खान-पान संबंधी कुछ बातें बेहद छोटी-मोटी होती हैं, पर उनका खयाल रखना बड़ी बात है, क्योंकि छोटी-छोटी बातों से बड़ा फर्क पड़ता है। जैसे अलग-अलग तरह के कपड़े अलग-अलग लोगों पर फबते हैं, वैसे ही हर व्यक्ति की डाइट अपने शरीर की तासीर के अनुसार होती है। जरूरी नहीं जो दूसरे को जमा, वह आपको भी जम जाए।
मुख स्वास्थ्य सिर्फ दाँतों के लिए ही महत्वपूर्ण नहीं होता, बल्कि आपका मुख स्वास्थ्य या आपका ओरल हाइजीन कैसा है, इसका प्रभाव शरीर के अन्य अंगों पर भी पड़ता है। दाँतों की नियमित अच्छी सफाई से हृदयाघात का खतरा कम हो जाता है। आपका ब्लड ग्रुप क्या है, इससे भी आपका खान-पान निर्धारित होता है।
किसी खास तरह के रक्त समूह वाले को किसी खास खाद्य सामग्री से एलर्जी हो सकती है। कुछ लोग सोचते हैं, तनाव से व्यक्ति दुबला हो जाता है, क्योंकि वह घुलने लगता है। पर ऐसा नहीं है, तनाव में व्यक्ति मोटा भी हो सकता है, वह ज्यादा खाने लगता है। एक व्यक्ति का मेटाबोलिज्म या चयापचय दूसरे व्यक्ति से भिन्न हो सकता है। इसलिए भी आपसी खुराक में अंतर हो सकता है।
आमतौर पर मानते हैं कि गन्ने का रस गर्मियों में पीना फायनेमंद हैं, लेकिन ठंड में भी गन्ने का रस बहुत फायदा करता है। यह शरीर का तापमान मैंटेन रखता है। घी का प्रयोग अधिक मात्र में न होकर कुछ मात्र में जरूर शामिल होना चाहिए। अगर रात के समय गरिष्ठ खाना खा रहे हैं तो 8 बजे से पहले खा लें।
घर में छोटे बच्चे हो तो इन सर्दियों में थोड़ी बादाम और छुआरे लाकर रखिए। रात में दो-चार बादाम गलाकर घिसें और गर्म दूध में डालकर पिलाइए। यह परंपरागत नुस्खा बड़े काम का है, इससे बच्चों की सेहत भी ठीक रहेगी, त्वचा और दिमाग भी।
गर्म दूध में छुआरे को उबाल कर लेने से भी सर्दी-जुकाम का प्रकोप नहीं रहता है। सर्दियों में गेहूँ का आटा घी में सेंककर उसमें इसका गोंद, कतरे काजू, बादाम, किशमिश, चारोली, पिस्ता, इलायची आदि को पिसी हुई शक्कर के साथ मिलाकर रख लें। इस सामग्री का तीन तरह से उपयोग हो सकता है। या तो इसे पंजीरी की तरह इस्तेमाल करें या हलवा बना लें या लड्डू।
वैद्य महेश चन्द्र शर्मा