सालूमदरा थीमक्का यानी की वृक्ष माता कर्नाटक की रहने वाली हैं। इन्हांने अपने जीवन में कुल आठ हजार पेड़ लगाये हैं। इसमें चार सौ पेड़ बरगद के शामिल हैं। उन पेड़ों को लगाकर उनकी देखभाल करते हुए उन्हें बड़ा किया है और आज वो फल भी दे रहे है और प्राणवायु ऑक्सीजन भी।
कैसे बनी वृक्षमाताः इनके वृक्षमाता बनने की कहानी भी कम रोचक नहीं है। इनकी शादी के कई साल बाद तक इनके घर कोई संतान नहीं हुई। इससे परेशान और मानसिक रूप से तंग आकर इन्होंने आत्महत्या करने का विचार किया। ये उस समय उम्र के चौथे दशक में थी और बच्चे की उम्मीद अब पूरी तरह से छोड़ चुकी थी।
लेकिन इन्हांने कुछ और सोचा और ये फैसला कर लिया की अब वो पेड़ों को ही अपनी संतान बनाएगी और ऐसी सैंकड़ों संतानें उत्पन्न करेगी। फिर क्या था शुरू कर दिए पेड़ लगाने और आज 107 साल की उम्र तक इन्होंने आठ हजार पेड़ लगाये हैं। इनका नाम थीमक्का है, जबकि इन्हें ‘सालूमरदा’ की उपाधि मिली है। दरअसल सालूमरदा शब्द का अर्थ कन्नड़ भाषा में होता है ‘वृक्षों की पंक्ति’।
लगातार एक ही पंक्ति में कई सारे पेड़ लगाने के बाद इन्हें ये सम्मान मिला। 65 साल का ये सफ़र आज भी जारी है। इनके पति की मौत साल 1991 में हो गई थी लेकिन उसके बाद इनके अंदर और अधिक हिम्मत आ गई तथा इन्होंने और अधिक पेड़ लगाने शुरू कर दिए। इसके बाद इन्होंने एक बेटा गोद लिया, जिसका नाम उमेश रखा है।
सम्मानों से भरा है घरः ऐसा नहीं है की पहली बार थीमक्का को कोई सम्मान मिला है। हालाँकि पद्मश्री तो पहली बार ही है लेकिन इससे पहले भी उन्हें कई सारे पुरस्कार मिल चुके हैं। आपका घर स्मृति चिÐों और सम्मानों से भरा हुआ है। कर्णाटक सरकार ने इनके नाम से पर्यावरण की योजना भी चलाई हुई है।
लेकिन सरकार से अभी तक इन्हें कुछ ख़ास नहीं मिला यानी की आर्थिक सहयोग। अब भी ये वृद्धवस्था पेंशन से अपना गुजारा करतीं हैं। इन्हें पांच सौ रुपये मिलते है और उसी से इनका काम चलता है। बीती सरकारों ने इन्हें दो करोड़ रुपये नगद और जमीन देने का वादा किया था लेकिन आज तक वो बड़ा पूरा नहीं हुआ। इस बात से थीमक्का नाराज भी है।
पल बना ऐतिहासिकः राष्ट्रपति भवन अपने प्रोटोकॉल के लिए मशहूर है। जब कोई वहां पुरस्कार लेने जाता है तो उसे हजारों नियम समझाएं जाते हैं और सब उसका अनुसरण भी करते हैं। लेकिन एक बूढ़ी महिला ने अपने बेटे जैसे राष्ट्रपति के माथे को छूकर उन्हें आशीर्वाद दिया तो प्रधानमंत्री समेत सभी बड़े नेता मुस्कुराते रह गए। वो पल ऐतिहासिक हो गया जो हमेशा हमेशा के लिए भारत में याद किया जाएगा।
अगर आपसे कोई पूछे की आपने जीवन में कितने पेड़ लगाये तो शायद आप कहेंगे की एक, दो या फिर दस। हो सकता है किसी ने हजार लगाये हों, लेकिन थीमक्का ने आठ हजार पेड़ लगाये हैं। उनकी देखभाल और मौसम के हिसाब से उन्हें बचाकर रखना भी इनकी जिम्मेदारी थी। ऐसी महान हस्ती का आज दुनिया सम्मान कर रही है।
तरुण शर्मा