भारत में टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों की सेहत और दिल के लिए बादाम फायदेमंद हो सकता है। एक ताजा अध्ययन में यह दावा किया गया है। शोधकर्ताओं ने बताया कि रोजाना बादाम का सेवन ग्लाइसेमिक और कार्डियोवेस्कुलर मानकों को बेहतर करने में सहायक होता है।
मेटाबोलिक सिंड्रोम एंड रिलेटेड डिसऑर्डर जर्नल में प्रकाशित शोध में कहा गया है,
‘‘भारत आज की तारीख में डायबिटीज की राजधानी बन चुका है। यहाँ टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों की संख्या खतरनाक तरीके से बढ़ रही है।’’
एक समय अमीरों की बीमारी कही जाने वाली डायबिटीज आज की तारीख में समाज के हर वर्ग में तेजी से फैल रही है। डायबिटीज एंड मेटाबोलिक डिजीजिस एवं डायबिटीज फाउंडेशन इंडिया ने दैनिक खानपान में बादाम के असर का अध्ययन किया।
शोध के लिए दिल्ली में टाइप-2 डायबिटीज से ग्रस्त और बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल वाले 25 से 70 साल की उम्र के 50 लोगों को शामिल किया गया था। शोधकर्ताओं ने पाया कि बादाम का लगातार सेवन करने से लोगों में टोटल कोलेस्ट्रॉल, सीरम ट्राइग्लिसराइड्स, एलडीएल कोलेस्ट्रॉल, एचबीए1सी जैसे मानकों में सुधार होता है।
डायबिटीज और दिल की बीमारी रोकता है ‘विटामीन डी’ :
अच्छी सेहत और बीमारियों से बचाव में विटामिन डी की अहम भूमिका होती है। यह डायबिटीज और दिल की बीमारी को रोकने में भी मददगार हो सकता है। नए शोध का दावा है कि धूप या विटामिन डी सप्लीमेंट सेलाभदायक बैक्टीरिया बढ़ते हैं। इनसे मेटाबोलिक सिंड्रोम को रोकने में मदद मिल सकती है। यह सिंड्रोम डायबिटीज और हृदय रोगों के खतरे को बढ़ाती है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, विटामिन डी की कमी से मेटाबोलिक सिंड्रोम में वृद्धि होती है जो गट बैक्टीरिया में गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार है। इस सिंड्रोम का दुनिया की एक चौथाई आबादी पर असर पड़ता है। इससे पीड़ित व्यक्ति डायबिटीज और दिल की बीमारी की ओर बढ़ने लगते हैं।
मेटाबोलिक सिंड्रोम के प्रमुख लक्षणों में मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और उच्च कोलेस्ट्रॉल हैं। कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार, ‘शोध के आधार पर हमारा मानना है कि सूर्य की रोशनी, आहार या सप्लीमेंट के जरिये विटामिन डी के स्तर को उच्च रखने से मेटाबोलिक सिंड्रोम को रोकने में मदद मिल सकती है।
लोकेश जोशी