाया गया। वैसे ही घर-घर से, गाँव-गाँव में पूजी हुई शिलाएँ, यहाँ ऊर्जा का स्रोत बन गई हैं। भगवान राम की अद्भुत शक्ति देखिए। इमारतें नष्ट कर दी गईं, अस्तित्व मिटाने का प्रयास भी बहुत हुआ, लेकिन राम आज भी हमारे मन में बसे हैं, हमारी संस्कृति का आधार हैं। श्रीराम भारत की मर्यादा हैं, श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं।
सरयू के घाट एक स्वर्णिम अध्याय रच रहे हैं …
‘भारत आज भगवान भास्कर के सान्निध्य में सरयू के किनारे एक स्वर्णिम अध्याय रच रहा है। कन्याकुमारी से क्षीरभवानी तक, कोटेश्वर से कामाख्या तक, जगन्नाथ से केदारनाथ तक, सोमनाथ से काशी विश्वनाथ तक, सम्मेद शिखर से श्रवणबेलगोला तक, बोधगया से सारनाथ तक, अमृतसर से पटना साहिब तक, अंडमान से अजमेर तक, लक्ष्यद्वीप से लेह तक, आज पूरा भारत राममय है। पूरा देश रोमांचित है, हर मन दीपमय है। आज पूरा भारत भावुक भी है। सदियों का इंतजार आज समाप्त हो रहा है। करोड़ों लोगों को आज ये विश्वास ही नहीं हो रहा कि वो अपने जीते-जी इस पावन दिन को देख पा रहे हैं।’
मोदी का भाषण न केवल स्पष्ट और जानकारी से भरा था, बल्कि इसमें कहीं किसी किस्म की कड़वाहट लेशमात्र नहीं थी। पूरे भाषण के दौरान कहीं भी इस बात की आलोचना नहीं की गई कि बीते दिनों में अयोध्या विवाद को कैसे हैंडल किया गया, राम भक्तों पर पुलिस ने कैसे गोलियाँ बरसाईं और बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद सरकारों को कैसे बर्खास्त किया गया।
मंदिर के साथ इतिहास खुद को दोहरा रहा है …
मोदी ने कहा ‘इस मंदिर के साथ सिर्फ नया इतिहास ही नहीं रचा जा रहा, बल्कि इतिहास खुद को दोहरा भी रहा है। जिस तरह गिलहरी से लेकर वानर और केवट से लेकर वनवासी बंधुओं को भगवान राम की विजय का माध्यम बनने का सौभाग्य मिला, जिस तरह छोटे-छोटे ग्वालों ने भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने में बड़ी भूमिका निभाई, जिस तरह मावले, छत्रपति वीर शिवाजी की स्वराज स्थापना के निमित्त बने, जिस तरह गरीब-पिछड़े, विदेशी आक्रांताओं के साथ लड़ाई में महाराजा सुहेलदेव के संबल बने, जिस तरह दलितों-पिछड़ों- आदिवासियों, समाज के हर वर्ग ने आजादी की लड़ाई में गाँधी जी को सहयोग दिया, उसी तरह आज देश भर के लोगों के सहयोग से राम मंदिर निर्माण का ये पुण्य-कार्य प्रारंभ हुआ है।’
यह कहकर मोदी ने प्रकारान्तर में कुछ बुद्धिजीवियों द्वारा गढ़े गए उन सिद्धांतों को साफ तौर पर खारिज कर दिया जिनमें ये कहा गया था कि भगवान राम केवल ब्राह्मणों और अन्य उच्च जातियों के लिए एक प्रतीक थे।
करोड़ों भारतीयों ने मोदी को रामलला की मूर्ति के सामने साष्टांग दंडवत करते देखा। मोदी रामलला के मंदिर जाने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री हैं। भूमि पूजन समाप्त होने के बाद मोदी ने गर्भगृह से एक चुटकी मिट्टी ली और अपने माथे पर उसका तिलक लगाया। प्रधानमंत्री ने भूमि पूजन से पहले और बाद में जो कुछ किया, उसमें कई भावनाएँ अन्तर्निहित थीं। एक मजबूत नेता के रूप में अपनी पहचान बना चुके मोदी एक साधारण भक्त के रूप में भगवान राम के सामने आए थे।
मंदिर के निर्माण कार्य शुरू होने से सुखद अनुभूति
पीएम मोदी ने कहा कि मुझे विश्वास है कि श्रीराम के नाम की तरह ही अयोध्या में बनने वाला ये भव्य राममंदिर भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत का द्योतक होगा। मुझे विश्वास है कि यहाँ निर्मित होने वाला राममंदिर अनंतकाल तक पूरी मानवता को प्रेरणा देगा। आज भी भारत के बाहर दर्जनों ऐसे देश हैं जहाँ, वहाँ की भाषा में रामकथा, आज भी प्रचलित है। मुझे विश्वास है कि आज इन देशों में भी करोड़ों लोगों को राम मंदिर के निर्माण का काम शुरू होने से बहुत सुखद अनुभूति हो रही होगी। आखिर राम सबके हैं, सब में हैं।
इन सभी चीजों का हवाला देकर मोदी ने यह संदेश देने की कोशिश की कि राम मंदिर के निर्माण को हिंदुओं की जीत और मुसलमानों की हार के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। यही कारण है कि उन्होंने भगवान राम को भारतीय सभ्यता और संस्कृति के एक प्रतीक, एक आइकन के रूप में पेश किया। भगवान राम राष्ट्र की एकता, राष्ट्र की शक्ति और राष्ट्र की समृद्धि के प्रतीक हैं।
रविकान्त त्रिपाठी