भारतीय वैज्ञानिकों ने चाय और केले के कचरे के उपयोग से गैर-विषैले सक्रिय कार्बन बनाने के लिए एक तकनीक विकसित की है। उनका कहना है कि इस गैर-विषैले सक्रिय कार्बन का उपयोग औद्योगिक प्रदूषण नियंत्रण, जल शोधन, खाद्य तथा पेय प्रसंस्करण और गंध निवारण जैस उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। इस नई विकसित प्रक्रिया के उपयोग से सक्रिय कार्बन का संश्लेषण करने के लिए किसी भी विषैले कारक के उपयोग की आवश्यकता नहीं पड़ती है, जिससे किफायती एवं गैर-विषाक्त उत्पाद बनाये जा सकते हैं।
शोधकर्ताओं ने चाय के कचरे से सक्रिय कार्बन तैयार करने के लिए एक वैकल्पिक सक्रिय एजेंट के रूप में केले के पौधे के अर्क का इस्तेमाल किया है। उनका कहना है कि चाय के प्रसंस्करण से आमतौर पर चाय की धूल के रूप में ढेर सारा कचरा निकलता है। इसे उपयोगी वस्तुओं में बदला जा सकता है।