झारखंड में एक किसान ने स्कूटर के इंजन का इस्तेमाल करके खेत जोतने की मशीन बना डाली। बैलों के न होने के चलते किसान को इसकी आवश्यकता महसूस हुई थी।
आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। इस कहावत को एक बार फिर चरितार्थ कर दिखाया है हजारीबाग के ऊंचाघाना के एक किसान ने। जिसने बैलों के अभाव में एक स्कूटर के इंजन का इस्तेमाल कर खेत जोतने वाला यंत्र बना लिया। आज इस किसान की चर्चा न केवल पूरे क्षेत्र में हो रही है, बल्कि इस यंत्र को बनाने के लिए उसे ऑर्डर भी मिल रहे हैं।
हजारीबाग जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर ऊंचाघाना गांव के किसान 33 वर्षीय महेश करमाली ने गांव-घर में चल रही ‘जुगाड़ तकनीक’ के सहारे एक स्कूटर के इंजन का प्रयोग कर खेत जुताई का उपाय ढूंढ़ लिया, बल्कि इसके उपयोग से वे खेत की जुताई कर रहे हैं। महेश करमाली ने कहा कि उन्होंने अपने इस नवाचार का नाम ‘पोर्टेबल पावर टिलर’ रखा है।
उन्होंने बताया, ‘महाराष्ट्र में करीब सात वर्षो तक बजाज ऑटो के एक वर्कशॉप में काम किया, मगर मैट्रिक पास नहीं रहने के कारण वहां नौकरी स्थायी नहीं हुई और घर वापस आ गया। यहां आने के बाद खेती के अलावा पेट भरने के लिए कोई रोजगार नहीं था।’ उन्होंने बताया कि उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी है, कि न तो वह बैल खरीद सकते थे और न ही ट्रैक्टर।
इस बीच वह छोटे ट्रैक्टर का रूप बनाने की सोचने लगे। उन्होंने बताया कि अपने दोस्त के गैराज से उन्होंने पुराने बजाज चेतक स्कूटर का स्क्रैप करीब 4500 रुपये में खरीदा और उसे विभिन्न तरीके आजमाकर छोटे ट्रैक्टर का रूप दे दिया, जिसमें ट्रैक्टर का छोटा हल लगा हुआ है। उन्होंने बताया, ‘मुझे बजाज में मैकेनिक के रूप में काम करके जो ज्ञान मिला था, उसने इस पॉवर टिलर को विकसित करने में बहुत मदद की। मुझे इसे बनाने में तीन दिन लग गए।’
अपने इस नवाचार के उपयोग के विषय में बताते हुए उन्होंने कहा कि इस पावर टिलर को बनाने में करीब 9000 रुपये खर्च आए, जो केवल 2.5 लीटर पेट्रोल खर्च पर पांच कट्ठा जमीन अर्थात पांच घंटे की भरपूर जुताई करता है। महेश की यह मशीन पूरे गांव के लिए प्रेरणादायी बन गई है। उन्होंने जोर देते हुए कहा, ‘यह एक पारंपरिक ट्रैक्टर की तुलना में सस्ता और अधिक कुशल है।’
इसे बनाने की तरकीब के विषय में पूछने पर महेश कहते हैं, ‘इसके लिए सबसे पहले 20 इंच बाई 41 इंच का चेचिस बनाया। अब इंजन और हैंडल की जरूरत पूरी करने के लिए स्कूटर का इंजन लगा दिया। गेयर बॉक्स, हैंडल और दोनों चक्कों को निकाल कर बनाए गए उस चेचिस में फिट कर दिया। पावर टिलर सही निकला।’
महेश हालांकि अगले साल तक पावर टिलर के अधिक बड़े और शक्तिशाली संस्करण को लाने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं कम खर्च पर ही ऐसा वाहन बनाने की सोच रहा हूँ, जिस पर ट्रैक्टर की तरह ही कोई भी सवारी कर सके और उससे खेत में जुताई भी कर सके। इसके अलावा उसका उपयोग फसलों की कटाई और अनाज निकालने तक किया जाएगा।’’
महेश इस मशीन को बनाने के लिए किसानों को प्रशिक्षित करने की भी योजना बनाया है। उन्होंने कहा कि कई लोग इस मशीन को देखने और बनाने की मांग कर रहे हैं। महेश के इस प्रयास से उसके परिवार के लोग भी खुश हैं।
लोकेश जोशी
व. अ. (विज्ञान)