एक बार मधुवन वन में एक कौआ खाने की तलाश में आकाश में उड़ रहा था। उन दिनों वो कौआ अपने जीवन से बहुत संतुष्ट था। उसे लगता था कि वह बहुत खुश और जंगल का सबसे अच्छा प्राणी है। दूर उड़ते हुए उसकी नज़र अचानक एक हंस पर पड़ी, हंस को देखते ही कौआ को बड़ा आश्चर्य हुआ कि मैं खुद को सुंदर समझता था, लेकिन ये हंस तो मुझसे कई गुना ज्यादा सुन्दर है।
कौए ने कुछ सोचकर ये बात हंस को बताई, तो हंस को हँसी आ गयी, हंस बोला – मित्र मैं भी पहले यही सोचता था कि मैं सबसे सुन्दर हूँ पर जबसे मैंने तोते को देखा है तो लगता है वही सबसे सुन्दर है क्यूंकि मेरे पास तो बस एक सफ़ेद रंग है, तोते के पास तो दो रंग हैं।
फिर क्या था, कौआ तेजी से उड़ता हुआ तोते के पास गया और बोला -मित्र तुम तो बहुत सुन्दर हो। तोता, कौए की बात सुनकर बड़ा दुखी हुआ बोला – मित्र मैं भी यही सोचता था, लेकिन जब से मैंने मोर को देखा है मुझे अपनी सुंदरता फीकी नजर आती है क्यूंकि मोर के पास बहुत सारे रंग हैं और वो बहुत सुन्दर दिखाई देता है, मेरी नजर में वही सबसे सुन्दर है।
फिर कौआ दूर उड़ता हुआ एक चिड़ियाघर में मोर से मिलने गया। कौए ने मोर की सुंदरता की बहुत प्रशंसा की लेकिन उसकी बात सुनकर मोर गंभीर होते हुए बोला -मित्र क्या फायदा ऐसी सुंदरता का देखो, मैं तो पिंजरे में बंद हूँ। मैं तुम्हारी तरह स्वछन्द आकाश में उड़ भी नहीं सकता और मैंने तो सुना है कि पूरे जंगल में केवल कौआ ही ऐसा प्राणी है जिसे कोई पिंजरे में कैद नहीं रखता तो इस तरह से तो मेरे से अच्छी जिंदगी तो तुम्हारी है। कौए को सारी बात समझ में आ गयी थी।
मित्रों, हम लोग अपने काम और अपने लक्ष्य पर ध्यान ना देकर बिना वजह ही दूसरों से अपनी तुलना करने लगते हैं। इस चक्कर में हमेशा खुद को दूसरों से कम आंकते हैं। लेकिन हम ये बात भूल जाते हैं कि हर इंसान में एक अलग खूबी होती है, हर इंसान में विलक्षणता होती है। लेकिन हम कभी खुद की ताकत को पहचानते ही नहीं हैं, हमेशा दूसरों को अपने से सबल मान लेते हैं। बस यही दुःख की सबसे बड़ी वजह है।
नंदिनी चपलोत