अंगूर में क्षारीय तत्व बढ़ाने की अच्छी क्षमता के कारण ही शरीर में यूरिक एसिड की अधिकता, मोटापा, जोड़ों का दर्द, रक्त का थक्का जमना, दमा, नाड़ी की समस्या व त्वचा पर लाल चकत्ते उभरने आदि स्थितियों में इसका सेवन लाभकारी होता है। अंगूर का सेवन, आंत, लीवर व पाचन संबंधी अन्य रोगों, मुंह में कड़वापन रहना, खून की उल्टी होना, गुर्दे की कार्यक्षमता में कमी, कब्जियत, मूत्र की बीमारी, अतिसार कृमि रोग, टीबी (क्षय रोग) आदि रोगों में विशेष लाभकारी होता है। अंगूर की बेल काटने से जो रस निकलता है, वह त्वचा रोगों में लाभकारी होता है।
अंगूर के पत्तों का अर्क एक से तीन चम्मच तक लेने पर व बवासीर के मस्सों पर लगाने पर काफी लाभ मिलता है।
500 मिलीग्राम से एक ग्राम तक पत्तों की भस्म शहद से लेने से भी बवासीर में लाभ मिलता है। यदि किसी ने धतूरा खा लिया हो, तो उसे अंगूर का सिरका दूध में मिलाकर पिलाने से काफी लाभ होता है। अंगूर मियादी बुखार, मानसिक परेशानी, पाचन की गड़बड़ी आदि भी काफी लाभकारी है। अंगूर का 200 ग्राम रस शरीर को उतनी ही क्षारीयता प्रदान करता है, जितना कि एक किलो 200 ग्राम बाईकार्बोनेट सोडा, हालांकि सोडा इतनी अधिक मात्रा में लिया नहीं जा सकता। अंगूर के रस को कलई के बर्तन में पकाकर गाढ़ा करके सोते समय आंखों में लगाने से जाला, फूला आदि नेत्र रोगों दूर हो जाते हैं।
गोविन्द शर्मा