हिमा दास भारत की महान एथलीट हैं; जिन्होंने केवल 18 साल की उम्र में आइएए एफ अंडर 20 में एथेलिटक्स चैंपियनशिप में महिलाओं की 400 मीटर की दौड़ में शीर्ष स्थान हासिल किया और स्वर्ण पदक जीता। वे भारत के लिए इस मानक पर गोल्ड जीतने वाली पहली महिला एथेलिट बन गई हैं।
5 फुट 6 इंच लंबी हिमा दास का जन्म 9 जनवरी 2000 को असम राज्य के नागाव जिले के ढिंग में हुआ था। हिमा एक दलित परिवार से हैं। हिमा के पिताजी का नाम रोंजित दास है। वह खेती का काम करते हैं। हिमा की माताजी का नाम जोमाली दास हैं। वह एक गृहिणी हैं। उनके घर में कुल 16 सदस्य हैं। घर की आर्थिक स्थिति ऐसी थी कि बस अपने खाने-पीने की व्यवस्था हो जाती थी। परिवार में हिमा और उनके माता-पिता के अलावा 5 भाई और बहन हैं। हिमा बचपन से ही फुटबॉल खेलती थी। हिमा ने अपनी पढ़ाई अपने गाँव के ही एक छोटे से स्कूल से प्राप्त की।
नौगाँव में अक्सर बाढ़ के हालात बन जाते हैं। वह जगह बहुत अधिक विकसित नहीं है। जब हिमा गाँव में रहती थी तो बाढ़ की वजह से कई-कई दिन तक प्रैक्टिस नहीं कर पाती थी क्योंकि जिस खेत या मैदान में वह दौड़ की तैयारी करती, बाढ़ में वह पानी से लबालब हो जाता था।
जब वर्ष 2017 में हिमा राजधानी गुवाहाटी में एक कैम्प में हिस्सा लेने आई थीं तब कोच निपुण दास की नजर उन पर पड़ी। जिसके बाद निपुण ने ही हिमा को एथलिट के गुर सिखाये। निपुण उनके बारे में बताते हैं, ‘‘वह जनवरी का महीना था हिमा एक स्थानीय कैम्प में हिस्सा लेने राजधानी गुवाहाटी आई थी, वह जिस तरह से ट्रैक पर दौड़ रही थी, मुझे लगा कि इस लड़की में आगे तक जाने की काबिलियत है।’’
इसके बाद निपुण हिमा के गाँव में उनके माता-पिता से मिलने गए और उनसे कहा कि वे हिमा को बेहतर कोचिंग के लिए गुवाहाटी भेज दें। हिमा के माता-पिता गुवाहाटी में उनके रहने का खर्च नहीं उठा सकते थे लेकिन बेटी को आगे बढ़ते हुए भी देखना चाहते थे। इस मुश्किल स्थिति में निपुण ने ही एक रास्ता निकाला। वे बताते हैं, ‘‘मैंने हिमा के माता-पिता से बातचीत की और उन्हें कहा कि हिमा के गुवाहाटी में रहने का खर्च मैं खुद उठाऊँगा, बस आप उसे बाहर आने की मंजूरी दें। इसके बाद वे हिमा को बाहर भेजने के लिए तैयार हो गए।’’
कोच निपुण दास ने हिमा को फुटबॉल से एथलेटिक्स में आने के लिए तैयार किया तो शुरुआत में 200 मीटर की तैयारी करवाई, लेकिन बाद में उन्हें भी एहसास हुआ कि वे 400 मीटर में अधिक कामयाब रहेंगी।
संघर्ष की कहानी :
-हिमा बचपन से ही खेलने की शौकीन रही है, पहले वे लोकल क्लब के लिए फुटबॉल खेलती थी। 2016 में उनके एक फिजिकल एजुकेशन के टीचर ने उनसे कहा की फुटबॉल में लडकियों के लिए करियर बनना इतना आसान नही हैं, उन्हें एकल स्पर्धा में ध्यान देना चाहिए।
-कुछ समय बाद इन्होंने गुवाहाटी स्टेट लेवल चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और बिना किसी प्रोफेशनल ट्रेनिंग के 100 मीटर की रेस में कांस्य पदक जीता।
– इसके बाद नाबाजित मलारकर जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में हिस्सा लेने के लिए हिमा को कोयंबटूर लेकर गए, यहाँ पर हिमा फाइनल राउंड तक पहुँच गई, इस राउंड तक पहुंचने के लिए एक प्रोफेशनल ट्रेनिंग की जरूरत होती है, पर हिमा बिना किसी ट्रेनिंग के फायनल तक पहुंच गई।
सफलता की कहानी :
– हिमा फेडरेशन कप में 400 मीटर में दौड़ी और गोल्ड मैडल जीता और कॉमनवेल्थ गेम के लिए अपना रास्ता बनाया। आस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में 2018 कॉमनवेल्थ गेम में छठे स्थान पर रहीं।
– वर्ल्ड चैंपियनशिप में दौड़ कर विजय प्राप्त की और यहाँ पर गोल्ड जीत कर खुद को साबित कर दिया। हिमा का सपना है कि वे ओलंपिक और कॉमनवेल्थ गेम में इंडिया के लिए गोल्ड जीते।
अवार्ड्स और अचीवमेंट :
– हिमा दास ने आईएएएफ वर्ल्ड में अंडर 20 एथलीट चैंपियनशिप में 400 मीटर की रेस 46 सेकेंड में दौड़ कर जीत हासिल की और फिनलेंड के टामपेर में गोल्ड मैडल विजेता रही।
– ये कॉमन वेल्थ गेम में 400 मीटर की रेस 32 सेकंड में पूरा कर के 6 वे नंबर पर रही। अभी हाल ही में इन्होंने भारत में गुवाहाटी में नेशनल इंटरस्टेट चैंपियनशिप में अंडर 20 वर्ग में गोल्ड मैडल जीता।
सम्मान व अन्य उपलब्धियाँ :
सितंबर 2018 में हिमा दास को खेल क्षेत्र में उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए ”अर्जुन पुरस्कार’’ से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों उन्हें यह सम्मान मिला।
नवंबर 2018 में UNICEF – India ने इन्हें अपना युवा राजदूत (youth ambassador) नियुक्त किया। यह उपलब्धि हासिल करने वाली वे पहली भारतीय बनीं।
जुलाई 2018 में असम सरकार ने हिमा दास को खेल क्षेत्र में राज्य का brand ambassador बनाया गया। सितंबर 2018 में खेल क्षेत्र की मशहूर वस्त्र निर्माता कंपनी ंकपकें ने हिमा दास को अपने विज्ञापन अभियान का हिस्सा बनाया गया।
2018 हिमा दास द्वारा बनाए गए रिकॉर्डः-
12 जुलाई 2018 को फिनलैंड में हिमा दास ने वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप ट्रैक कॉम्पिटिशन (IAAF World Under&20 Athletics Championships) में स्वर्ण पदक हासिल किया। इनसे पहले कोई भी भारतीय महिला आईएएफ वर्ल्ड अंडर-20 चैंपियनशिप की 400 मीटर की रेस जीतने में कामयाब नहीं हुई है। इन्होंने 400 मीटर की ये रेस केवल 51.46 सेकेंड में पूरी कर प्रथम स्थान प्राप्त किया।
ट्रैक एंड फील्ड प्रतिस्पर्धा में अविस्मरणीय प्रदर्शनः
जुलाई 2019 में हिमा दास तब सुर्खियों में आई जब उन्होंने चेक गणराज्य में हो रही ट्रैक एंड फील्ड प्रतिस्पर्धा में कमाल का प्रदर्शन किया। सिर्फ 21 दिन के भीतर उन्होंने 5 स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया।
2 जुलाई 2019 को 200 मीटर की रेस 23.65 सेकंड में पूरी की थी और Poland में Poznan Athletics Grand Prix में स्वर्ण पदक हासिल किया।
7 जुलाई 2019 को उन्होंने पोलैंड में ही कुट्नो एथेलेटिक्स मीट में 200 मीटर की रेस को 23.97 सेकंड में पूरा करके स्वर्ण पदक हासिल किया था, 13 जुलाई 2019 को उन्होंने चेक रिपब्लिक में क्लाद्नो एथेलेटिक्स मीट (Kladno Athletics Meet in Czech Republic) में 23.43 सेकंड के साथ 200 मीटर की रेस में स्वर्ण पदक और 17 जुलाई 2019 को टाबोर एथेलेटिक मीट (Tabor Atheletic Meet) में भी 200 मीटर में स्वर्ण पदक जीता था, इस तरह ये उनका इस महीने में पाँचवा स्वर्ण पदक हैं।
20 जुलाई 2019 को चेक रिपब्लिक में नोव मेस्टो नाड मेटुजी ग्रैंड प्रिक्स में 400 मीटर रेस 52.09 सेकंड में पूरा करके स्वर्ण पदक जीता,
वंदना आमेटा