मुद्रा विज्ञान
भारत के प्राचीन ऋषि मनीषियों ने लम्बी साधना एवं गहन अध्ययन के द्वारा शरीर को स्वस्थ एवं दीर्घायु रखने के लिये विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों को विकसित किया। उनमें से ‘‘मुद्रा विज्ञान’’ एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है जिसमें हाथों की अंगुलियों व अँगूठे के उपयोग के द्वारा ही चिकित्सा का लाभ प्राप्त किया जा सकता है। चिकित्सा पद्धति में हठ योग के आसन, प्राणायाम एवं बंध की कुछ जानकारी अधिकांश लोगों को है परन्तु मुद्राओं की जानकारी एवं उनके अद्भुत प्रभाव से अधिकांश जन अपरिचित हैं। आइए, कुछ मुद्राएँ और उनके प्रभाव से परिचित होते है –
विधि :- यह मुद्रा अनामिका के शीर्ष को अँगूठे के मूल से लगाकर, अँगूठे को अनामिका के ऊपर रख करदबाने से बनती है। शेष तीनों अंगुलियाँ सीधी रखनी है।
ध्यातव्य :- पृथ्वी मुद्रा के विपरीत यह मुद्रा सूर्य के गुणों को हमारे शरीर में बढ़ाती है तथा पृथ्वी तत्व को कम करती है।
अवधि :- 15-15 मिनट दिन में दो बार।
सावधानी :- इस मुद्रा को सामान्यतया 15 मिनट ही करें। इसे चलते-फिरते न करें। गर्मी के दिनों में इस मुद्रा को अधिक देर
तक न करें। दुर्बल, कमजोर व्यक्ति न करें। उच्च रक्तचाप वाले भी इसे कम ही करें।
लाभ :- जैसा इस मुद्रा का नाम है यह हमें सूर्य की गर्मी देती है। ऊर्जा देती है। हमें चुस्त भी बनाती है।
जिन व्यक्तियों को सर्दी से परेशानी होती है, जिन्हें सर्दी बहुत सताती है, हाथ पैर ठण्डे रहते हैं, उन्हें इस मुद्रा से बहुत
लाभ होता है।
सूर्य मुद्रा से मोटापा, थुलथुलापन, भारीपन, स्थूलता समाप्त होती है। वजन कम होता है।
मधुमेह के रोगियों के लिये यह मुद्रा बहुत उपयोगी है। यह मुद्रा बढ़ी हुई शर्करा को जला देती है। इससे मोटापा कम होने
के कारण मधुमेह, कब्ज इत्यादि ठीक होते हैं। रक्त में यूरिया भी कम होता है। ;स्पअमतद्ध के सभी रोग भी दूर
होते हैं।
इस मुद्रा से अग्नि तत्व बढ़ता है, शरीर में गर्मी पैदा होने से कफ, प्लूरिसी, दमा, अस्थमा, सर्दी, जुकाम, निमोनिया, टीबी,
सायनस आदि रोगों में लाभ मिलता हैं।
सूर्य मुद्रा लगाने से 5-10 मिनट में ही सूर्य-स्वर (दाहिना नासिका रन्ध्र) चलना प्रारंभ हो जाता है इसलिये ठंड से जुड़े सभी
रोगों में लाभदायक है।
इस मुद्रा से अनामिका अंगुली द्वारा अंगूठे के मूल में स्थित थायरायड ग्रन्थि के केन्द्र बिंदु पर दबाव पड़ने से थायरायड के
रोग दूर होते हैं। थायरायड ग्रन्थि के कम स्त्राव ;ीलचवजीलतवपकद्ध के कारण होने वाला मोटापा कम होता है।
सूर्य मुद्रा करने से नैत्र ज्योति बढ़ती है और मोतियाबिंद भी दूर होता है।
शरीर की चयापचय ;उमजंइवसपेउद्ध क्रिया ठीक होने से कोलेस्ट्रोल कम होता है।
तीव्र सिर दर्द में इससे तुरंत लाभ मिलता है।
सूर्य मुद्रा से मानसिक तनाव दूर होता है।
श्रीवर्द्धन लेखक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक हैं।
साथ ही योग, प्राणायाम, एक्यूप्रेशर एवं मुद्रा विज्ञान
के सिद्धहस्त एवं अभिनव शोधकर्ता भी हैं।