एक जंगल में एक शेर था। एक दिन वह दोपहर को एक पेड़ के नीचे आराम कर रहा था। अचानक से एक चूहा उसके ऊपर आ कर कूदने लगा। कुछ देर में ही शेर नींद से जाग उठा। वह बहुत क्रोधित हुआ और गरजकर बोला- ‘‘तेरी यह हिम्मत, मैं अभी तुझे जान से मार दूँगा’’, बेचारा चूहा भय से कांपने लगा।
उसने शेर से विनती की- ‘‘महाराज कृपया मुझे मत मारिये। मेरी जिंदगी बख्श दीजिए। वैसे तो मैं बहुत छोटा और दुर्बल हूँ, मगर मैं वादा करता हूं कि आपका एहसान जीवन भर न भूलूंगा और यदि कभी आपके किसी काम आ सका तो स्वयं को धन्य समझूंगा।’’ उस पर शेर बोला- ‘‘तुम एक अत्यन्त दुर्बल और छोटे से जीव हो। मगर हो बड़े वाचाल। तुम मेरे जैसे शक्तिशाली के भला क्या काम आओगे?’’ यह कहकर शेर ने चूहे को छोड़ दिया।
एक दिन की घटना है, किसी शिकारी ने जंगल में जाल डाला हुआ था। शेर शिकार की तलाश में भटक रहा था कि शिकारी के जाल में फंस गया। घबराकर वह गरजने लगा। मगर जाल बहुत मजबूत था। बेचारे सिंह की एक न चली। जाल तोड़ना उसके लिए संभव नहीं था। जब चूहे ने दूर से शेर की जोर जोर से दुख भरी दहाड़ सुनी तो वह भाग कर शेर के पास पंहुचा और उसने देखते ही देखते उस कठोर जाल को सैकड़ों स्थानों से कुतर दिया। अब क्या था, दूसरे ही क्षण शेर जाल से आजाद हो गया। जाल से बाहर आते ही शेर ने चूहे का आभार व्यक्त किया। उसे धन्यवाद दिया। फिर वह दोनों शिकारी के आने से पहले वहाँ से चले गए।
केतन शर्मा