मधुमेह रोगियों की संख्या में निरन्तर हो रही वृद्धि को देखते हुए 1991 में इण्टरनेशनल डायबिटीज फेडेरेशन एवं ‘‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’’ ने संयुक्त रूप से इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने हेतु प्रति वर्ष ‘‘विश्व मधुमेह दिवस’’ आयोजित करने का विचार किया। 14 नवम्बर मधुमेह रोग के कारक इन्सुलिन के खोजकर्ता फ्रेडिरिक बैटिंग का जन्म दिवस है। अतः ‘‘विश्व मधुमेह दिवस’’ हेतु भी 14 नवम्बर का दिन चयन किया गया।
भारत में मधुमेह का इतिहास काफी पुराना है। ईसा पूर्व पाँचवीं शताब्दी में भारत के प्रसिद्ध चिकित्सा विज्ञानी सुश्रूत ने मधुमेह का वर्णन किया था। उन्होंने कहा था कि इस रोगी का मूत्र मीठा हो जाता है। मधुमेह से बचने के लिए उन्होंने उपवास, मीठे पदार्थों से परहेज तथा जड़ी-बूटियों के सेवन की सलाह दी थी। पूरे विश्व में मधुमेह का फैलाव बढ़ रहा है। आज विश्व के 3 प्रतिशत से 12 प्रतिशत लोग या तो मधुमेह से पीड़ित हैं अथवा उनके मधुमेह से पीड़ित होने की संभावना है। समाचार पत्रों में प्रकाशित ‘‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’’ की एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार सन् 2025 तक भारत दुनिया का ‘‘डायबिटीक कैपिटल’’ हो जाएगा। यानि उस वक्त तक मधुमेह के सबसे अधिक रोगी भारत में होंगे और उनकी संख्या यहाँ लगभग 5.7 करोड़ होगी। जहाँ तक देश की राजधानी दिल्ली का सवाल है तो यहाँ की कुल आबादी (लगभग 1.45 करोड़) के 12 फीसदी लोग डाइबिटीज के घोषित मरीज हैं।
‘‘भारतीय मधुमेह संगठन’’ के अनुसार शहरी जीवन शैली में बदलाव, अधिक मसालेदार भोजन, कम व्यायाम, बढ़ता तनाव, जेनेटिक तथा पर्यावरणीय कारणों से मधुमेह का खतरा 60ः तक अधिक बढ़ जाता है। मधुमेह के रोगियों में अन्य रोगियों की तुलना में हृदयघात का खतरा तीन गुना अधिक हो जाता है। उपर्युक्त आंकड़े यह स्पष्ट संकेत करते हैं की मधुमेह एक गंभीर समस्या के रूप में उभर कर हमारे सामने आया है।
इस बीमारी का जो सबसे बुरा पक्ष है वह यह है कि यह शरीर में अन्य कई बीमारियों को भी निमंत्रण देती है। मधुमेह रोगियों को आंखों में दिक्कत, किडनी और लीवर की बीमारी और पैरों में दिक्कत होना आम है। पहले यह बीमारी चालीस की उम्र के बाद ही होती थी लेकिन आजकल बच्चों में भी इसका मिलना चिंता का एक बड़ा कारण हो गया है।
ज्यादा प्यास लगना
बार-बार पेशाब का आना
आँखों की रौशनी कम होना
कोई भी चोट या जख्म देरी से भरना
हाथों, पैरों और गुप्तांगों पर खुजली वाले जख्म बार-बार फोड़े-फुंसियां निकलना
चक्कर आना
चिड़ चिड़ापन
मधुमेह कैसे होता है
मधुमेह ऐसे लोगों में प्रायः अधिक पाया जाता है जो कार्यालय के बैठे रहने वाले कामकाज से उत्पन्न मानसिक तनाव से थक जाते हैं या जो अपने कार्य की अधिकता की वजह से प्रायः तनावग्रस्त रहते हैं तथा जिनके पास व्यायाम करने के लिए समय का अभाव होता है। मधुमेह दुबले- पतले की अपेक्षा मोटे लोगों को अधिक प्रभावित करता है। आधुनिक वैज्ञानिक खोजें इस तथ्य की ओर संकेत करती हैं कि मधुमेह के प्रादुर्भाव में मानसिक कारणों का बहुत बड़ा योगदान है। अत्यधिक तनाव, किसी अत्यधिक प्रिय का वियोग तथा नौकरी एवं व्यवसाय की बार-बार की तकलीफें कई बार स्वास्थ्य को प्रभावित करके प्रत्यक्ष रूप से आमाशय संबंधी गंभीर गड़बड़ियां उत्पन्न कर देती हैं जिसका परिणाम मधुमेह के रूप में हमारे सामने आता है। यही नहीं कई बार कतिपय दवाएँ भी व्यक्ति को अस्थायी मधुमेह का शिकार बना देती हैं।
जब हमारे शरीर के पैंक्रियाज में इंसुलिन का पहुंचना कम हो जाता है तो खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। इस स्थिति को डायबिटीज कहा जाता है। इंसुलिन एक हार्मोन है जो कि अग्नाशय ग्रंथि द्वारा बनता है। इसका कार्य शरीर के अंदर भोजन को उर्जा में बदलने का होता है। यही वह हार्मोन होता है जो हमारे शरीर में शुगर की मात्रा को कंट्रोल करता है। मधुमेह हो जाने पर शरीर को भोजन से एनर्जी बनाने में कठिनाई होती है। इस स्थिति में ग्लूकोज का बढ़ा हुआ स्तर शरीर के विभिन्न अंगों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है।
यह रोग महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक होता है। मधुमेह ज्यादातर वंशानुगत और जीवनशैली बिगड़ी होने के कारण होता है। इसमें वंशानुगत को टाइप-1 और अनियमित जीवन शैली की वजह से होने वाले मधुमेह को टाइप-2 श्रेणी में रखा जाता है। पहली श्रेणी के अंतर्गत वह लोग आते हैं जिनके परिवार में माता-पिता, दादा-दादी में से किसी को मधुमेह हो तो परिवार के सदस्यों को यह बीमारी होने की संभावना अधिक रहती है। इसके अलावा यदि आप शारीरिक श्रम कम करते हैं, नींद पूरी नहीं लेते, अनियमित खानपान है और ज्यादातर फास्ट फूड और मीठे खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं तो मधुमेह होने की संभावना बढ़ जाती है।
बड़ा खतरा
मधुमेह के मरीजों में सबसे ज्यादा मौत हार्ट अटैक या स्ट्रोक से होती है। जो व्यक्ति मधुमेह से ग्रस्त होते हैं उनमें हार्ट अटैक का खतरा आम व्यक्ति से पचास गुना ज्यादा बढ़ जाता है। शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ने से हार्मोनल बदलाव होता है और कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होती हैं जिससे खून की नलिकाएं और नसें दोनों प्रभावित होती हैं। इससे धमनी में रुकावट आ सकती है या हार्ट अटैक हो सकता है। स्ट्रोक का खतरा भी मधुमेह रोगी को बढ़ जाता है। डायबिटीज का लंबे समय तक इलाज न करने पर यह आंखों की रेटिना को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे व्यक्ति हमेशा के लिए अंधा भी हो सकता है।
पहले वर्ग में किसी भी कारणवश अग्नाशय पर्याप्त मात्रा में इन्सुलिन का निर्माण नहीं कर पाता है। फलस्वरूप ऐसे रोगियोँ को इन्सुलिन देकर शर्करा के चयापचय के योग्य बनाया जाता है। इसलिए इस वर्ग के रोगियों को टाइप वन मधुमेही या इन्सुलिन पर निर्भर मधुमेही कहते हैं। यह प्रायः बच्चों तथा युवाओं में पाया जाता है। इसे ‘जूवेनाइल डायबिटीज’ भी कहते हैं। अधिक आयु वर्ग के लोग भी इससे पीड़ित हो सकते हैं।
दूसरे वर्ग में अग्नाशय से पर्याप्त इन्सुलिन निकलता तो है लेकिन वह ठीक से इस्तेमाल नहीं हो पाता। ऐसे रोगियों को खाने वाली दवाएँ देकर शर्करा के चयापचय के योग्य बनाया जाता है। इसलिय इस वर्ग के रोगियों को टाइप टू मधुमेही या इन्सुलिन पर अनिर्भर मधुमेही कहते हैं। यह अधिकतर प्रौढ़ावस्था में होता है। पर जीवन शैली में होने वाले नकारात्मक परिवर्तनों के फलस्वरूप अब यह किशोरों और बच्चों में भी पाया जाने लगा है।
मधुमेह से बचाव के यह कुछ उपाय
अपने ग्लूकोज स्तर को नियमित अंतराल पर जांचें और भोजन से पहले यह 100 और भोजन के बाद 125 से ज्यादा है तो सतर्क हो जाएं। हर तीन महीने पर टेस्ट कराते रहें ताकि आपके शरीर में शुगर के वास्तविक स्तर का पता चलता रहे। उसी के अनुरूप आप चिकित्सक से नियमित परामर्श कर दवाइयां लें।
अपनी जीवनशैली में बदलाव करें और शारीरिक श्रम करना शुरू करें। जिम नहीं जाना चाहते हैं तो दिन में तीन से चार किलोमीटर तक जरूर पैदल चलें या फिर योग करें।
कम कैलोरी वाला भोजन खाएं। भोजन में मीठे को बिलकुल खत्म कर दें। सब्जियां, ताजे फल, साबुत अनाज, डेयरी उत्पादों और ओमेगा-3 वसा के स्रोतों को अपने भोजन में शामिल कीजिये। इसके अलावा फाइबर का भी सेवन करना चाहिए।
दिन में दो समय खाने की बजाय उतने ही खाने को तीन या चार बार में खाएं।
धूम्रपान और शराब का सेवन तो बिलकुल छोड़ दें।
ऑफिस के काम की ज्यादा टेंशन नहीं रखें और रात को पर्याप्त नींद लें। कम नींद सेहत के लिए ठीक नहीं है। तनाव को कम करने के लिए आप ध्यान लगाएं या संगीत आदि सुनें।
नियमित रूप से स्वास्थ्य की जांच कराते रहें और शुगर लेवल को रोजाना मॉनीटर करें ताकि वह कभी भी लेवल से ज्यादा नहीं हो। एक बार शुगर बढ़ जाता है तो उसके लेवल को नीचे लाना काफी मुश्किल काम होता है और इस दौरान बढ़ा हुआ शुगर स्तर शरीर के अंगों पर अपना बुरा प्रभाव छोड़ता रहता है।
गेहूँ और जौ 2-2 किलो की मात्रा में लेकर एक किलो चने के साथ पिसवा लें। इस आटे की बनी चपातियां ही भोजन में खाएं।
मधुमेह रोगियों को अपने भोजन में करेला, मेथी, सहजन, पालक, तुरई, शलगम, बैंगन, परवल, लौकी, मूली, फूलगोभी, ब्रौकोली, टमाटर, बंद गोभी और पत्तेदार सब्जियों को शामिल करना चाहिए।
फलों में जामुन, नींबू, आंवला, टमाटर, पपीता, खरबूजा, कच्चा अमरूद, संतरा, मौसमी, जायफल, नाशपति को शामिल करें। आम, चीकू, केला, सेब, खजूर तथा अंगूर कम या नहीं खाना चाहिए क्योंकि इनमें शुगर ज्यादा होती है।
मेथी दाना रात को भिगो दें और सुबह प्रतिदिन खाली पेट उसे खाना चाहिए।
खाने में बादाम, लहसुन, प्याज, अंकुरित दालें, अंकुरित छिलके वाला चना, सत्तू और बाजरा आदि शामिल करें तथा आलू, चावल और मक्खन का बहुत कम उपयोग करें।
वैद्य रामेश्वर प्रसाद शर्मा