भारत के प्राचीन ऋषि मनीषियों ने लम्बी साधना एवं गहन अध्ययन के द्वारा शरीर को स्वस्थ एवं दीर्घायु रखने के लिये विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों को विकसित किया। उनमें से ‘‘मुद्रा विज्ञान’’ एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है जिसमें हाथों की अंगुलियों व अँगूठे के उपयोग के द्वारा ही चिकित्सा का लाभ प्राप्त किया जा सकता है। चिकित्सा पद्धति में हठ योग के आसन, प्राणायाम एवं बंध की कुछ जानकारी अधिकांश लोगों को है परन्तु मुद्राओं की जानकारी एवं उनके अद्भुत प्रभाव से अधिकांश जन अपरिचित हैं। आइए, कुछ मुद्राएँ और उनके प्रभाव से परिचित होते है –
प्राणायाम/नासिका मुद्रा
विधि :- यह मुद्रा दाहिने हाथ से करनी है। दाहिने हाथ के अँगूठे के पास वाली दोनों अंगुलियों क्रमशः तर्जनी व मध्यमा को मोड़कर अँगूठे के मूल में लगाकर अँगूठे से हल्का दबाएँ। शेष दोनों अंगुलियों अनामिका व कनिष्ठा को सीधा ही रखना है।
सावधानी :- प्राणायाम – नाड़ी शोधन (अनुलोम-विलोम) सूर्य भेदी, चन्द्र भेदी प्राणायाम करते समय इसका उपयोग होता है।
इसका उपयोग करते समय यह ध्यान रखना आवश्यक है कि बायाँ स्वर (चन्द्र स्वर) ठंडा एवं दाहिना स्वर (सूर्य स्वर) गर्म होता है। अतः अँगूठे को दाहिनी ओर ही उपयोग करना है क्योंकि अंगूठा अग्नि तत्व को दर्शाता है जो गर्म ही है।
लाभ :- इससे वायु मुद्रा एवं शून्य मुद्रा का उपयोग एक साथ होने से शरीर में वायु के कारण होने वाला दर्द समाप्त होता है एवं शून्य मुद्रा के कारण ध्वनि प्रदूषण का प्रभाव कम होने से मन भी शान्त होता है।
कब्ज नाशक मुद्राएँ
शुचि मुद्रा
विधि :- सबसे पहले दोनों हाथों की मुट्ठियां अंगूठा अंदर रखते हुए बंद करके अपने सीने पर रखें, अब बायां हाथ सीने पर ही रखकर श्वास भरें, दाहिने हाथ को सामने की ओर सीधा करें और तर्जनी अंगुली को ऊपर की ओर सीधा रखें। इसके बाद दाहिने हाथ की मुट्ठी सीने पर रखें, बायें हाथ को सीधा करते हुए तर्जनी अंगुली को ऊपर की ओर रखें। इस क्रिया को 6 से 12 बार करें।
अवधि :- यदि पुराने कब्ज की शिकायत है तो उपरोक्त क्रिया को दिन में चार बार करें। यदि कम है तो दिन में दो बार करना ही पर्याप्त है।
लाभ :- यह मुद्रा नाम के अनुसार ही गुण रखती है। शुचि का अर्थ होता है सफाई। यह बड़ी आंत की सफाई में बहुत उपयोगी है। इसके साथ मुष्टि मुद्रा भी करना अच्छा रहेगा।
श्रीवर्द्धन
लेखक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक हैं।
साथ ही योग, प्राणायाम, एक्यूप्रेशर एवं मुद्रा विज्ञान
के सिद्धहस्त एवं अभिनव शोधकर्ता भी हैं।