पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) मूल कश्मीर का वह भाग है, जिसकी सीमाएँ पाकिस्तानी पंजाब, उत्तर- पश्चिम में अफगानिस्तान के वाखान गलियारे से, चीन के जिन्जियांग क्षेत्र से और पूर्व में भारतीय कश्मीर से लगती हैं। यदि गिलगिट-बल्टिस्तान को हटा दिया जाए तो आजाद कश्मीर का क्षेत्रफल 13,300 वर्ग किलोमीटर (भारतीय कश्मीर का लगभग 3 गुना) पर फैला है और इसकी आबादी लगभग 40 लाख है। पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद है और इसमें आठ जिले, 19 तहसीलें और 182 संघीय परिषद हैं।
पाक अधिकृत कश्मीर, ऐतिहासिक रूप से जम्मू और कश्मीर की तत्कालीन रियासत का हिस्सा था जिस पर १९४७ में पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्ज़ा कर लिया गया था। लेकिन इस कब्जे को नाकाम करने के पहले कश्मीर के राजा हरि सिंह और प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के बीच इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेस पर समझौता हुआ था जिसके बाद कश्मीर भारत का हिस्सा बन गया था। इस कारण पाक अधिकृत कश्मीर भी वर्तमान भारत का अभिन्न भाग है।
सन १९४७ में भारत की स्वतंत्रता के समय, अंग्रेजों ने रियासतों पर अपना दावा छोड़ दिया और उन्हें भारत या पाकिस्तान में शामिल होने या स्वतंत्र रहने के विकल्पों पर निर्णय लेने की आजादी दी। जम्मू और कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने भारत और पाकिस्तान किसी को नहीं चुना और जम्मू और कश्मीर एक स्वतंत्र प्रभुत्व वाला देश बनाना तय किया था।
जम्मू और कश्मीर की तत्कालीन जनसांख्यिकी
सन १९४७ में जम्मू और कश्मीर राज्य में बहुत जनसांख्यिकीय विविधता थी। कश्मीर की घाटी, सबसे अधिक आबादी वाला क्षेत्र और ऐतिहासिक रूप से शक्तिशाली राज्य था, जिसमें अफगान-तुर्क और अरब लोगों की आबादी थी। इसलिए यहाँ की जनसंख्या ९७’ मुस्लिम और शेष ३’ धार्मिक अल्पसंख्यक थे, जो कि ज्यादातर कश्मीरी पंडित समुदाय से थे।
जम्मू संभाग के पूर्वी जिलों में एक हिंदू बहुसंख्यक आबादी सांस्कृतिक रूप से हिमाचल प्रदेश की तरफ लगाव रखती थी जबकि दूसरी ओर पश्चिमी जिलों जैसे कोटली, पुँछ और मीरपुर में मुस्लिम बहुमत था और इनका रूख पाकिस्तान की तरफ था।
जम्मू-कश्मीर पर हमला
सन् १९४७ में पुँछ में महाराजा हरि सिंह के खिलाफ विद्रोह शुरू हो गया था। इस विद्रोह का कारण हरि सिंह द्वारा क्षेत्र में किसान पर दंडात्मक कर लगाना था। पाकिस्तान ने इस मौके का फायदा उठाना चाहा।
अक्टूबर २१, १९४७ को, उ8ारी-पश्चिमी सीमा प्रांत के कई हजार कबाईलियों (पश्तून आदिवासियों) जिन्हें पाकिस्तान की सेना का सब प्रकार का समर्थन प्राप्त था, को आगे कर उनकी आड़ में इस इलाके को महाराज के शासन से मुक्त करने के लिए विद्रोह कर दिया था।
महाराज के सैनिकों ने इस आक्रमण को रोकने की कोशिश की लेकिन पाकिस्तान समर्थक विद्रोह आधुनिक हथियारों से लैस थे और उन्होंने २४ अक्टूबर १९४७ को लगभग पूरे पुँछ जिले पर नियंत्रण हासिल कर लिया था। आक्रमणकारियों ने मुज3फराबाद और बारामूला के शहरों पर कब्ज़ा कर लिया और राज्य की राजधानी श्रीनगर से उ8ार-पश्चिम में बीस मील दूर तक पहुँच गए। उन्होंने इन जिलों में लूट-पाट मचाना शुरू कर दिया, महिलाओं और बच्चियों के साथ दुराचार किए।
इस बिगड़ती स्थिति से विवश होकर महाराजा हरिसिंह ने २४ अक्टूबर १९४७ को भारत से सैन्य मदद की गुहार की तब भारत ने कहा कि वह तभी मदद करेगा जब राजा उसके साथ ‘‘जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय पत्र’’ पर अपने हस्ताक्षर करेंगे।
इस प्रकार महाराजा हरिसिंह ने जम्मू -कश्मीर की रक्षा के लिए शेख़ अब्दुल्ला की सहमति से जवाहर लाल नेहरू के साथ मिलकर २६ अक्टूबर १९४७ को भारत के साथ जम्मू-कश्मीर के अस्थायी विलय की घोषणा कर दी और “Instruments of Accession of Jammu & Kashmir to India” पर अपने हस्ताक्षर कर दिये।
समझौते के बाद भारतीय सैनिकों को तुरंत श्रीनगर ले जाया गया, इसके बाद तो पाकिस्तान की सेना खुलकर भारत के साथ लडऩे लगी। इस हमले का मुँहतोड़ जवाब देने के लिए भारतीय सेना अभियान चला ही रही थी कि युद्ध के दौरान ही भारत सरकार ने इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में उठा दिया। इसके बाद यथास्थिति रखने के लिए कहा गया और तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने युद्ध विराम की घोषणा कर दी। इसके चलते नियंत्रण रेखा बन गई। तभी से कश्मीर विवादित क्षेत्र बन गया। दोनों देशों के बीच यथास्थिति बनाये रखने के लिए समझौता हो गया और जो जिले पाकिस्तान ने हथियाए थे वे उसके पास ही रह गए। इन्हीं हथियाए गए जिलों को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) कहा जाता है जिन्हें पाकिस्तान आजाद कश्मीर कहता है।
पाक अधिकृत कश्मीर के हुन्जा-गिलगित के एक हिस्से रक़सम और बाल्टिस्तान की शस्गम घाटी क्षेत्र को, पाकिस्तान ने १९६३ में चीन को सौंप दिया था। इस क्षेत्र को सीडेड एरिया या ट्रांस काराकोरम ट्रैट भी कहते हैं।
पीओके को लेकर पाकिस्तान की दोहरी नीति है। एक तरफ तो वह इसे आजाद कश्मीर कहता है तो दूसरी ओर यहाँ के प्रशासन और राजनीति में सीधा दखल कर यहाँ के सामाजिक ताने-बाने को बिगाडऩे में लगा है। यहाँ पर बाहरी लोगों को बसा दिया गया है। पीओके का शासन मूलत: इस्लामाबाद से सीधे तौर पर संचालित होता है। आजाद कश्मीर के नाम पर एक प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया गया है, जो इस्लामाबाद का हु1म मानता है।
पाक अधिकृत कश्मीरियों का दर्दः
पिछले ७३ वर्षों में जहाँ गैरमुस्लिम और शियाओं को मार-मारकर भगा दिया गया, वहीं वहाँ रह रहे कश्मीरियों को भी पिछले कुछ दशकों से भगाया जा रहा है। सच तो यह है कि पाक अधिकृत कश्मीर में अब कुछ ही कश्मीरी रहते हैं। उनमें से भी ज्यादातर तो सुन्नी मुसलमान है जिन्होंने शियाओं और पंडितों को वहाँ से भगा दिया है, लेकिन अब वे भी जलालत की जिंदगी जी रहे हैं। जिन शियाओं को भगाया गया वे तो भारत के कश्मीर में आकर बस गए लेकिन पंडित अब पनुन कश्मीर की माँग कर रहे हैं। वहाँ बचे सुन्नियों का एकमात्र काम बचा है हाफिज सईद के लिए काम करना। अब वहाँ कई पंजाबी और दूसरे प्रांत के लोगों को बसा दिया गया है। वहाँ अब कश्मीरी कम ही बोली जाती है। ज्यादातर वहाँ बोली जाने वाली भाषाओं में से एक भी भाषा कश्मीरी से नहीं मिलती-जुलती। वहाँ बोली जाने वाली भाषाएँ हैं- पहाड़ी, मीरपुरी, गुज्जरी, हिन्दको, पंजाबी और पश्तो।
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से आए पंडितों का एक संगठन है जिसका नाम ‘जम्मू-कश्मीर पीओजेके शरणार्थी मोर्चा’ है, जो पिछले कई सालों से अपने अधिकारों के लिए लड़ रहा है लेकिन अभी तक उनके लिए न घर है और न रोजगार। उनकी एक पीढ़ी संघर्ष में समाप्त हो गई। अब तो उनके अस्तित्व पर ही संकट गहराने लगा है।
POK की कैसी है आबोहवा
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के दक्षिणी हिस्से में ८ जिले हैं: नीलम, मीरपुर, भीबर, कोटली, मुजफराबाद, बाग, रावलकोट और सुधनती। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में रहने वाले लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती है। यहाँ मक्का, गेहूँ, वानिकी और पशुधन आय का मुख्य जरिया है। यहाँ पर निम्न श्रेणी के कोयला, चाक और बॉसाइट के भंडार भी हैं। स्थानीय घरेलू उद्योगों में उत्कीर्ण लकड़ी की वस्तुओं को बनाना, वस्त्र और कालीन का उत्पादन किया जाता है। यहाँ मशरूम, शहद, अखरोट, सेब, चेरी, औषधीय जड़ी बूटियों और पौधों की खेती होती है साथ ही साल, देवदार, कैल, चीर, मेपल और जलाने वाली लकडिय़ों के वनों से भी आय होती है।
निष्कर्ष में यह कहा जा सकता है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) मूल कश्मीर क्षेत्र का एक अभिन्न अंग है, जो १९४७ से पाकिस्तान के गैरकानूनी नियंत्रण में है और अगर अब भारत सरकार इस हिस्से को पाकिस्तान से वापस लेने के लिए कूटनीतिक प्रयास कर रही है तो इसमें कोई बुराई नहीं है।
राजेश सैनी