समुत्कर्ष समिति द्वारा मकर संक्रान्ति की पूर्व संध्या पर भगवान भास्कर के उत्तरायण का पर्व : मकर संक्रान्ति विषयक 118 वीं समुत्कर्ष विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। समुत्कर्ष समिति के समाज जागरण के ऑनलाइन प्रकल्प समुत्कर्ष विचार गोष्ठी में अपने विचार रखते हुए वक्ताओं कहना था कि सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना संक्रान्ति कहलाता है। प्रकाश काल में वृद्धि के साथ भगवान भास्कर का धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश मकर संक्रान्ति के रूप में जाना जाता है। उत्तर भारत में यह पर्व मकर संक्रान्ति के नाम से और गुजरात में उत्तरायण नाम से, पंजाब में लोहडी पर्व, उतराखंड में उतरायणी, असम में बिहू, गुजरात में उत्तरायण, केरल में मकर विलक्कु, तमिलनाडू में पोंगल, गढवाल में खिचड़ी संक्रान्ति के नाम से मनाया जाता है।
विचारगोष्ठी में सर्वप्रथम मंगलाचरण एवं विषय का प्रवर्तन शिक्षाविद पीयूष दशोरा ने किया। उन्होंने उत्तरायण और मकर संक्रान्ति के पार्थक्य को स्पष्ट करते हुए कहा कि मकर संक्रान्ति सांस्कृतिक रूप से समानता रखने वाले भारतीय उपमहाद्वीप क्षेत्र में मनाई जाती है सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने को मकर संक्रान्ति कहते हो। मकर संक्रान्ति के साथ ही खरमास की समाप्त होती है और शुभ कार्य प्रारम्भ हो जाते हो। सूर्य का मकर रेखा से उत्तरी कर्क रेखा की ओर जाना उत्तरायण तथा कर्क रेखा से दक्षिणी मकर रेखा की ओर जाना दक्षिणायण है।
आर्य सत्यप्रिय का कहना था कि उत्तरायण का सन्देश यह भी है कि उत्तर अर्थात् श्रेष्टता की ओर गमन। माघ के महीने में जब सूर्य देवता मकर राशि में प्रवेश करते हो अर्थात् मकर संक्रान्ति के दिन दान और गंगा स्नान का विशेष महत्व माना जाता है। दान के प्रकारों को बताते हुए उन्होंने बताया कि महाभारत काल में भीष्म पितामह ने बाणों की शैय्या पर लेटकर उत्तरायण का इंतजार किया था और मकर संक्रान्ति के दिन सूर्य उत्तरायण होने के बाद ही अपने प्राणों को त्यागा था।
वैद्य निरंजन शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि मकर संक्रान्ति का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व के अलावा आयुर्वेदिक महत्व भी है। इस दिन चावल, तिल और गुड़ से बनी चीजें खाई जाती हैं। तिल स्निग्धता वर्धक होता है। तिल और गुड़ से बनी चीजों का सेवन करने से स्वास्थ्य अच्छा होता है और इम्यून सिस्टम भी मजबूत होता है।
शिक्षाविद रश्मि मेहता का कहना था कि मकर संक्रान्ति के दिन प्रातःकाल पवित्र नदी में स्नान, तिल, गुड़, रेवड़ी आदि का सेवन, दान और पूजा-पाठ का महत्व है। मकर संक्रान्ति पर दान विशेष महत्व है। इस दिन से हमें यथाशक्ति दान का संकल्प लेना चाहिए। इसलिए मकर संक्रान्ति यदि घर पर कोई कुछ माँगने आए तो उसे खाली हाथ न लौटाएँ। मकर संक्रान्ति पर तिल, गुड़, खिचड़ी, चावल या गर्म वस्त्र का दान कर सकते हैं।
विचार गोष्ठी में डॉ. भरत जोशी, पुष्पदीप प्रजापत ने भी अपने विचार व्यक्त किए। आभार प्रकटीकरण समुत्कर्ष पत्रिका के उप संपादक गोविन्द शर्मा द्वारा किया गया। समुत्कर्ष विचार गोष्ठी का संचालन शिवशंकर खण्डेलवाल ने किया।
इस ऑनलाइन विचार गोष्ठी में अनु पारेटा, तरुण कुमार श्रीमाली, गोपाल लाल माली, सुन्दर जैन, रामेश्वर प्रसाद शर्मा, कल्पना माली, चिराग सैनानी, कविता शर्मा, अशोक पाटीदार, तरुण शर्मा तथा श्याम सुन्दर चौबीसा भी सम्मिलित हुए।
शिवशंकर खण्डेलवाल