यदि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है, तो व्यक्ति स्वस्थ रहेगा और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने के लिए संतुलित भोजन करना जरूरी है, जो पौष्टिक होने के साथ मौसम अनुरूप भी हो। अगर आप भोजन संबंधी बारह महीने के नियमों को सही ढंग से पालन करें, तो आपकी इम्यूनिटी काफी हद तक संतुलित रहती है और आप तन-मन से स्वस्थ रहते हैं।
फरवरी माह में मौसम में भी तेजी से बदलाव आ जाता है। सुबह शाम ठंड और दोपहर में तेज धूप तथा पछुआ हवा सेहत पर भारी पड़ती है। लोग मौसमी बीमारियों के शिकार हो जाते हैं, बुखार, खाँसी, जुकाम के अलावा बदन दर्द, सिरदर्द और पेट में जलन का होना आम बात हो जाती है। थोड़ी सी सावधानी बरतकर इन समस्याओं से निजात पा सकते हैं, वहीं लापरवाही खतरनाक साबित हो सकती है।
इस मौसम में सही खानपान के साथ ही सुबह-शाम गर्म कपड़े पहनने भी जरूरी हैं। साथ ही दिन में तेज धूप में ठंडा पानी और कोल्ड ड्रिक पीने की गलती नहीं करनी चाहिए। दोपहर में गर्मी महसूस होती है। ऐसे में जो लोग दोपहर को बाहर से आते हैं, वह घर आते ही पँखा चला लेते हैं जो बदलते मौसम में बीमारी की सबसे बड़ी वजह है। भोजन में दही, छाछ, रायता और मौसमी फलों के जूस को जरूर शामिल करना चाहिए। इसके अलावा सर्दी-जुकाम और फ्लू जैसी बीमारियों से बचने का सबसे आसान तरीका है हाथों को साफ रखना।
फाल्गुन यानी फरवरी-मार्च में कभी हल्की सर्दी, तो कभी हल्की गर्मी, यह तापमान पाचन प्रणाली को प्रभावित करता है। ऐसे मौसम में खानपान हल्का ही रखें। माँस, तली-भुनी चीजों के अलावा ज्यादा मीठा खाने से परहेज करें। मौसमी साग- सब्जियों के अलावा गाजर, कच्चा चना (भूनकर), गुड़ आदि खाने में शामिल करें। नियमित व्यायाम के साथ सुबह की सैर आपको स्वस्थ रखेगी।
ओमप्रकाश चतुर्वेदी