समुत्कर्ष समिति द्वारा समाज प्रबोधन हेतु मासिक विचार गोष्ठी के क्रम में ‘‘धारा 370 पर प्रहारः खुलते संभावनाओं के द्वार’’ विषय पर 65 वीं समुत्कर्ष विचार गोष्ठी का आयोजन उदयपुर में किया गया। गोष्ठी में वक्ताओं ने अपने विचार रखते हुए स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के इतिहास में मील के पत्थर-सा एक अध्याय जोड़ दिया है।
आजाद भारत के गठन और उसमें कश्मीर के विलय के बाद से ही जो समस्याएं चली आ रही थीं, उनके समाधान के लिए एक साथ कई बदलाव कर दिए गए हैं। सरकार ने जहाँ अनुच्छेद 370 को खत्म किया है, वहीं इसके साथ स्वतः ही अनुच्छेद 35-ए का भी समापन हो गया है। राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया है। जम्मू-कश्मीर अपनी विधानसभा के साथ एक केंद्र शासित प्रदेश होगा, जबकि दूसरे केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी।
जम्मू-कश्मीर में अब सही मायने में लोकतंत्र स्थापित हुआ है। केन्द्र सरकार ने नेहरू जी के जमाने से चली आ रही ऐतिहासिक भूल को सुधारने का भारतीय जन मानस का चिरप्रतीक्षित काम किया है। धारा 370 के हटने का अर्थ है, भारत का कोई भी नागरिक अब जम्मू-कश्मीर में बसने में समर्थ होगा, वहां जमीन या संपत्ति खरीद सकेगा, और भारत के अन्य सभी राज्यों की तरह यहां भी संपत्ति पर उत्तराधिकार के कानून लागू होंगे।
विषय का प्रवर्तन करते हुए हरिदत्त शर्मा ने कहा कि देश की संसद ने जम्मू-कश्मीर के लिए विशेष प्रावधान वाले अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने व राज्य के पुनर्गठन विधेयक पर मुहर लगा दी है। जम्मू कश्मीर की कई बाधाओं का मूल अनुच्छेद 370 ही था। यह अनुच्छेद जम्मू कश्मीर और लद्दाख की गरीबी बढ़ाने वाला, विकास को रोकने वाला, पर्यटन को रोकने वाला, आरोग्य की सुविधाओं से दूर रखने वाला, महिला विरोधी, आदिवासी विरोधी और आतंकवाद का खाद और पानी दोनों है। इसके हटते ही जम्मू कश्मीर बाकी देश के साथ विकास के रास्ते पर दौड़ेगा।
श्याम मठपाल ने बताया कि अनुच्छेद 35ए में स्त्री-पुरुष का भेदभाव था उसे दूर किए जाने की जरूरत थी और साथ ही पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों को मतदान का अधिकार मिलना और अनुसूचित जाति को आरक्षण की पुरानी मांग का पूरा होना स्वागत योग्य है। बरसों से अपनों के लौटने की राह देख रहे घाटी के सैकड़ों मकान इस दिवाली पर जगमग होंगे। दो से ढाई महीने के बाद कश्मीरी पंडित बेफिक्र, बेधड़क अपने पुराने आशियाने और खेत खलिहानों का रुख कर सकेंगे। पंडितों और दूसरे विस्थापितों को उनकी जमीनें और मकान वापस मिलने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन बिल के पास होने पर हर्ष व्यक्त करते हुए शिक्षाविद संदीप आमेटा ने कहा कि कश्मीर के लोगों का अब बड़ा भला होगा। आतंकवादियों की दुकानदारी बंद होगी, साथ ही कुछ चुनिंदा राजनीतिक परिवारों के द्वारा जो षड्यंत्र किया जाता था, वह भी बंद हो जाएगा। अब कश्मीरी महिलाओं को भी पूरा सम्मान मिलेगा। अब देश की मुख्यधारा से जुड़ कर वे कहीं भी अपना विवाह कर सकती हैं। रोजी रोजगार पा सकती हैं। साथ ही भारतीय संविधान अब अन्य राज्यों की तरह जम्मू कश्मीर में भी पूर्ण रूप से लागू हो सकेगा।
प्राध्यापक सरोज जैन ने कहा कि देश की संसद में धारा 370 के अंश हटाने के संकल्प के पास होने से एक देश, एक निशान और एक विधान हो गया है। कश्मीर और लद्दाख को अलग कर क्षेत्रीय विषमता को मिटाने का काम सरकार ने किया है। इससे लद्दाख की संस्कृति, बोली, भाषा का तो विकास होगा ही, कश्मीर का भी तेजी से विकास होगा। धारा 370 के हटने से कश्मीर और कश्मीरियत को भी बड़ा लाभ होगा। वहां के युवाओं को रोजगार मिलेगा। शिक्षा और स्वास्थ्य के बेहतर संसाधन बढ़ेंगे। महिलाओं का सम्मान बढ़ेगा। अंतर प्रांतीय विवाह को बल मिलेगा।
कश्मीर में उद्योग धंधे लग पाएँगे।देश भर के लोग वहां बस और रहकर बेहतर सेवा दें पायेंगे। कश्मीरी पंडितों की घर वापसी हो पाएगा।
इस अवसर पर बोलते हुए समुत्कर्ष समिति के वरिष्ठ कार्यकर्ता गोपाल लाल माली ने अपने विचार व्यक्त करते हुए ने खुशी जाहिर करते हुए भारत के लिए इसे ऐतिहासिक दिन बताया। धारा 370 के खत्म होना 135 करोड़ हिन्दुस्तानियों के लिए सम्मान का दिन है। अनुच्छेद 370 पर फैसले के लिए ऐसे राजनीतिक साहस की ही जरूरत थी। अनुच्छेद 370 का दुरुपयोग करते हुए कश्मीरी पंडितों को घाटी से बाहर निकाला गया। बौद्धों को निष्प्रभावी करने की कोशिश की गई। लद्दाख की भाषा, संस्कृति अगर लुप्त होती चली गई तो इसके लिए भी अनुच्छेद 370 ही जिम्मेदार है।
सामाजिक कार्यकर्ता भाग चन्द्र जीनगर ने अपने विचार रखते हुए कहा कि अगले दो से तीन साल में कश्मीर फिर से धरती का स्वर्ग बन जाएगा। अब कश्मीर में तेजी से नए शिक्षण संस्थान और उद्योग धंधे जाएंगे। ठंडा प्रदेश होने के कारण कश्मीर आईटी कंपनियों की पहली पसंद बनेगा। नौकरियों के साथ-साथ खेलों में भी कश्मीरी युवाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा। तरक्की की रफ्तार इतनी तेज होगी कि दो से तीन बरस बाद कश्मीर फिर से धरती का स्वर्ग बन जाएगा।
गोष्ठी के अन्त में सभी का आभार प्रदर्शित किया गया। विचार गोष्ठी का संचालन शिवशंकर खण्डेलवाल ने किया।
शिव शंकर खण्डेलवाल