10वीं के बाद क्या करें?’ यह प्रश्न उन लाखों छात्रों और अभिभावकों के दिमाग में कौंध रहा होगा, जो 10वीं के परीक्षा परिणाओं का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। दरअसल, जिंदगी के इस पड़ाव पर एक ऐसा निर्णय लेना है, जिससे न केवल बेहतर भविष्य की बुनियाद पड़ेगी, बल्कि अगले कुछ दिनों में करियर की दिशा भी तय हो जायेगी। अलग-अलग क्षेत्रों में बढ़ती करियर संभावनाओं और तमाम चुनौतियों के बीच करियर के चुनाव को लेकर दबाव और असमंजस का होना स्वाभाविक ही है।
कक्षा 10 की पात्रता पूरा करने वाले कई छात्र जानकारी के अभाव में एक सही करियर तय करने के बारे में भ्रमित ही रहते हैं। कक्षा 10 के बाद सही विषय या पाठ्यक्रम चुनना एक आसान काम नहीं है। एक सफल करियर के लिए, सतर्कता पूर्ण योजना की आवश्यकता है। करियर अन्वेषण, स्वयं के बारे में ज्ञान, निर्णय लेने की क्षमता, भविष्य के लक्ष्यों को सफल करियर की योजना बनाने के लिए आवश्यक आवश्यक तत्वों में प्रमुख माना जा सकता हैं। अपने संभावित करियर का फैसला करने के लिए विद्यार्थी शैक्षिक मेलों, करियर मार्गदर्शन सेमिनारों में भी भाग ले सकते हैं, जो आपको कई संस्थानों और पाठ्यक्रमों की जानकारी उपलब्ध कराते हैं। इसमे वे अपने शिक्षकों, अभिभावकों और बुजुर्गों की सहायता भी ले सकते हैं।
स्नातक और स्नातकोत्तर की तरह आगे के अध्ययन के लिए मजबूत आधार खड़ा करने के लिए, 10 वीं के बाद एक अच्छा विकल्प $2 या पीयूसी का अध्ययन कर रहता है। $2 की विभिन्न धाराओं का चयन छात्रों की योग्यता, ग्रेड और अंकों पर निर्भर करता है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण कारक इस विषय में गहरी दिलचस्पी है और पाठ्यक्रम को चुनने का उद्देश्य है। यह जरूरी है कि विद्यार्थी की अभिरुचि, दक्षता और क्षमता का मूल्यांकन करके 10वीं के बाद उपयुक्त विषय चयन पर आधारित उजली डगर पर विद्यार्थी को आगे बढ़ाया जाए। ऐसा होने पर विद्यार्थी अपनी पूरी शक्ति और परिश्रम से निर्धारित करियर की डगर पर आगे बढ़ पाते हैं। यदि विद्यार्थियों को मालूम हो कि कौन-से कोर्स करियर की ऊँचाई देने वाले हैं? कौन-सी शिक्षण संस्थाएँ वास्तव में श्रेष्ठ हैं? प्रगति के लिए
कौन-सी योग्यता और विशेषता जरूरी है? तो निश्चित रूप से उनका परिश्रम और समय का पूर्णरूपेण सार्थक उपयोग हो पाएगा।
सामान्यतः हाईस्कूल स्तर की 10वीं कक्षा के बाद 11वीं में प्रवेश के समय प्रमुख रूप से पाँच विषयों में से किसी एक विषय को विद्यार्थी द्वारा चुना जाता है। ये विषय हैं- गणित, जीव विज्ञान, कृषि, वाणिज्य तथा कला।
इन मूल विषयों में से किसी एक विषय को चुनने के साथ-साथ कोई एक अतिरिक्त विषय भी लेने की व्यवस्था कई हायर सेकंडरी स्कूलों में उपलब्ध है, जैसे कॉमर्स विथ मैथ्स, बॉयोलॉजी विथ बायोटेक्नॉलॉजी, मैथ्स विथ फिजिकल एजुकेशन आदि। उपयुक्त विषय चुनकर अपनी पढ़ाई के साथ-साथ दो वर्षों तक विद्यार्थी उन प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कर सकता है जिनमें उसे 12वीं के बाद सम्मिलित होना है।
विद्यार्थियों के लिए महत्वपूर्ण :
सही निर्णय लेने की क्षमता का विकास – किसी भी काम की सफलता के पीछे मुख्यतः सही समय पर लिए गए सही निर्णय की ही अहम भूमिका होती है। इसलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले अपने सीनियर्स, टीचर्स या माता-पिता तथा अभिभावकों की राय अवश्य लेनी चाहिए। इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि यह बात सही है कि इस निर्णय का प्रभाव दूरगामी होता है लेकिन यह आपके जीवन का आखिरी निर्णय नहीं होता है। वस्तुतः निर्णय लेने की क्षमता जैसी योग्यता की माँगॉ बमार्केट में बहुत ज्यादा होती है। आप चाहे किसी भी क्षेत्र में जाएँ हर जगह आपकी इस योग्यता की परख की जाती है और इसी पर आपका करियर कुछ हद तक डिपेंड करता है। इसलिए दसवीं के बाद आप सही निर्णय लेने की कोशिश करते हैं, जिससे आपकी तार्किक क्षमता का विकास होता है और इसी दौरान आप जीवन से जुड़े पहलुओं पर गौर करना सीखते हैं।
इससे आपको अपने अनुसार चयन करने की स्वतन्त्रता मिलती है- अभी तक आपसे जुड़े हर चीज का निर्णय आपके माता पिता या अभिभावकों द्वारा लिया जाता है लेकिन दसवीं के बाद आप अपने करियर से जुड़े विकल्प को चुनने के लिए स्वतंत्र होते हैं। इसलिए दसवीं के बाद मुझे क्या करना है? इस महत्वपूर्ण निर्णय को अब आपको ही लेना होता है। हो सकता है कि बहुत सारे करियर विकल्पों की उपस्थिति में आप थोड़ा बहुत कन्फ्यूज हो जाएँ लेकिन अत्यधिक सूक्ष्म परीक्षण और डिस्कशन के बाद आप सशक्ततापूर्वक अपने लिए फायदेमंद और तार्किक रूप से संगत करियर विकल्प का चयन अपने लिए कर सकते हैं।
10 वीं के बाद विषय चयन और करियर का निर्धारण करते समय कुछ और बातों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। यदि विद्यार्थी औसत योग्यता का है या फिर उसे पारिवारिक परिस्थिति के कारण जल्दी धनार्जन करना आवश्यक है तो उसे 10 वीं के बाद ऐसे कोर्स चुनने चाहिए, जो 12 वीं कक्षा की पढ़ाई तक विद्यार्थी का व्यवसायी कौशल बढ़ाकर उसे रोजगार दिला सकें। इस संदर्भ में स्वरोजगार, कृषि, तकनीकी, पैरामेडिकल, कम्प्यूटर और कॉमर्स इत्यादि क्षेत्रों में ऐसे कई रोजगार उपलब्ध हैं, जो छोटे-छोटे डिप्लोमा करने के बाद शुरू किए जा सकते हैं।
यदि आप विज्ञान धारा चुन रहे हैं, तो आपके पास $2 स्तर के बाद वाणिज्य या कला क्षेत्र में वापस आने का विकल्प है। विज्ञान धारा के छात्रों के लिए बहुत सारे विकल्प उपलब्ध हैं। वे या तो इंजीनियरिंग, चिकित्सा, प्रबंधन आदि जैसे पारंपरिक पाठ्यक्रमों को ले सकते हैं या वर्तमान परिदृश्य में कई अन्य आगामी विकल्पों के लिए जा सकते हैं। यदि आप $2 स्तर में वाणिज्य स्ट्रीम चुन रहे हैं, तो आप बाद के स्तर पर कला क्षेत्र में पाठ्यक्रम लेने का विकल्प प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन विज्ञान क्षेत्र के लिए नहीं जा सकते।
विज्ञान वर्ग में छात्रों का विशेष आकर्षण
रिसर्च से लेकर कॉरपोरेट तक, एकेडमिक्स से लेकर स्टार्टअप तक तमाम संभावनाओं से भरे होने की वजह से बड़ी संख्या में भारतीय छात्र विज्ञान वर्ग में प्रवेश लेते हैं। दरअसल, 12वीं के बाद छात्र मेडिसिन, इंजीनियरिंग के अलावा छात्र एग्रीकल्चर, पैरामेडिकल, एन्वायर्नमेंट, कंप्यूटर साइंस व कंप्यूटर एप्लीकेशन जैसे कई क्षेत्रों में करियर बना सकते हैं।
पीसीएम ग्रुप : इंजीनियरिंग में करियर का सपना देख रहे छात्रों के लिए पीसीएम विषय यानी फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स न केवल अनिवार्य है, बल्कि इन विषयों पर पकड़ मजबूत किये बिना किसी भी प्रवेश परीक्षा में सफल नहीं हुआ जा सकता। आईआईटी, एनआईटी आदि संस्थानों की प्रवेश परीक्षाओं में सफलता 11वीं और 12वीं की तैयारी के स्तर पर निर्भर करता है। पीसीएम चुनने से पहले इन विषयों पर अपना रुझान और रुचि जरूर देखें। इस स्ट्रीम में जहां एक ओर, बेहतर करियर के विकल्प मौजूद हैं, वहीं दूसरी प्रोफेशनल्स की दिनोंदिन बढ़ती संख्या से प्रतियोगिता कड़ी होती जा रही है।
पीसीबी ग्रुप : मेडिकल, पैरामेडिकल, लाइफ साइंसेज, वेटरनरी, फॉरेंसिक, बायोटेक्नोलॉजी आदि क्षेत्रों में जाने के लिए पीसीबी यानी फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी की पढ़ाई करने होती है। पीसीबी विषयों के साथ 12वीं करने के बाद आप मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं, बायोटेक्नोलॉजी, वेटनरी आदि कोर्स की तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा कई पैरामेडिकल डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्सेज के माध्यम से नौकरी की राह आसान बना सकते हैं।
कॉमर्स में लगातार बढ़ रही हैं संभावनाएँ
इकोनॉमिक्स, एकाउंटेंसी और बिजनेस स्ट्रीम में हाल के वर्षों के हुई तरक्की ने शहरी पृष्ठभूमि के छात्रों के साथ-साथ ग्रामीण पृष्ठभूमि से आनेवाले छात्रों को भी आकर्षित किया है। उच्च शिक्षा में बिजनेस और प्रबंधन की लोकप्रियता वर्षों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सबब बनी हुई है। तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्था के साथ अकाउंट्स और फाइनेंस में लगातार संभावनाएँ बढ़ रही हैं। चार्टर्ड अकाउंटेंसी, कंपनी सेक्रेटरी, बिजनेस मैनेजमेंट और बैंकिंग में अच्छे पैकेज के साथ बढ़ते करियर विकल्पों ने कॉमर्स स्ट्रीम में छात्रों के आकर्षण को बढ़ाया है। कॉमर्स स्ट्रीम में जाने और सफल होने के लिए आपके अंदर एकाग्रता और कड़ी मेहनत के साथ जूझने की क्षमता होनी चाहिए।
कला और मानविकी विषय
इस क्षेत्र में ज्ञान और संभावनाओं की कोई परिधि नहीं होती है। मानविकी विषयों को चुनने से पहले आपको बड़े और दूरगामी लक्ष्यों को तय करना होगा। उदारीकरण के बाद देश में हिंदी, अंग्रेजी के साथ-साथ तमाम विदेशी भाषाओं में कैरियर बनाने के मौके तेजी से बढ़े हैं। भाषाओं की पढ़ाई कर अलग-अलग सरकारी और निजी क्षेत्रों में करियर बना सकते हैं। मानविकी विषयों के साथ पढ़ाई करने वाले छात्र बड़ी संख्या सिविल सेवाओं- आइएएस-आरएएस, आईपीएस आदि की तैयारी करते हैं। इसके अलावा एकेडमिक्स, पत्रकारिता, राजनीति, कानून, मानव संसाधन आदि क्षेत्रों में भी भरपूर मौके होते हैं।
अन्य संभावनाएँ :
ऐसे कई रोजगारमूलक छोटे-छोटे पाठ्यक्रम हैं, जो दो वर्ष में सरलता से पूरे किए जा सकते हैं। जो विद्यार्थी अधिक प्रतिभाशाली हैं, उन्हें उपयुक्त स्नातक और स्नातकोत्तर कोर्स की ओर बढ़ना चाहिए। गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा प्राप्त कर विद्यार्थी करियर के अधिक अच्छे रास्ते पर आगे बढ़ सकते हैं। कॉमर्स के छात्रों के लिए वित्त, बैंकिंग, सीए, सीएम, सीएफए, कास्ट एकाउंटेंसी, बीमा, विपणन, विदेश व्यापार आदि में करियर होते हैं। विज्ञान के छात्रों के लिए इंजीनियरिंग, मेडिकल, बायोटेक्नॉलॉजी, मर्चेंट नेवी, अंतरिक्ष विज्ञान, कम्प्यूटर तथा सूचना प्रौद्योगिकी में अनेक करियर हैं। इतना ही नहीं, गणित, रसायन और भौतिक शास्त्र में विशेषज्ञता किए जाने पर करियर की अपार संभावनाएँ हैं। कला के छात्रों के लिए अर्थशास्त्र, हिन्दी भाषा, अंग्रेजी भाषा, भूगोल, विधि, समाजशास्त्र, राजनीति विज्ञान, मनोविज्ञान आदि मानविकी विषयों में करियर होते हैं। इसके अतिरिक्त भी कई ग्लैमरस और प्रतिष्ठापूर्ण करियर लगभग सभी छात्रों के लिए खुले रहते हैं। एयरलाइंस, ट्रैवल एंड टूरिज्म, विभिन्न प्रकार के प्रबंधन के पाठ्यक्रम, मॉडलिंग, जनसंचार, फैशन डिजाइनिंग आदि।
आत्मविश्लेषण के तहत यदि विद्यार्थी स्वयं आत्ममंथन करे तो उसे करियर को प्रभावित करने वाली कई बातें मालूम हो सकती हैं। स्कूल में उसने किन गतिविधियों में भाग लिया और सफलताएँ पाईं। विद्यार्थी स्वयं सोच सकता है कि उसका स्वभाव कैसा है, वह कल्पनाशील है, दृढ़ निश्चयी है, शांत स्वभाव का है या साहसी है।
करियर निर्माण में जितना महत्व आत्मविश्लेषण का है, उतना ही महत्व कार्य विश्लेषण का भी है। विद्यार्थी को यह मालूम होना चाहिए कि उसे करियर के लिए जो परीक्षाएँ देना होंगी, उनकी प्रकृति कैसी होगी? विद्यार्थियों को यह भी मालूम होना चाहिए कि चूँकि अब सरकारी नौकरियाँ कम होती जा रही हैं, अतएव निजी क्षेत्र की कंपनियों में कर्मचारियों और अधिकारियों के रूप में नौकरी प्राप्त करने के लिए विद्यार्थी किस तरह तैयारी करें। विद्यार्थी को यह भी मालूम होना चाहिए कि वर्तमान में जो करियर उपयुक्त दिखाई दे रहा है, उसकी भविष्य में क्या संभावनाएँ हैं? विद्यार्थी को अपना करियर निर्धारित करते समय पहली करियर प्राथमिकता के साथ-साथ करियर की दूसरी प्राथमिकता के बारे में भी जानकारी होना चाहिए।
अत्यधिक प्रतिस्पर्धा के कारण पहली प्राथमिकता का करियर न मिलने पर दूसरी प्राथमिकता का करियर भी विद्यार्थी को जीवन में चिंता और तनाव से बचा लेता है। सचमुच इस समय देश और दुनिया में भारतीय प्रतिभाओं के लिए करियर अवसरों की कोई कमी नहीं है। 10वीं में सफलता प्राप्त करने वाले छात्रों को चाहिए कि वे उपयुक्त करियर मार्गदर्शन से करियर की उजली डगर पर आगे बढ़ने के लिए करियर प्लानिंग करें।
विद्यार्थी अपनी रुचि, क्षमता और व्यक्तित्व के मूल्यांकन पर आधारित विषय चयन करें। ऐसे विषय चयन और करियर निर्धारण के बाद यदि वे समर्पित परिश्रम और संकल्प के साथ करियर की डगर पर आगे बढ़ेंगे तो उन्हें करियर का भव्य प्रासाद अवश्य प्राप्त होगा।
10 वीं के बाद के कुछ अन्य करियर विकल्प –
औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) और औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्र (आईटीसी)ः श्रम मंत्रालय, भारत सरकार, सरकारी चालित आईटीआई और निजी तौर पर संचालित आईटीसी के तहत गठित प्रशिक्षण संगठन है जो तकनीकी क्षेत्र में प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। आईटीआई पाठ्यक्रम, इलेक्ट्रिशियन, यंत्रकार, फिटर, प्लंबर, टर्नर, वेल्डर आदि जैसी विशिष्ट विषय व्यापार के लिए आवश्यक बुनियादी कौशल प्रदान करने के लिए डिजाइन किए गए हैं और व्यापार के आधार पर पाठ्यक्रम की अवधि एक वर्ष से तीन साल तक बदल सकती है। पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद एक व्यक्ति एक उद्योग में अपने व्यापार में व्यावहारिक प्रशिक्षण ले सकता है। संबंधित व्यापार में एनसीवीटी (व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय परिषद) द्वारा प्रदान किए गए एक राष्ट्रीय व्यापार प्रमाण पत्र (एनटीसी) और इस प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए उसको अखिल भारतीय व्यापार परीक्षा (एआईटीटी) अर्हता प्राप्त करनी होगी। इन लोगों को एक लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद सरकारी रेलवे, दूरसंचार विभाग आदि जैसे सरकारी क्षेत्रों में रोजगार के अवसर मिल सकते हैं।
भारतीय सेना में अवसर : लिखित परीक्षा के आधार पर डॉक यार्ड अपरेंटिस, नाविक, आर्टिफिर अपरेंटिस आदि के रूप में भारतीय नौसेना में नौकरी के अवसर उपलब्ध हैं। मैट्रिक के बाद भारतीय सेना में सैनिकों के पदों पर, भारतीय सेना के सैनिक क्लर्क परीक्षा, भारतीय सेना सैनिक जनरल कर्तव्य (एनईआर) परीक्षा, भारतीय सेना सैनिक तकनीकी (एमईआर) परीक्षा, भारतीय सेना सैनिक नर्सिंग सहायक (एमईआर) परीक्षा आदि अवसर उपलब्ध हैं।
पुलिस बल : शारीरिक परीक्षण और लिखित परीक्षा के आधार पर, विद्यार्थी केंद्रीय पुलिस बल (सीआरपीएफ) में कांस्टेबल (ट्रेडर्स) के रूप में शामिल हो सकता है।
स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (एसएसस): मैट्रिक पास करने वालों के लिए क्लार्क ग्रेड परीक्षा आयोजित करता है।
जो लोग शिक्षण क्षेत्र में दिलचस्पी रखते हैं वे विभिन्न राज्यों में प्राथमिक शिक्षा के विभागों द्वारा नर्सरी और प्राथमिक शिक्षकों के लिए डिप्लोमा पाठ्यक्रम में प्रशिक्षण ले सकते हैं। पॉलिटेक्निक में छात्र 3 वर्षीय इंजीनियरिंग डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा भी बहुत सारे विकल्प विशेष रूप से स्वयं के रोजगार के अवसर स्कूल विशेषज्ञता के आधार पर उपलब्ध हैं।
10 वीं के बाद डिप्लोमा कर तराशे अपना सुनहरा भविष्यः
इन दिनों जॉब ओरिएंटेड कोर्सेस को लेकर स्टूडेंट्स के बीच लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। 10वीं के बाद ऐसे कई डिप्लोमा कोर्स हैं जिन्हें करने के बाद आप जॉब करके अच्छी कमाई कर सकते हैं। डिप्लोमा कोर्स की खासियत ये है कि समय भी कम लगता है और फीस भी ज्यादा नहीं होती।
ज्यादातर विद्यार्थी 10वीं के बाद आगे की पढ़ाई जारी रखते हैं। उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद ही वो करियर की दिशा में आगे बढ़ते है। लेकिन कुछ छात्र ऐसे भी होते हैं जो मजबूरन आगे की पढ़ाई जारी नहीं रख पाते और उन्हे जॉब तलाशनी पड़ती है इसके अलावा कई विद्यार्थी ऐसे भी होते हैं जो समय बचाने के लिए भी आगे की पढाई से अच्छा कोई कोर्स कर जॉब की इच्छा रखते हैं। इन डिप्लोमा कोर्स या सर्टिफिकेट कोर्स के जरिए आप अपनी इच्छा को पूरा कर सकते है। इससे फायदा ये होगा कि सिर्फ प्राइवेट सेक्टर ही नहीं बल्कि सरकारी क्षेत्र में भी आपको नौकरी आसानी से मिल जाएगी।
भारत में टेक्निकल एजुकेशन प्रदान करने वाले पॉलिटेक्निक्स ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) से मान्यता प्राप्त होते हैं। अगर कोई स्टूडेंट टेक्निकल फील्ड में करियर बनाना चाहता है, तो वह दसवीं के बाद किसी पॉलिटेक्निक से इंजीनियरिंग में तीन साल का डिप्लोमा कोर्स कर सकता है। मैकेनिकल, टेक्सटाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, कम्यूनिकेशन, सिविल, ऑटोमोबाइल ब्रांच में इंजीनियरिंग के अलावा सिस्टम मैनेजमेंट, फैशन टेक्नोलॉजी, जैसे आज के हॉट कोर्स में भी डिप्लोमा किया जा सकता है। पॉलिटेक्निक में दाखिले के लिए देश के अलग-अलग राज्यों में स्टेट लेवल पर एंट्रेंस एग्जाम होता है। इसे क्वालिफाई करने वाले स्टूडेंट्स को काउंसलिंग के बाद उनकी मेरिट के मुताबिक एडमिशन दिया जाता है। एंट्रेंस एग्जाम में 10वीं लेवल की मैथ्स, फिजिक्स, केमिस्ट्री के साथ जीके, रीजनिंग से जुड़े सामान्य प्रश्न पूछे जाते हैं। पॉलिटेक्निक डिप्लोमा के आधार पर सरकारी और निजी क्षेत्र के संस्थानों में जूनियर इंजीनियर (जेई) के रूप में नौकरी की शुरूआत की जा सकती है।
कुछ प्रमुख डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के नाम इस प्रकार हैं-
1. इंजीनियरिंग डिप्लोमा-
अगर आप 10वीं के बाद ही इंजीनियर बनने का सपना देख रहे हैं तो बीटेक की चार साल की डिग्री लेने की बजाय इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करके ही नौकरी पा सकते हैं। कई सारे संस्थान और पॉलीटेक्निक कॉलेज इंजीनियरिंग डिप्लोमा करवाते हैं। इसे करने के बाद आपको मिडिल लेवल के जॉब आसानी से मिल सकते हैं। कुछ प्रमुख आकर्षक कोर्स ये हैं –
डिप्लोमा इन इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग
डिप्लोमा इन इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग
डिप्लोमा इन इलेक्ट्रिकल एंड टेलीकम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग
डिप्लोमा इन केमिकल इंजीनियरिंग
डिप्लोमा इन एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग
डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग
डिप्लोमा इन सिविल इंजीनियरिंग
डिप्लोमा इन ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग
डिप्लोमा इन एनवॉयरमेंटल इंजीनियरिंग
डिप्लोमा इन फायर इंजीनियरिंग
डिप्लोमा इन पेट्रोलियम इंजीनियरिंग
डिप्लोमा इन माइनिंग इंजीनियरिंग
डिप्लोमा इन बायोमेडिकल इंजीनियरिंग
2. स्टेनोग्राफी और टाइपिंग-
10वीं के बाद आप स्टेनोग्राफी और टाइपिंग में डिप्लोमा कर सकते हैं। कोर्ट और अन्य कई सरकारी ऑफिस में इस तरह की वैकेंसी निकलती रहती है। जिनके लिए स्टेनो अनिवार्य होता है।
3. कम्प्यूटर हार्डवेयर एवं नेटवर्किंग-
कम्प्यूटर के युग में यह एक बेहतरीन ऑप्शन हो सकता है। लोग अब अधिक से अधिक लैपटॉप, कम्प्यूटर, मोबाइल और अन्य टेक्नोलॉजी पर आधारित चीजों का इस्तेमाल करने लगे हैं। इसी के साथ हार्डवेयर एक्सपर्ट्स की डिमांड भी बढ़र ही है। ऐसे में आप कम्प्यूटर हार्डवेयर और नेटवर्किंग का डिप्लोमा कर के एक अच्छी जॉब मिल सकती है। इस फील्ड में आप कम्प्यूटर रिपेयर और नेटवर्किंग से संबंधित जानकारी प्राप्त करते हैं जो एक अच्छी जॉब दिलाने में हेल्प फुल हो सकती है। वैसे भी आज के समय में सारा काम डिजीटल फॉर्म में होता है। इसलिए आपके लिए यह अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। इस क्षेत्र के प्रमुख कोर्स हैं-
डिप्लोमा इन साइबर सिक्योरिटी
डिप्लोमा इन इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी
डिप्लोमा इन कंप्यूटर साइंस
डिप्लोमा इन सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग
4. होटल मैनेजमेंट-
10वीं कर चुके स्टूडेंट्स के लिए होटल मैनेजमेंट क्षेत्र में करियर बनाने का अच्छा मौका है। इस डिप्लोमा कोर्स के बाद होटल मैनेजमेंट के क्षेत्र में नौकरी मिल सकती है। आज के समय में होटल और हॉस्पिटेलिटी इंडस्ट्री में काफी स्कोप है। ऐसे में यदि आपको हॉस्पिटेलिटी में करियर बनाना है तो आप यह डिप्लोमा कर सकते हैं।
5. आईटीआई-
अगर आपका इंट्रेस्ट मशीनों या कोई स्पेशल क्राफ्ट सीखने में है, तो दसवीं के बाद आपके पास इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट यानी आईटीआई से कई तरह के शॉर्ट टर्म कोर्स करने के ऑप्शंस हैं। भारत सरकार के श्रम मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त ये आईटीआई अपने यहां इंजीनियरिंग और नॉन-इंजीनियरिंग फील्ड से रिलेटेड तमाम तरह के स्किल बेस्ड कोर्स संचालित करते हैं, जैसे ऑटोमोबाइल, डीजल मैकेनिक, इलेक्ट्रिशियन, मोटर ड्राइवर कम मैकेनिक, वेल्डर, फिटर आदि। ये कोर्सेज एक से तीन साल के होते हैं, जिनमें मेरिट के आधार पर दाखिला मिलता है। कोर्स कंप्लीट करने पर प्राइवेट सेक्टर के कारखानों, रेलवे, टेलीकॉम डिपार्टमेंट आदि में जॉब मिल सकती है। चाहें तो खुद का काम भी कर सकते हैं।
6. हेयर डिजाइनिंग-
नई-नई हेयर स्टाइल का क्रेज जिस तरह से लोगों में बढ़ता जा रहा है, उससे हेयर स्टाइलिस्ट, हेयर डिजाइनर की डिमांड बढ़ गई है। जिन्हें इस फील्ड में रुचि है, वे 10वीं के बाद डिप्लोमा इन हेयर डिजाइनिंग कोर्स कर इस फील्ड में एंट्री ले सकते हैं। हेयर डिजाइनिंग में डिप्लोमा कोर्स मात्र चार महीने का है। इसके बाद आपको सैलून, स्पा, होटेल्स, कॉस्मेटिक्स यूनिट्स आदि में काम मिल सकता है। चाहें तो खुद का सैलून भी स्टार्ट कर सकते हैं। इसके अलावा, पेडीक्योर, मेनीक्योर और कॉस्मेटोलॉजी से रिलेटेड कोर्सेज भी हैं, जिन्हें किया जा सकता है।
डिप्लोमा इन ब्यूटी कल्चर
डिप्लोमा इन फैशन डिजाइन
7. पैरामेडिकल
भारत में हेल्थकेयर तेजी से उभरता हुआ सेक्टर है। स्टूडेंट्स 10वीं के बाद डायलिसिस टेक्निशियन, लैब टेक्निशियन, एक्स-रे टेक्निशियन, ऑप्थैल्मिक टेक्नोलॉजी में तीन साल का डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं। इसके अलावा नर्सिंग एंड ट्रेनिंग, मेडिकल रिकॉर्ड मैनेजमेंट में सर्टिफिकेट कोर्स भी किया जा सकता है। कोर्स कंप्लीट करने के बाद प्राइवेट या सरकारी हॉस्पिटल व नर्सिंग होम में जॉब मिल सकती है।
डिप्लोमा इन मेडिकल लैब
इसके अलावा भी कई डिप्लोमा पाठ्यक्रम आपका भविष्य संवार सकते हैं –
डिप्लोमा इन गारमेंट टेक्नोलॉजी
डिप्लोमा इन प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी
डिप्लोमा इन लेदर टेक्नोलॉजी
डिप्लोमा इन आर्किटेक्चर
डिप्लोमा इन एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग
डिप्लोमा इन अपेरल डिजाइन
डिप्लोमा इन बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन
डिप्लोमा इन लाइब्रेरी एंड इनफॉरमेशन साइंस
डिप्लोमा इन इंस्ट्रूमेंटेशन टेक्नोलॉजी
डिप्लोमा इन मरीन इंजीनियरिंग
डिप्लोमा इन प्रोडक्शन
डिप्लोमा इन टेक्सटाइल टेक्नोलॉजी
डिप्लोमा इन इंटीरियर डेकोरेशन
डिप्लोमा इन प्लास्टिक टेक्नोलॉजी
डिप्लोमा इन बायोटेक्नोलॉजी
डिप्लोमा इन फाइन आर्ट्स
सिर्फ यहीं नहीं जहां 3-3 साल के डिप्लोमा कोर्स कर अच्छा करियर बनाया जा सकता है तो वही 6-6 महीने के सर्टिफिकेट कोर्स भी काफी फायदेमंद हो सकते हैं। खास बात ये है कि जिस कोर्स के लिए 12वीं के बाद चार साल लगते हैं वही 10वीं के बाद पॉलीटेक्निक करने पर सिर्फ तीन साल का डिप्लोमा करना होता है जिससे सीधे-सीधे 3 साल बच जाते हैं। वही इंजीनियरिंग डिप्लोमा धारकों को कई सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियां जूनियर करियर बनाने का मौका भी देती हैं।
गिरीश चौबीसा
सन्दर्भ व्यक्ति