केशर की, कलि की पिचकारी पात-पात की गात सँवारी राग-पराग-कपोल किए हैं लाल-गुलाल अमोल लिए हैं तरू-तरू के तन खोल दिए हैं आरती जोत-उदोत उतारी गन्ध-पवन की धूप धवारी Read more
काली काली कोयल बोली- होली-होली-होली ! हँस कर लाल लाल होठों पर हरयाली हिल डोली, फूटा यौवन, फाड़ प्रकृति की पीली पीली चोली। होली-होली-होली! अलस कमलिनी ने कलरव सुन उन्मद अँखियाँ खोली, मल दी ऊषा... Read more
यह मिट्टी की चतुराई है, रूप अलग और रंग अलग, भाव, विचार, तरंग अलग हैं, ढाल अलग है ढंग अलग, आजादी है जिसको चाहो आज उसे वर लो होली है तो आज अपरिचित से परिचय कर को! निकट हुए तो बनो निकटतर और निक... Read more
दीपक तो जलता यहाँ सिर्फ एक ही बार दिल लेकिन वो चीज है जले हजारों बार जीवन का रस्ता पथिक सीधा सरल न जान बहुत बार होते गलत मंजिल के अनुमान सेज है सूनी सजन बिन, फूलों के बिन बाग घर सूना बच्चों... Read more
करवट बदलती रहती है हमेशा जिंदगी काँटों और फूलों के संग झूलती जिंदगी खट्टे-मीठे अनुभव में बँधी हुई थिरकती परीक्षा लेती दरिया सी बहती जिंदगी । आज-कल का नहीं है ये सफर जिंदगी का सदियों से चला आ... Read more
तुम पुरुष हो, डर रहे हो व्यर्थ ही संसार से जीत लेते हो नहीं क्यों त्याग से उपकार से? सिर कटाकर जी उठा उस दीप की देखो दशा दब रहा था जो अँधेरे के निरंतर भार से। पिस गई तब प्रेमिका के हाथ चढ़ चू... Read more
है कहाँ वह आग जो मुझको जलाए, है कहाँ वह ज्वाल पास मेरे आए, रागिनी, तुम आज दीपक राग गाओऋ आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ । तुम नई आभा नहीं मुझमें भरोगी, नव विभा में स्नान तुम भी तो करोगी, आज तुम... Read more
आओ फिर से दिया जलाएँ भरी दुपहरी में अंधियारा सूरज परछाई से हारा अंतरतम का नेह निचोड़ें बुझी हुई बाती सुलगाएं। आओ फिर से दिया जलाएँ।। हम पड़ाव को समझे मंजिल लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल वर्तमान के म... Read more
तुम आने वाले वसंत का गान हो धरती का सजल छंद … मिल नहीं सका तुमसे फिर कभी कह नहीं सका अपना प्यार छू नहीं सका कंधों पर ठहरे तुम्हारे केश फिर भी तुम्हें देखा है अक्सर कल्पना में शालीन गरि... Read more