किसी को हम जैसा देखते हैं,वह वस्तुतः वैसा नहीं होता। शरीर के अंदर भी एक सूक्ष्म शरीर होता है, वही असली होता है। इसको एक उदाहरण से समझ सकते हैं जैसे कार और उसका ड्राईवर। कार हमारा शरीर और ड्राईवर उसकी आत्मा। कार स्वयं नहीं हिल सकती बिना उसके ड्राईवर के। उसकी गति, रोकना, चलाना, मोड़ना, सब कुछ ड्राईवर पर ही निर्भर है।
हम वो हैं जो हमारी आत्मा है। आत्मा में अपार शक्ति है जो भगवान ने हमें दी। शरीर के मोटा होने से कुछ भी नहीं। जो हम चाहेंगे शरीर वह करेगा।बस इसी सिद्धांत को जो पहचान जायेगा, उसके हाथ में संसार की चाबी होगी। इसीलिए कहते हैं जहाँ चाह, वहाँ राह। एक बार उस दिशा में कदम बढ़ाकर तो देखो, सारा ब्रह्मांड आपके अनुसार काम करना शुरू कर देगा।
इसलिए अपने अंदर झांको, उसे आदेश करो और कदम बढ़ाओ। फिर देखो चमत्कार अपने अंदर का।
जीवन में कभी-कभी ऐसा होता है, जब हमारा आत्मविश्वास डगमगाने लगता है। हमारे भीतर प्रतिभा तो होती है लेकिन हमें इसका भान नहीं होता। हम अपने आपको कमतर आंकने लगते हैं, अगर आपके साथ भी कुछ ऐसा होता है, तो आप इन बिन्दुओं पर आत्म चिन्तन करके अपना आत्मविश्वास बढ़ा सकते हैं।
अपने मूलभूत सामर्थ्य पर ध्यान दें
स्वयं का आत्मबल बढ़ाने के लिए सबसे जरुरी है कि आप अपनी मूल चीजों पर ध्यान दें, जैसे आप कोई भी काम करते हैं बिजनेस, नौकरी, पढ़ाई। आपको अपनी जरुरतें और आगे बढ़ने के लिए प्रतिभा या अपने अंदर की खासियत का अंदाजा लगाना होगा।
अपनी कमजोरी को पहचानें
इस संसार में कोई भी मनुष्य ऐसा नहीं है जो परफेक्ट हो लेकिन आपको पता होना चाहिए कि आपकी कमजोरी और ताकत क्या है। अपनी कमजोरी को पहचानकर उसपर काम करना शुरू करें लेकिन फिर भी इस वजह से खुद को कमतर न आंकें।
सफलता-असफलता से उत्साहित या निराश न हो
जीवन के दो पहलू हैं सफलता और असफलता। जब भी आप सफल हों, तो आपको कभी भी अति उत्साहित नहीं होना चाहिए और असफलता से आपको निराश नहीं होना चाहिए। इसे जीवन का एक पहलू मानकर चलेंगे तो असफल होने पर आत्मविश्वास डगमगाएगा नहीं।
पॉजिटिव लोगों की संगत में रहें
आज के युग में ऐसे बहुत से लोग हैं, जो आपका मनोबल गिराने में लगे रहते हैं इसलिए ऐसे लोगों से दूरी बनाकर रखें। आप पॉजिटिव लोगों के साथ रहेंगे, तो इससे आप में आत्मविश्वास का संचार होगा।
सदाशिव