महिलाएं सुंदर दिखने के लिए हजारों सालों से सौंदर्य प्रसाधनों का इस्तेमाल करती आ रही हैं । मगर पहले ये सौंदर्य प्रसाधन प्राकृतिक चीजों जैसे हल्दी, नीबू, मेहंदी, चंदन, फूलों इत्यादि से तैयार किए जाते थे, जिनके इस्तेमाल करने पर बिना किसी दुष्प्रभाव के सौंदर्यवर्धन होता था पर आज अधिकांश सौंदर्य प्रसाधनों में अनेक रसायनों का उपयोग होता है, जिनका त्वचा पर दुष्प्रभाव हो सकता है।
इसके अलावा आज नामी कंपनियों की नकल के सस्ते सौंदर्य प्रसाधनों की भी बाजारों में भरमार है। साथ ही कुछ महिलाएं सस्ते के चक्कर में ब्रैंडेड सौंदर्य प्रसाधन न खरीद कर नकली व लोकल खरीद कर खुद ही मुसीबत से दो-चार होती हैं। इन डुप्लीकेट सौंदर्य प्रसाधनों के निर्माण में घटिया और हानिकारक रसायनों का इस्तेमाल होता है । आइए जानते हैं कि सौंदर्य प्रसाधनों को खरीदने से पहले किन-किन बातों पर गौर करना जरूरी है।
सौंदर्य प्रसाधनों के संभावित दुष्प्रभाव
सौंदर्य प्रसाधनों में मौजूद विभिन्न रसायनों के प्रभाव से संवेदनशील त्वचा वालों को श्वसन तंत्र की एलर्जी हो सकती है । त्वचा में लालिमा, खुजली, दाने, चकत्ते आदि हो सकते हैं। फिर एलर्जी के कारण जुकाम, आंखों में जलन, लालिमा, पानी बहना यहां तक कि दमा भी हो सकता है । अनेक सौंदर्य प्रसाधनों के निर्माण में कोलतार का उपयोग किया जाता है, जो एलर्जी कर सकता है।
टैलकम, डसि्ंटग पाउडर, कौंपैक्ट इत्यादि का उपयोग करने से त्वचा के रोमछिद्र बंद हो सकते हैं, जिस के कारण मुंहासे, झुर्रियां, चकत्ते हो सकते हैं। लंबे समय तक इन का इस्तेमाल करने से त्वचा की प्राकृतिक कोमलता नष्ट हो जाती है।वह खुरदरी, निस्तेज, अनाकर्षक हो जाती है ।
घटिया क्वालिटी की लिपस्टिक को लंबे समय तक लगाने से होंठों की श्लेष्मा झिल्ली सिकुड़ने लगती है। होंठ काले, ओजहीन, खुरदरे हो जाते हैं। लिपस्टिक में मौजूद रसायनों की कुछ मात्रा शरीर के अंदर भी पहुंचती है, जिस के हानिकारक प्रभाव हो सकते हैं।
नेलपॉलिश के अत्यधिक उपयोग से नाखूनों की प्राकृतिक चमक कम हो जाती है । वे कमजोर, खुरदरे हो सकते हैं, टूट सकते हैं। कुछ युवतियों को ऐलर्जी के कारण नाखूनों की जड़ों में दाने, खुजली हो सकती है।
आंखें नाजुक अंग हैं। काजल, आईलाइनर, आईशैडो, मसकारा, आईलैशेज, आईब्रोज पैंसिल आदि का इस्तेमाल आंखों की सुंदरता बढ़ाने के लिए किया जाता है । इनसे एलर्जी के कारण आंखों में खुजली, आंखों के नीचे काले घेरे, त्वचा का खुरदरापन, पलकों के बालों का कड़ा हो कर झड़ना इत्यादि समस्याएं हो सकती हैं।
बिंदी के पीछे लगे एडहैसिव से बिंदी लगाने के स्थान पर खुजली, लालिमा, संक्रमण, दाग हो सकते हैं। सिंदूर, पैंसिल वाली बिंदियों में तरल रूप से लगाई जाने वाली बिंदियां भी समस्या पैदा कर सकती हैं ।
डाई के भी संश्लेषित रसायनों से निर्मित होने के कारण उस से भी ऐलर्जी, बाल झड़ने, जल्दी सफेद होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं । कार्बनिक रंजकों से निर्मित हेयर डाई के लंबे समय तक इस्तेमाल करने से कैंसर की संभावना भी बढ़ जाती है।
बालों को सेट करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली क्रीमें, जैल, स्प्रे, लोशन, तेल में मौजूद रसायन, सुगंध भी बालों की जड़ों को कमजोर कर सकती हैं । बाल जल्दी सफेद हो सकते हैं, उन की नैसर्गिक कोमलता व चमक समाप्त हो सकती है।
हेयर रिमूविंग क्रीम लॉशन, साबुन भी पूरी तरह से दुष्प्रभाव रहित नहीं होते हैं। इन के उपयोग से भी एलर्जी, कालापन, रूखापन, धब्बे इत्यादि परेशानियां हो सकती हैं ।
सलाह
सौंदर्य प्रसाधनों के लिए यथा संभव कृत्रिम पदार्थों के स्थान पर प्राकृतिक सौंदर्य प्रसाधनों का उपयोग करें। कृत्रिम, संश्लेषित रसायनों से निर्मित कॉस्मेटिक उत्पादों का उपयोग कम से कम करें । प्रतिष्ठित कंपनियों के द्वारा निर्मित सौंदर्य प्रसाधनों का ही प्रयोग करें और उन्हें विश्वसनीय दुकानों से ही खरीदें ताकि सही मूल्य पर असली कॉस्मैटिक मिले । कोलतार मिले कॉस्मैटिक को आंखों, पलकों पर न लगाएं ।
यदि किसी सौंदर्य प्रसाधन से एलर्जी है या कोई और समस्या होती है, तो उस का इस्तेमाल भविष्य में कभी न करें। सोने से पहले मेकअप जरूर उतार लें ।
उर्मिला रोत