सुबह
दो रातों के बीच सुबह है
दोष न उसको देना साथी
दो सुबहों के बीच रात भी
एक ही जीवन में है आती !
आगत का स्वागत करना है
विगत क्लेश की करें विदाई,
शाम बिखरकर, सुबह जो खिलीं
कलियाँ कुछ कहतीं मुस्कातीं !
डॉ. चन्द्रकुमार जैन
सुबह
दो रातों के बीच सुबह है
दोष न उसको देना साथी
दो सुबहों के बीच रात भी
एक ही जीवन में है आती !
आगत का स्वागत करना है
विगत क्लेश की करें विदाई,
शाम बिखरकर, सुबह जो खिलीं
कलियाँ कुछ कहतीं मुस्कातीं !
डॉ. चन्द्रकुमार जैन
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