समुत्कर्ष समिति द्वारा मासिक विचार गोष्ठी के क्रम में ‘‘भारत की युवा जनाकांक्षा’’ विषय पर 62 वीं समुत्कर्ष विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में वक्ताओं ने अपने विचार रखते हुए स्पष्ट किया कि देश की धड़कन कहलाने वाले युवा अब भारतीयता की एक नई पहचान दुनिया में स्थापित कर रहे हैं। विज्ञान हो तकनीक, खेल हो या चलचित्र, व्यापार हो या कूटनीति हर क्षेत्र में युवा अग्रणी भूमिका में नजर आते हैं। समाज में हो रहे हर बदलाव और घटनाक्रम से खुद को जोड़कर एक आधुनिक और जिम्मेदार व्यक्ति और वर्ग का निर्माण हो रहा हैं। निःसंदेह एक ऊर्जस्वी और जीवंत वर्तमान की परिभाषा बन गए है-गौरवशाली भारतीय संस्कृति के संवाहक आज के युवा।
विषय का प्रवर्तन करते हुए समुत्कर्ष समिति के हरिदत्त शर्मा ने कहा कि युवा शक्ति देश और समाज की रीढ़ होती है। युवा देश और समाज को नए शिखर पर ले जाते हैं। युवा देश का वर्तमान हैं, तो भूतकाल और भविष्य के सेतु भी हैं। युवा देश और समाज के जीवन मूल्यों के प्रतीक हैं। युवा गहन ऊर्जा और उच्च महत्वकांक्षाओं से भरे हुए होते हैं। उनकी आंखों में भविष्य के इंद्रधनुषी स्वप्न होते हैं। समाज को बेहतर बनाने और राष्ट्र के निर्माण में सर्वाधिक योगदान युवाओं का ही होता है। आज देश की लगभग 65ः भारतीय जनसंख्या युवाओं की है। हमारे देश में कई प्रतिभाशाली और मेहनतकश युवा हैं जिन्होंने देश को गर्व की अनुभूति कराई है। भारत में युवा पीढ़ी उत्साहित और नई चीजें सीखने के लिए उत्सुक हैं। चाहे वह विज्ञान, प्रौद्योगिकी या खेल का क्षेत्र हो – हमारे देश के युवा हर क्षेत्र में श्रेष्ठ हैं।
साहित्यकार तरुण कुमार दाधीच ने कहा कि अगर देश में युवाओं की मानसिकता की दिशा सही है और उनकी नवोदित प्रतिभाओं को प्रेरित किया गया तो वे निश्चित रूप से समाज के लिए अच्छा काम करेंगे। उचित ज्ञान और सही दृष्टिकोण के साथ वे प्रौद्योगिकी, विज्ञान, चिकित्सा, खेल और अन्य सहित विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं। यह न केवल उन्हें व्यक्तिगत रूप से और पेशेवर रूप में विकसित करेगा बल्कि पूरे राष्ट्र के विकास और प्रगति के लिए भी योगदान देगा।
संचालन करते हुए संदीप आमेटा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कहते है कि युवा किसी देश की विकासयात्रा में प्रमुख सारथी होते हैं और भारत जैसे विशाल देश के सामूहिक विकास का आकलन और मूल्यांकन यहाँ की शिक्षा-स्वास्थ्य, रोजगार, समाज-तंत्र तथा उसे नियंत्रित करने वाली राजनीति से होती हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता तरुण कुमार शर्मा ने अपनी बात रखते हुए कहा कि आज की युवा पीढ़ी जाति, धर्म, क्षेत्र तथा वंशवाद की राजनीति से ऊपर उठकर बेरोजगारी, भ्रष्टाचार दृ विरोधी और विकासपंथी मुद्दों पर विश्वास करती है। वे अब तुष्टिकरण की नीति और लोकलुभावन परियोजनायों के इंद्रजाल में नहीं फंसते। भोजन, रोजगार, शिक्षा, न्याय और सूचना को अपना अधिकार मानकर आज के युवा, व्यवस्था की कमियों को दूर करने को आतुर हैं। राष्ट्र सेवा को सर्वोपरि समझते हुए वे विभिन्न छात्र दृ परिषदों, युवा सांसदों, एन.जी.ओ, होमगार्ड्स और स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से जागरूकता अभियानों और सामाजिक गतिविधियों में हिस्सा ले रहे हैं, जो युवाओं के सोच और कर्तव्यपरायणता को जगा रही है।
गोष्ठी के अन्त में समुत्कर्ष समिति के वरिष्ठ कार्यकर्ता गोपाल लाल माली ने अपने विचार व्यक्त करते हुए सभी का आभार प्रदर्शित किया।
लोकेष जोशी