नीरजा भनोट का जन्म 7 सितम्बर 1963 को पंजाब के चंडीगढ़ जिले में हुआ था। उनके पिता का नाम हरीश भनोट और माता का नाम रामा भनोट था। नीरजा के पिता हरीश भनोट मुंबई में एक पत्रकार थे और नीरजा की पढाई भी मुंबई में ही हुई। नीरजा ने अपनी शुरुआत की पढ़ाई बोम्बे स्कोटिश कॉलेज से की जबकि सेंट जेवियर कॉलेज से स्नातक की उपाधि ली। नीरजा के माता पिता उनको प्यार से लाडो कहकर पुकारते थे।
नीरजा की मार्च 1985 में शादी हो गयी। उस समय नीरजा के पति खाड़ी देश में रहते थे। नीरजा भी अपने पति के साथ खाड़ी देश में रहने चली गयी लेकिन बाद में नीरजा के ससुराल वालों ने दहेज की मांग करना शुरू कर दिया। नीरजा को दहेज की मांग बिलकुल पसंद नहीं आयी और वो 2 महीने बाद वापस अपने घर मुंबई लौट आयी। अब नीरजा ने पेन अमेरिकन एयरलाइन्स में एयर होस्टेस की जॉब के लिए आवेदन किया और उनका चयन हो गया।
चयन होते ही उन्हें ट्रेनिंग के लिए मिआमी भेज दिया गया लेकिन वो एयर होस्टेस बनकर वापस लौटी। अब नीरजा को पहली बार च्ंद।उ थ्सपहीज 73 में ेमदपवत सिपहीज चनतेमत के रूप में भेजा गया। 5 सितम्बर 1986 को वो प्लेन मुंबई से उड़कर कराची पहुँचा था और वो प्लेन आगे फ्रेंक्फेर्ट होता हुआ न्यू यार्क जाने वाला था। वो प्लेन कराची के जिन्ना इंटरनेशनल एअरपोर्ट पर था और आगे की यात्रा के लिए उसमे भारतीय, पाकिस्तानी और अमेरिकन सभी थे। अब उस एअरपोर्ट पर सिक्योरिटी गार्ड के भेष में चार आतंकवादी गोलीबारी करते हुए विमान में घुस गये। इस तरह उन चार हथियारबंद आतंकवादियों ने विमान का अपहरण कर लिया।
नीरजा उस क्रू की सबसे सीनियर सदस्य थी अब सारी जिम्मेदारी नीरजा ने संभाली। अब उसने अपहरण की सारी जानकारी कोकपिट तक पहुंचाना चाही तो आतंकवादियों ने उसकी चोटी पकड़कर रोक दिया लेकिन फिर भी उसने कोड लैंग्वेज में अपनी बात जोर से चिल्लाकर कॉकपिट तक पहुँचा दी। नीरजा को प्लेन हाईजैक होने की परिस्तिथियों का प्रशिक्षण मिला था। अब जैसे ही कॉकपिट तक नीरजा की बात पहुँची तो उस प्लेन के पायलट, सह-पायलट और फ्लाइट इंजिनियर विमान को वहीं छोड़कर भाग निकले। अब उस प्लेन में 380 यात्री अभी भी फंसे हुए थे जो केवल 13 केबिन क्रू की दया पर पूरी तरह निर्भर थे।
अब नीरजा के हाथ में पुरी कमान थी क्योंकि उन क्रू मेम्बेर्स में वो ही सीनियर थी। अब उन आतंकवादियों ने नीरजा से सभी यात्रियों के पासपोर्ट इकट्टे करने को कहा ताकि उनमें से वो अमेरिकन को पहचान सके। उन आतंकवादियों का मुख्य मकसद अमेरिकी यात्रियों को मारना था, इसलिए नीरजा ने सूझबुझ दिखाते हुए 41 अमेरिकन के पासपोर्ट छिपा लिए जिसमे से कुछ उन्होंने सीट के नीचे और कुछ ढ़लान वाली जगह पर छिपा दिए। उस फ्लाइट में बैठे 41 अमेरिकियों में से केवल 2 को ही आतंकवादी मारने में सफल हुए थे। अब उन आतंकवादियो ने पाकिस्तानी सरकार को विमान में पायलट भेजने को कहा लेकिन पाकिस्तानी सरकार ने मना कर दिया। अब उन आतंकवादियों ने एक ब्रिटिश नागरिक को विमान के द्वार पर लाकर पाकिस्तानी सेना को धमकी दी कि अगर उन्होंने पायलट नहीं भेजा तो वो उसे मार देंगे तभी नीरजा ने आतंकवादियों से बात कर उस ब्रिटिश नागरिक को बचा लिया।
17 घंटों के बाद उस चालू विमान का फ्यूल खत्म हो गया और विमान में अँधेरा हो गया जिसके कारण अपहर्ताओं ने अँधेरे में ही गोलीबारी करना शुरू कर दिया। नीरजा ने आपातकालीन द्वार खोलकर कई यात्रियों को निकलने में मदद की। नीरजा ने जब दरवाजा खोला तब वो चाहती तो सबसे पहले खुद को बचा सकती थी लेकिन उसने ऐसा नही किया और सभी यात्रियों को बाहर निकालने के बाद बचे हुए तीन बच्चों को बचाते हुए उनको गोली लग गयी। उनमें से एक बच्चा जो उस समय केवल 7 वर्ष का था नीरजा भनोट की बहादुरी से प्रभावित होकर श्डंरवत ।पतसपदमश् में कप्तान बना। अब तक नीरजा ने मरने से पहले 380 में से 360 यात्रियों को सुरक्षित कर दिया और इस तरह केवल 20 लोग मारे गये। 05 सितम्बर 1986 को केवल 23 वर्ष की उम्र में नीरजा इंसानियत दिखाते हुए शहीद हो गयी। इसके बाद पाकिस्तानी सेना ने तीन आतंकवादियों को वही मार गिराया लेकिन चौथा बच निकला।
अपने जन्मदिन से दो दिन पहले शहीद होने वाली भारत की इस बेटी पर ना केवल भारत बल्कि पाकिस्तान और अमेरिका भी रोया था क्योंकि उसने कई अमेरिकी और पाकिस्तानी लोगों की भी जान बचाई थी। बाद में नीरजा भनोट की जीवनी पर बनी फिल्म ‘निरजा’ को पाकिस्तान में बेन कर दिया गया। पाकिस्तान को ये तो सोचना चाहिए था कि जिस भारत की बहादुर बेटी ने उनके लोगों की जान बचाई और जिस पाकिस्तान ने नीरजा को तमगा-ए- इंसानियत अवार्ड भी दिया उसी की फिल्म को पाकिस्तान में क्यों प्रतिबंधित कर दिया है।
नीरजा भनोट को विश्वभर में ज्ीम भ्मतवपदम वि जीम भ्परंबा के नाम से पुकारा गया और अशोक चक्र पाने वाली सबसे कम उम्र की महिला बनी। इसके बाद नीरजा को अमेरिकी सरकार ने भी मरणोपरांत कई पुरस्कार दिए।