परीक्षा के दौरान तनाव होना स्वाभाविक है, लेकिन इसे अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिए। पूर्ण आत्मविश्वास के साथ जब शांत मन से ध्यान केंद्रित कर एक बार सवाल को ढंग से पढ़ा जाए तो सारा उत्तर खुद ब खुद हमारे दिमाग में आ जाता है। क्षमता और संसाधनों से ज्यादा आत्मविश्वास जरूरी होता है। आत्मविश्वास किसी का भाषण सुनने से नहीं आता बल्कि इसे हमें खुद अपने अंदर पैदा करना होता है। अगर आत्मविश्वास नहीं तो देवी-देवता भी कुछ नहीं कर सकते।
डर दूर करने का एक ही उपाय है- ”डर से भिड़ जाओ“। परीक्षा से मन भयभीत है तो इसका केवल एक ही कारण हो सकता है। अपनी पढ़ाई पर पूरा भरोसा नहीं होना- इसका समाधान यह है कि आपको आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए पर्याप्त मेहनत करनी होगी। परीक्षा की तैयारी का मतलब केवल अंतिम दिनों की तैयारी नहीं है। आरम्भ से ही अच्छी पढ़ाई और दोहराना जारी रहना चाहिए जो अधिकतर लोग नहीं करते। इसलिए आखिर के दिनों पर दबाव रहता ही है।
परीक्षा का डर एक आम समस्या है। यह कई छात्रों को प्रभावित करता है और उनके प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है। कुछ विद्यार्थियों को परीक्षा का डर ज्यादा होता है तो वे पूरे समय पढ़ाई में ही लगे रहते हैं। परीक्षा के दिनों में पढ़ाई को गंभीरता से लेना ठीक है पर परीक्षा का तनाव नहीं बनना चाहिए। जो स्टूडेंट्स परीक्षा के दिनों में तरोताजा रहते हैं और अपनी तैयारी पर विश्वास रखते हैं वे अच्छा स्कोर कर जाते हैं। परीक्षा का ज्यादा टेंशन होने पर परीक्षा हॉल में भी चीजों के भूल जाने का डर रहता है। इसलिए ज्यादा अच्छा तो यह है कि परीक्षा को आने दो और अपनी तैयारी पूरी रखो।
समय प्रबंधन में माहिर बनने के लिए समय चुराना सीखे। जी हाँ, इस बात का अवलोकन करें कि दिन में आपके पास कितने घंटे ऐसे हैं, जो खाली होते हैं और जिनका इस्तेमाल आप अपनी पढ़ाई के लिए कर सकते हैं। इस प्रकार जब भी आपको थोड़ा सा भी समय मिले तो उस समय कुछ चुराकर अपनी पढ़ाई में जुट जाएँ। सभी विषयों के लिए एक निश्चित समय का निर्धारण करें। दिन के अलग-अलग घंटों को अलग-अलग विषयों को पढ़ने के लिए निर्धारित करें।
जितनी भी तैयारी करें आत्मविश्वास से करें। कुछ कठिन होने के कारण छूट भी रहा हो तो उसमें अपनी मेहनत जाया न करें। क्योंकि इस तरह ऐसा भी हो सकता है कि आप 10 नंबरों के लिए शेष 90 नंबरों से खिलवाड़ कर रहे हों। ऐसी स्थिति में आपको जो मैटर आसान लगे उसे और अच्छे से तैयार करें। परीक्षा में उन प्रश्नों के आने पर आप उसे किस तरह हल करें, उसका प्रस्तुतीकरण कैसा हो? इस पर ध्यान दें, तो काफी हद तक संभावना है कि कोई कठिन प्रश्न आने पर आपको छोड़ना भी पड़े तो यह अतिरिक्त तैयारी उसे काफी हद तक पूरी कर लेगी। परीक्षा के डर को दूर करने के लिए आप कुछ उपाय कर सकते हैंः
1. तैयारीः
– परीक्षा के लिए अच्छी तरह से तैयारी करना सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक है।
– जब आप अच्छी तरह से तैयार होते हैं, तो आपको आत्मविश्वास महसूस होता है और डर कम होता है।
– एक अध्ययन योजना बनाएँ और उसका पालन करें।
– पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों का अभ्यास करें।
– अपने शिक्षकों से सहायता लें यदि आपको किसी विषय में कठिनाई हो रही है।
2. सकारात्मक सोचः
– सकारात्मक सोच रखना भी महत्वपूर्ण है।
– नकारात्मक विचारों को अपने दिमाग में न आने दें।
– खुद पर विश्वास रखें और अपनी क्षमताओं पर विश्वास रखें।
– याद रखें कि परीक्षा सिर्फ आपके ज्ञान का परीक्षण है, आपकी बुद्धि का नहीं।
3. विश्राम तकनीकः
– परीक्षा से पहले कुछ विश्राम तकनीकों का अभ्यास करें, जैसे कि ध्यान या योग।
– ये तकनीकें आपको शांत करने और तनाव कम करने में मदद कर सकती हैं।
– पर्याप्त नींद लें और स्वस्थ भोजन खाएँ।
4. परीक्षा के दौरानः
– परीक्षा के दौरान शांत रहें और आत्मविश्वास रखें।
– समय का प्रबंधन करें और सभी प्रश्नों का उत्तर देने के लिए पर्याप्त समय दें।
– यदि आपको कोई प्रश्न नहीं आता है, तो घबराएँ नहीं। उसे छोड़ दें और बाद में उस पर वापस आएँ।
– सकारात्मक रहें और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें।
5. परीक्षा के बादः
– परीक्षा के बाद, अपने प्रदर्शन पर चिंता न करें।
– आपने जो भी किया है, उस पर गर्व करें और आगे बढ़ें।
– अगली परीक्षा के लिए तैयारी शुरू करें और अपनी गलतियों से सीखें।
यहाँ कुछ अतिरिक्त सुझाव दिए गए हैं जो आपको परीक्षा के डर को दूर करने में मदद कर सकते हैंः
– अपने डर के बारे में किसी से बात करें, जैसे कि अपने माता-पिता, शिक्षक, या मित्र।
– -अपने आप को याद दिलाएँ कि परीक्षा जीवन का अंत नहीं है।
क्र अपनी सफलताओं पर ध्यान दें और अपने आप को पुरस्कृत करें।
गलती करने से न डरेंः
बहुत से लोग गलतियाँ करने से डरते हैं। उन्हें यह पता नहीं होता कि ऐसा करना एक सफल जीवन के लिए बहुत जरूरी है। दुनिया का कोई भी ऐसा सफल इंसान नहीं है जिसने कभी कोई गलती नहीं की हो। गलतियाँ तो होंगी लेकिन उन गलतियों से सीखना बहुत जरूरी है। यदि आपने अपनी गलतियों से सीखना शुरू कर दिया तो गलतियाँ आपको डराएगी नहीं और आपका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा। दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्होंने अपने जीवन की सबसे बड़ी गलती के बाद ही अपने जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि प्राप्त की है। इसलिए घबराएँ नहीं खुद पर पूर्ण विश्वास रखें।
हमेशा सही परिणाम की कल्पना न करें क्यूँकि जरूरी नहीं की आप जो भी काम कर रहे हैं उसमें आपको एक बार में ही सफलता मिलें, कभी-कभी निराशा भी मिलती हैं पर उसे स्वीकार करें क्यूँकि गलती से ही इंसान सीखता हैं। जो नीचे गिरते हैं वो ही बुलंदियां छूते हैं इसलिए फेल होने से अपने आत्मविश्वास को कम न होने दें बल्कि अपनी गलतियों को सुधारें और आगे बढ़ें।
परीक्षा-भय से मुक्ति परीक्षार्थी की सफलता की कुँजी है। प्रगति-पथ का प्रकाश स्तंभ है। उज्ज्वल भविष्य का उदीप्त सूर्य है। एकाग्रचित्त द्वारा नियमित अध्ययन और साहसपूर्ण आत्मविश्वास भयमुक्ति के उपाय हैं। इन दोनों उपायों से परीक्षा-भय सुषुप्त होगा, यदा-कदा जागृत होकर भयभीत नहीं करेगा। कठिन प्रश्न, दुरूह प्रश्न-शैली और अपठित की समस्या स्वस्थ मत में स्वतः हल हो जाएगी। कलम की नोक पर उनके उत्तर अभ्यास अवतरित होते जाएँगे।
तरुण शर्मा