प्रभु राम तो भारत की आत्मा के कण-कण से जुड़े हुए हैं, राम के विचार मानस के साथ ही जनमानस में भी हो यही राष्ट्र निर्माण की सीढ़ी भी है : प्रधानमंत्री मोदी
राम भारत की आस्था हैं, राम भारत का आधार हैं। राम भारत का विचार हैं, राम भारत का विधान हैं। राम भारत की चेतना हैं, राम भारत का चिंतन हैं। राम भारत की प्रतिष्ठा हैं, राम भारत का प्रताप हैं। राम प्रवाह हैं, राम प्रभाव हैं। राम नेति भी हैं, राम नीति भी हैं। राम नित्यता भी हैं, राम निरंतरता भी हैं। राम विभु हैं, विशद हैं। राम व्यापक हैं, विश्व हैं, विश्वात्मा हैं। ये मंदिर, मात्र एक देव मंदिर नहीं है। ये भारत की दृष्टि का, भारत के दर्शन का, भारत के दिग्दर्शन का मंदिर है। ये राम के रूप में राष्ट्र चेतना का मंदिर है।
म व्यापक हैं, विश्व है, विश्वात्मा हैं। जब राम की प्रतिष्ठा होती है तो उसका प्रभाव वर्षों, शताब्दियों तक नहीं होता, हजारों वर्षों के लिए होता है। अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हो गई है। 500 वर्षों से अधिक का इंतजार खत्म हो गया है। रामलला राम मंदिर के गर्भगृह में विराजमान हो गए हैं। प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर प्रभु श्रीरामलला स्वर्ण आभूषणों से लदे नजर आए। उनकी आभा देखते ही बन रही थी।
अयोध्या में आखिर रामलला विराजमान हो गए। पूरे विधि-विधान के साथ भगवान के बाल रूप की प्राण प्रतिष्ठा हुई। शृँगार युक्त मूर्ति में भगवान के पूरे स्वरूप को देखा जा सकता है। तस्वीर में रामलला माथे पर तिलक लगाए बेहद सौम्य मुद्रा में दिख रहे हैं।
गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा के समय पीएम मोदी के अलावा संघ प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद रहे। अभिजीत मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा की गई। प्रधानमंत्री ने मंगलधुनों के बीच प्राण प्रतिष्ठा की। इस दौरान, पीएम के अलावा सीएम योगी आदित्यनाथ और यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल मौजूद रहीं।
राम मंदिर में भगवान राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारी कई पीढ़ियों ने वियोग सहा है। हम इतनी सदियों तक ये कार्य नहीं कर पाए। प्रभु श्री राम हमें अवश्य क्षमा करेंगे। लँबे वियोग से आई आपत्ति का अंत हो गया है। प्रभु राम को लेकर न्याय की लंबी लड़ाई चली। न्यायपालिका ने न्याय की लाज रख ली है। अब कालचक्र फिर से बदलेगा। पीएम ने कहा- ये अवसर विजय का ही नहीं, विनय का भी है।
राम मंदिर में प्रवेश करते समय पीएम मोदी नंगे पैर थे। वह हाथ में छत्र और वस्त्र लिए हुए थे। इसे उन्होंने रामलला को अर्पित किया। इस दौरान दर्शक दीर्घा में बैठे साधु और संत काफी खुश और उत्साह से भरे नजर आ रहे थे। पीएम नरेंद्र मोदी ने हाथ में कमल का फूल लेकर उन्होंने अनुष्ठान विधियों को आरंभ किया। इस दौरान अस्थाई मंदिर में विराजमान रहे रामलला की मूर्ति भी सामने रखी रही। प्राण-प्रतिष्ठा के दौरान पीएम मोदी राम भक्ति में सराबोर दिखे।
इस दौरान पीएम मोदी ने रामलला के सामने साष्टांग दंडवत प्रणाम किया और रामलला के मुख्य पुजारी नृत्य गोपाल दास के भी पैर छुए। पीएम मोदी की यह तस्वीर लोगों को काफी पसंद आ रही है। जब साल 2020 में राम मंदिर का शिलान्यास हुआ था। उस दौरान भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दंडवत होकर भगवान राम को प्रणाम किया और उनका आशीर्वाद लिया था।
रामलला के दर्शन करने के लिए देशभर की हस्तियाँ पहुँची हैं। बिजनेस जगत से मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी परिवार समेत पहुँचे हैं। फिल्म जगत से अमिताभ बच्चन, रणवीर कपूर, विक्की कौशल, कटरीना कैफ, रोहित शेट्टी, आलिया भट्ट पहुँची हैं। क्रिकेट जगत से सचिन तेंदुलकर पहुँचे हैं। गायकी की दुनिया से सोनू निगम, अनु मलिक, शंकर महादेवन, अनुराधा पौडवाल पहुँची हैं।
प्रधानमंत्री ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अपने मन के भाव प्रकट करते हुए कहा कि हमारे रामलला अब टेंट में नहीं रहेंगे। हमारे रामलला अब दिव्य मंदिर में रहेंगे। ये क्षण अलौकिक है और ये समय दर्शाता है कि प्रभु राम का आशीर्वाद हमारे साथ है। 22 जनवरी केवल एक तारीख नहीं है बल्कि नए कालचक्र का उद्गम है। निर्माण कार्य देखकर देशवासियों में हर दिन एक नया विश्वास पैदा हो रहा था। आज हमें सदियों के उस धैर्य की धरोहर मिली है, आज हमें राम का मंदिर मिला है।
गुलामी की मानसिकता को तोड़कर राष्ट्र उठखड़ा हो गया है। अतीत के हर दंश से हौसला लेता हुआ राष्ट्र ऐसे ही नव इतिहास का सृजन करता है। आज से हजार साल बाद भी लोग आज की इस तारीख की, आज के इस पल की चर्चा करेंगे।
मैं भगवान राम से क्षमा माँगता हूँः पीएम
पीएम ने कहा कि मैं दैवीय अनुभव महसूस कर रहा हूँ। मैं इन दिव्य चेतनाओं को नमन करता हूँ। मैं प्रभु श्रीराम से आज क्षमा याचना भी करता हूँ। हमारे पुरुषार्थ और हमारे त्याग तपस्या में कुछ तो कमी रह गई होगी, जो हम इतनी सदियों तक ये कार्य कर नहीं पाए। आज वो कमी पूरी हुई है। मुझे विश्वास है कि प्रभु राम आज हमें अवश्य क्षमा करेंगे। पीएम मोदी ने कहा कि कितना कुछ कहने को है। लेकिन कंठ अवरुद्ध है। मेरा शरीर अभी भी स्पंदित है। चित्त अभी भी उस कल में लीन है।
रामलला की मूर्ति की विशेषता
भगवान राम के बाल रूप की मूर्ति को गर्भ गृह में स्थापना के बाद अभिजीत मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा कर दी गई है। तस्वीर में रामलला माथे पर तिलक लगाए बेहद सौम्य मुद्रा में दिख रहे हैं। आभूषण और वस्त्रों से सुसज्जित रामलला के चेहरे पर भक्तों का मन मोह लेने वाली मुस्कान दिखाई दे रही है। कानों में कुंडल तो पैरों में कड़े पहने हुए हैं। मूर्ति के नीचे आभामंडल में चारों भाइयों राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की छोटी-छोटी मूर्तियों की पूजा की गई है।
करीब 200 किलोग्राम वजनी है मूर्ति
मूर्ति की विशेषताएँ देखें तो इसमें कई तरह की खूबियाँ हैं। मूर्ति का वजन करीब 200 किलोग्राम है। इसकी कुल ऊँचाई 4.24 फीट, जबकि चौड़ाई तीन फीट है। कमल दल पर खड़ी मुद्रा में मूर्ति, हाथ में तीर और धनुष है। कृष्ण शैली में मूर्ति बनाई गई है। मूर्ति श्याम शिला से बनाई गई है, जिसकी आयु हजारों साल होती है। मूर्ति को जल से कोई नुकसान नहीं होगा। चंदन, रोली आदि लगाने से भी मूर्ति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
और क्या खास है?
रामलला के चारों ओर आभामंडल है। मूर्ति के ऊपर स्वास्तिक, ?, चक्र, गदा, सूर्य भगवान विराजमान हैं। श्रीराम की भुजाएँ घुटनों तक लंबी हैं। मस्तक सुंदर, आँखें बड़ी और ललाट भव्य है। भगवान राम का दाहिना हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में है। मूर्ति में भगवान विष्णु के 10 अवतार दिखाई दे रहे हैं। मूर्ति नीचे एक ओर भगवान राम के अनन्य भक्त हनुमान जी तो दूसरी ओर गरुड़ जी को उकेरा गया है।
मूर्ति में पाँच साल के बच्चे की बाल सुलभ कोमलता झलक रही है। मूर्ति को मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया है। इससे पहले श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अधिकारियों ने जानकारी दी थी कि जिस मूर्ति का चयन हुआ उसमें बालत्व, देवत्व और एक राजकुमार तीनों की छवि दिखाई दे रही है।
कठिन था मूर्ति का चयन
अयोध्या के श्रीराम मंदिर में तीन मूर्तियों को स्थापित किया गया हैं, जिसमें से एक मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित किया गया है। इनके बनने के बाद सबसे बड़ा सवाल तो यह था कि गर्भ गृह में किस रूप में रामलला विराजमान होंगे। मूर्तिकारों ने तीनों मूर्तियों को इतना सुंदर बनाया कि चयन करना कठिन हो रहा था कि कौन सी सुंदर है और कौन सी उतनी नहीं है। अंततः बाल रूप वाली मूर्ति को राम मंदिर के गर्भ गृह में विराजने का फैसला लिया गया।
पीएम मोदी ने की रामलला की प्राण प्रतिष्ठा
इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए देशभर से नेता, अभिनेता, साधु-संत इत्यादि लोग पहुँचे हैं। बता दें कि यह एक ऐतिहासिक पल है। आज का हर भारतीय इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी है। कई लोगों ने अपने जीवन काल में बाबरी के विध्वंस और राम मंदिर के निर्माण तथा रामलला की प्राण प्रतिष्ठा तीनों को ही देख लिया। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान गर्भगृह में पीएम नरेंद्र मोदी, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, राज्य की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, सरसंघचालक मोहन भागवत मौजूद थे।
हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा
प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व मन्दिर परिसर में 30 कलाकारों ने अलग- अलग वाद्य यंत्रों का वादन किया। ये सभी वाद्य यंत्र अलग- अलग राज्यों के लेकिन भारतीयता के पहचान हैं। इस दौरान भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर द्वारा मेहमानों पर फूलों की वर्षा भी की गई। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के मद्देनजर अयोध्या को कई दिनों पहले से ही सजाने की कवायद शुरू हो गई थी। इसका परिणाम है कि आज अयोध्या पहुँचे हर शख्स ने अयोध्या की तारीफ की।
राम मंदिर का निर्माण करने वाले श्रमिकों पर बरसाए फूल
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रमिकों पर फूल बरसाए। उन्होंने सभी श्रमिकों से मुलाकात करते हुए कहा कि आपने एक ऐसा काम किया है, जिसका कई सदियों से इंतजार किया जा रहा था। अपने राम मंदिर को बेहद ही भव्य बनाया है। आप सभी की प्रशंसा पूरा सनातन समाज कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आप सभी श्रमजीवियों के साथ पूरे देश और समाज की शुभकामनाएँ हैं और आशीर्वाद है।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आपने इतने कम समय में इतना भव्य मंदिर बनाया है, यह बेहद ही अद्भुत कार्य है। उन्होंने श्रमिकों से कहा कि अब हमें इस काम की गति को और भी बढ़ाना है लेकिन बेहद ही सावधानी के साथ। यह मंदिर अपने आप में ही एक इतिहास है और इसे संवारने का काम श्रमिकों ने किया है।
भावुक हुए सीएम योगी
प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद सीएम योगी ने लोगों को संबोधित किया। सीएम योगी इस मौके पर काफी भावुक दिखे। उन्होंने कहा कि इस समय भावनाओं को व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं मिल रहे हैं। मन भावुक है, निश्चित रूप से आप सभी ऐसा महसूस कर रहे होंगे।
ऐसा लगता है कि हम त्रेतायुग में आ गए
सीएम योगी ने कहा कि इस पावन अवसर पर भारत का हर नगर, हर ग्राम अयोध्या धाम है। आज हर मार्ग श्रीराम जन्मभूमि की ओर आ रहा है। लोगों के रोम रोम में राम रमे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि हम त्रेतायुग में आ गए हैं। आज मन में संतोष के भाव हैं। आखिर भारत को इसी दिन की प्रतीक्षा थी, इस दिन को आने में लगभग 5 शताब्दी का समय व्यतीत हो गया, किंतु प्रतीक्षा का क्रम सतत जारी रहा। आज इस अवसर पर आत्मा प्रफुल्लित है और मन इस बात से प्रफुल्लित है कि मंदिर वहीं बना है, जहाँ बनाने का संकल्प लिया था।
भाग्यशाली है आज की पीढ़ी
उन्होंने कहा कि वो पीढ़ी भाग्यशाली है, जो इस राम काज के साक्षी बन रहे हैं। राम का जीवन हमें संयम की शिक्षा देता है। हर कोई अयोध्या आने को आतुर है। ये धर्म नगरी विश्व की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में प्रतीत हो रही है। सीएम योगी ने कहा कि डबल इंजन की सरकार के प्रयास से अयोध्या का विकास हो रहा है। आज यहाँ अयोध्या के भौतिक विकास के लिए हजारों-करोड़ रुपये लग रहे हैं। नई अयोध्या में भविष्य की जरूरतों को देखते हुए सभी नगरीय सुविधाएँ विकसित की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि ये एक विश्वास की विजय है। लोक आस्था, जनविकास की विजय है।
हमें संयम में रहना होगा : मोहन भागवत
अयोध्या में भव्य राममंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि भगवान राम 14 वर्ष वनवास में रहकर, बाहर के कलह मिटाकर अयोध्या वापस आये थे। अब दोबारा राम जी अपने घर वापस आये हैं। अब हमें आपसी कलह को मिटाकर आगे बढ़ना होगा। अयोध्या में कोई कलह नहीं है। छोटे-छोटे विवादों को पीछे छोड़ना पड़ेगा। हमें अपने को संयम में रखना होगा।
जिस धर्म स्थापना विश्व में करने के लिए श्री राम का अवतार हुआ था। उस धर्म स्थापना को अपने आचरण से अपने देश में उत्पन्न करना ये अपना कर्तव्य बनता है। राम राज्य के नागरिक कैसे थे? वे निरदम्भ, प्रामाणिकता से व्यवहार करने वाले, धर्मरथ थे। श्रीमद भागवत में धर्म के
चार मूल्य बताए गए हैं- सत्य, करुणा, शुचिता, तपस। इसका आज युगनुकूल आचरण हो।
पीएम मोदी की तारीफ करते हुए भागवत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहाँ आने से पहले कठोर तप रखा। जितना कठोर तप रखा जाना चाहिए था, उससे ज्यादा कठिन तप रखा। मेरा उनसे पुराना परिचय है। मैं जानता हूँ, वे तपस्वी हैं ही। प्रधानमंत्री ने तप किया, अब हमें भी तप करना है।
राम मंदिर के लिए पूरे भारत से योगदान आया है
अयोध्या में राम मंदिर का भूतल बनकर तैयार हो चुका है। राम मंदिर के गर्भ गृह में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा पूरी हो चुकी है। प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर रामजन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बड़ी जानकारी देते हुए बताया कि राम मंदिर के निर्माण में देश के कोने-कोने से योगदान आया है।
देशभर से आया दान
चंपत राय ने बताया है कि राम मंदिर के लिए देशभर से दोनों हाथों से दान किया है। उन्होंने कहा कि देश का ऐसा कोई कोना नहीं रहा जहां से प्रभु राम के लिए कोई उपहार न आया हो। उन्होंने बताया है कि मंदिर के लिए घंटा कासगंज से आया तो नीचे पड़ने वाली राख रायबरेली से आई है। मध्य प्रदेश के छतरपुर से गिट्टी तो वहीं, तेलांगाना से ग्रेनाइट आया है।
मार्बल मकराना से आया
मंदिर के पत्थर राजस्थान के भरतपुर और मार्बल मकराना से आए हैं। राम मंदिर के दरवाजों की लकड़ी महाराष्ट से आई है और उसपर सोने और डायमंड का काम मुंबई के एक व्यापारी ने किया है। उन्होंने बताया कि लकड़ी के काम के कारीगर तमिलनाडु के कन्याकुमारी के हैं। वहीं, भगवान के वस्त्र दिल्ली के एक युवक ने बनाए हैं। भगवान के आभूषण लखनऊ से बनवाए गए हैं।
41 साल के हैं अरुण योगीराज
चंपत राय ने बताया है कि रामलला की मूर्ति का पत्थर कर्नाटक का है। इसे बनाने वाले अरुण योगीराज भी कर्नाटक के हैं और वह केवल 41 साल के हैं। उन्होंने इससे पहले इंडिया गेट पर सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति भी डिजाईन की है। चंपत राय ने ये भी बताया कि भगवान राम के आभूषणों की नक्काशी राजस्थान में की गई है।
गोपाल लाल माली