सर्दियों की दोपहर में एक छोटा लड़का नदी के पास नीम के पेड़ के नीचे बैठा था । वह स्कूल से वापिस आया था और उसकी कमर में बड़ा बैग था । वह लड़का बहुत उदास था । वह लड़का पानी को देखता रहा और पानी को देखते देखते उसकी आँखों में से मोटे मोटे आंसू आने लगे । उसके आंसू तालाब में गिरते हुए बुलुबुलो की तरह उछले । वह वहाँ पर थोड़ी देर से बैठा था । उसने देखा कि एक कछुआ तैरता हुआ उसके पास आ रहा था । वह कछुआ बड़ा नहीं था इसलिए वह धीरे धीरे तैर रहा था । जब वह कछुआ तालाब के किनारे पहुंचा , तब तक छोटे लड़के ने रोना बंद कर दिया था । लेकिन वह अब भी उदास था । लड़के को पता था कि कछुआ बोल नहीं सकता और ना ही मनुष्य के भाव को समझ सकता है लेकिन फिर भी वह किसी से बात करना चाहता था और उस समय कछुआ उसके पास अकेला ?
हल्की आवाज में लड़के ने कहा “कछुआ ,तुम कैसे हो ?
आज मेरी अध्यापिका में मुझे मेरी रिपोर्ट कार्ड दी । मैंने अच्छी पढ़ाई नहीं की और मेरा रिजल्ट भी बहुत गंदा आया है मेरी माँ मेरे रिजल्ट को देखकर बहुत दुखी होगी । मैं अपनी माँ से बहुत प्यार करता हूं और मैं उन्हें उदास नहीं करना चाहता । लेकिन अब मेरा परिणाम देखकर वह उदास हो जायेगी। शायद वह मुझसे गुस्सा भी हो जायेगी । मेरी माँँ चाहती है कि मैं स्कूल में अच्छी पढाई करूँ । मैं भी यही चाहता हूँ लेकिन क्या करूं मेरी परीक्षा के पर्चे बहुत मुश्किल थे । मुझे पता है कि मुझे पहले पढाई करनी चाहिए थी लेकिन अब मैं क्या करूँ । ”कछुए ने कुछ नहीं कहा, कछुआ लडके की बात ऐसे सुनने लगा जैसे उसे सब कुछ समझ आ रहा हो । “शायद मैं अच्छा कर सकता था । मुझे पता है शायद डर के मारे मैं अपने नम्बर ना बताऊं तो मेरी माँ उदास नहीं होगी ।
हां मै यही करूंगा।” लड़का अपनी समस्या का हल सोचकर संतुष्ट हुआ और उसके चेहरे पर थोड़ी हँसी आ गयी । वह खड़ा हुआ और घर जाने के लिए तैयार हो गया । तभी उसे किसी की आवाज आयी ‘‘जो तुम कर रहे हो ,क्या वह करना ठीक होगा ?’’ लड़का रुक गया और देखने लगा कि उससे कौन बातें कर रहा है । वहाँ कछुए के अलावा कोई नहीं था । लड़के ने कछुए की तरफ ध्यान से देखा ।
कछुआ हँसा और हँसने से उसका चेहरा चमकने लगा । फिर कछुए ने कहा ‘‘मुझे लगता है कि तुम्हे अपनी माँ को सब सच बताना चाहिए और उनसे कहना चाहिए कि अगली बार तुम मेहनत करके अच्छे नम्बर लाओगे ।“ कछुए को बात करता देख लड़का हैरान रह गया । उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले । कछुआ धीरे से लड़के के पास गया और हँसते बोला “मुझे पता है कि तुम अगली बार अच्छा करोगे क्योंकि तुम करना चाहते हो”। वैसे तो कछुए को बोलता देखकर लड़के को अजीब लग रहा था लेकिन उसकी बातों पर विश्वास था । उसे यकीन हो गया कि कछुआ उसकी मदद जरुर करेगा क्योंकि जब कछुआ मनुष्य की तरह बोल सकता है सोच सकता है तो वह बहुत अच्छे काम भी कर सकता है । लड़का कछुए की बातां के बारे में सोचने लगा ।
अचानक उसके दिमाग में एक विचार आया । उसने कछुए से पूछा ‘‘क्या तुम पढ़ सकते हो“ । कछुए ने जवाब दिया “नहीं ! लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं तुम्हारी मदद नहीं कर सकता । कल स्कूल से वापिस आते समय तुम तालाब के पास रुकना और तुम मुझे अपनी किताब जोर से पढ़कर सुनाना । अगर तुम्हें कुछ समझ नहीं आएगा तो मै तुम्हें वह चीज समझा दूंगा उसके बाद तुम अपनी बांसुरी में मेरे लिए गाना बजा देना मुझे बांसुरी सुनना बहुत पसंद है और तुम बहुत अच्छी बांसुरी बजाते हो “।
लड़के को फिर हैरानी हुई कि कछुआ कैसे जानता है कि कि उसे बांसुरी बजानी आती है । कछुए में कुछ ना कुछ जादुई बात थी । कछुए जैसे दोस्त को पाकर लड़का उदास नहीं था । उसने कछुए को शुक्रिया कहा और उससे वादा किया कि वह अपनी माँ को सब कुछ सच सच बतायेगा और उन्हें अपनी रिपोर्ट कार्ड भी दिखायेगा और आगे से मेहनत करके अगली बार अच्छे नम्बर जरुर लाएगा । इस तरह कछुए ने लड़के को सही रास्ता दिखाया । जैसे ही लड़का अपने घर जाने लगा कछुए ने पीछे से कहा ‘‘वैसे मेरा नाम कदम है “। लड़का हँसा और उसने कहा मेरा नाम गणेश है । कछुए ने फिर हँसते हुए कहा कि ‘‘मुझे मालूम है “।
पृथु भट्ट