समुत्कर्ष समिति, उदयपुर
अपनेपन की सरिता थी निवेदिता – ओम प्रकाश
उदयपुर 24 दिस.। समुत्कर्ष समिति के तत्वावधान में एवं समुत्कर्ष चैरेटी व्याख्यान माला के अन्तर्गत भारत भक्ति की महान आदर्श भगिनि निवेदिता के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर गोष्टी का आयोजन हुआ।
कार्यक्रम संयोजक संदीप आमेटा ने बताया कि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गृहमंत्री गुलाब चन्द कटारिया गृहमंत्री राजस्थान सरकार थे। सभी अतिथियों का शब्दों द्वारा स्वागत समुत्कर्ष पत्रिका के संपादक वैद्य रामेश्वर प्रसाद शर्मा ने किया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रताप गौरव केन्द्र के ओम प्रकाश थे। अध्यक्षता समुत्कर्ष समिति के अध्यक्ष संजय कोठारी ने एवं विशिष्ठ अतिथि सचिव विनोद चपलोत, गोविन्द शर्मा थे। कार्यक्रम का शुभारंभ धन्य देश हे महान के गीत कुशल सिकलीघर, के द्वारा किया गया। अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलित किया गया।
मुख्य वक्ता ओम प्रकाश ने भगिनी निवेदिता के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भगिनी निवेदिता की मुलाकात स्वामी विवेकानन्द से ब्रिटेन में हुई थी। और वहां भगिनि निवेदिता के सेवा कार्य से प्रभावित होकर भारत में सेवा कार्य करने के लिए चुना। ओम प्रकाश ने कहा कि निवेदिता एक दिन स्वामीजी से मिलने बेलूर मठ गयी। उनकी हार्दिक इच्छा थी स्वामीजी के निकट सन्यास ग्रहण करने की। उन्होंने स्वामीजी से पूछा, स्वामीजी, सन्यास जीवन की योग्यता अर्जित करने के लिए मुझे क्या करना होगा? स्वामीजी ने उत्तर दिया ’’तुम जैसी हो वैसी ही रहो’’ निवेदिता ने फिर कभी भी सन्यासी बनने की इच्छा नहीं की। अपने अन्दर त्यागव्रत को अव्याहत रखकर वे सदा ही ब्रह्मचारी बनी रही।
कौन थी भगिनि निवेदिता?
ओम प्रकाश ने भगिनि निवेदिता के जीवन यात्रा पर प्रकाश डाला।
– 28 अक्टूबर 1867 ई उत्तर आयर लैण्ड के टायरोन जिले के डंगनान नामक एक छोटे से उपनगर में जन्म लिया।
– पिता श्री सेम्यूअल रिचमण्ड नोबल तथा माता श्रीमती मेरी ईसाबेल।
– 1877 ई. पिता की मृत्यु।
– 1884 ई. विश्वविद्यालय की अंतिम परीक्षा सफलतापूर्वक उत्र्तीण कर केसविक में अध्यापन कार्य शुरू किया।
– नवम्बर 1895 ई. स्वामी विवेकानन्द के साथ प्रथम भेंट।
– 26 फरवरी 1898 में दक्षिणेश्वर में प्रथम आगमन तथा बेलूर मठ में रामकृष्ण जयन्ती में उपस्थित होना।
– 11 मार्च 1898 ई स्टार थियेटर में प्रथम सम्भाषण एवं सार्वजनिक परिचय।
– 17 मार्च 1898 श्री मां सारदादेवी के प्रथम दर्शन और बेटी होने का गौरव प्राप्त किया।
– 25 मार्च 1898 में मार्गेट नोबल को स्वमाी विवेकानन्द द्वारा ब्रह्मचर्य दीक्षा प्राप्त हुई और निवेदिता नाम मिला।
– 11 मई 1898 को स्वामीजी तथा अन्य लोगों के साथ उत्तर भारत भ्रमण।
– 13 नवम्बर 1898 ई. में श्री मां सारदा देवी द्वारा 16 बोसपाडा लेन में निवेदिता पाठशाला की स्थापना।
– 1899 में कलकत्ता में प्लेग महामारी का संकट, स्वामी विवेकानन्द की आज्ञा से निवेदिता ने मन वचन काय से इस महामारी से संघष किया।
– 26 जून 1900 ई. में स्वामी विवेकानन्द एवं अन्य लोगों के साथ पाश्चात्य देशों की यात्रा।
– 4 जुलाई 1902 ई. में स्वामी जी का महासमाधी योग में शरिर त्याग।
– 21 सित. 1902 में राष्ट्र निर्माण के तहत भारत भ्रमण।
– 1903 में पुस्तक वेब आॅफ इण्डिय लाईफ का प्रकाशन।
– 1904 में बोध गया की यात्रा।
– 1905 में बंगाल में स्वदेशी आन्दोलन शुरू किया।
– 1906 में पूर्बी बंगाल में बाढग्रस्त इलाकों में लोगो की सहायता हेतु कार्य।
– 1909 में पश्चिम में भारतीय संस्कृति का प्रसार कर भारत वापसी।
– 1910 ई. में जेसी बोस के परिवार के साथ केदार, बद्री तथा अन्य मंदिरों की यात्रा।
– 13 अक्टूबर 1911 ई में दार्जिलिंग में भारत माता की गोद में सदा के लिए शयन।
कार्यक्रम में आरएसएस, भाजपा, विहिप, के अतिरिक्त सैंकडों की संख्या में महिलाओं की उपस्थिति चर्चा का विषय बनी रही।