नया कोई गीत ले
जंग चलो जीत ले
घटती है नम्रता
बढ़ती उद्विग्नता
चुकती शालीनता
मीठा पाया है बहुत
आज चलो तीत ले
कथनी को तोल दे
दूजों को मोल दें
वातायन खोल दे
भीड़ भरी दुनियाँ में
खोज नया मीत लें
दृश्य ये विहंगम है
कष्टों का संगम है
जग सारा जंगम है
बांसती झोंके तंज
आज शिशिर शीत लें
राणा प्रताप सिंह