राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020
देश में नई शिक्षा नीति राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी दे दी गई है, जिसमें कई क्रांतिकारी सुधार किए गए हैं। सबके लिए आसान पहुँच, इक्विटी, गुणवत्ता, वहनीयता और जवाबदेही के आधारभूत स्तंभों पर निर्मित यह नई शिक्षा नीति सतत विकास के लिए एजेंडा 2030 के अनुकूल है और इसका उद्देश्य 21वीं सदी की जरूरतों के अनुकूल स्कूल और काॅलेज की शिक्षा को अधिक समग्र, लचीला बनाते हुए भारत को एक ज्ञान आधारित जीवंत समाज और ज्ञान की वैश्विक महाशक्ति में बदलना और प्रत्येक छात्र में निहित अद्वितीय क्षमताओं को सामने लाना है।
भारत में नयी ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’’ को कैबिनेट की मंजूरी 29 जुलाई 2020 को मिल गई है। अब पाँचवीं कक्षा तक की शिक्षा मातृ भाषा में होगी। इस नीति में शिक्षा पर सकल घरेलू उत्पाद का 6ः भाग खर्च किया जायेगा। भारत में समय समय पर शिक्षा नीति को बदला जाता रहा है। भारत में सबसे पहली शिक्षा नीति पूर्व प्रधानमन्त्री इंदिरा गाँधी ने 1968 में शुरू की थी। इसके बाद अगली नीति राजीव गाँधी की सरकार ने 1986 में दूसरी शिक्षा नीति बनायीं। जिसमें नरसिम्हा राव सरकार ने 1992 में कुछ बदलाव किये थे। भारत की नयी शिक्षा नीति 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने मंजूरी दी है। ज्ञात रहे, भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी शिक्षा प्रणाली है, जिसमें 1028 विश्वविद्यालय, 45 हजार काॅलेज, 14 लाख स्कूल तथा लगभग 33 करोड़ स्टूडेंट्स शामिल हैं।
वर्तमान में भारत में 34 साल पुरानी शिक्षा नीति चल रही थी जो कि बदलते परिदृश्य के साथ प्रभावहीन हो रही थी। यही कारण है कि वर्ष 2019 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने नयी शिक्षा नीति का ड्राफ्ट तैयार कर जनता से सलाह मांगी थी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को तैयार करने के लिए विश्व की सबसे बड़ी परामर्श प्रक्रिया अपनाई गई। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को परामर्शों की अभूतपूर्व प्रक्रियाओं के बाद तैयार किया गया है जिसमें 2.5 लाख ग्राम पंचायतों, 6600 ब्लाॅकों 676 जिलों से प्राप्त हुए लगभग 2 लाख से ज्यादा सुझावों को शामिल किया गया है।
‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’’ के प्रमुख बिंदुः
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में शिक्षा की पहुँच, समानता, गुणवत्ता, वहनीय शिक्षा और उत्तरदायित्व जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया गया है।
नई शिक्षा नीति के निर्माण के लिये जून 2017 में पूर्व इसरो प्रमुख डाॅ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने मई 2019 में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा’ प्रस्तुत किया था।
“‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020’ वर्ष 1968 और वर्ष 1986 के बाद स्वतंत्र भारत की तीसरी शिक्षा नीति होगी।
NEP-2020 के तहत केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग से शिक्षा क्षेत्र पर देश की जीडीपी के 6ः हिस्से के बराबर निवेश का लक्ष्य रखा गया है।
नई शिक्षा नीति में वर्तमान में सक्रिय 10+2 के शैक्षिक माॅडल के स्थान पर शैक्षिक पाठ्यक्रम को 5+3+3+4 प्रणाली के आधार पर विभाजित करने की बात कही गई है।
तकनीकी शिक्षा, भाषाई बाध्यताओं को दूर करने, दिव्यांग छात्रों के लिये शिक्षा को सुगम बनाने आदि के लिये तकनीकी के प्रयोग को बढ़ावा देने पर बल दिया गया है।
इस शिक्षा नीति में छात्रों में रचनात्मक सोच, तार्किक निर्णय और नवाचार की भावना को प्रोत्साहित करने पर बल दिया गया है।
कैबिनेट द्वारा ‘मानव संसाधन विकास मंत्रालय’ (Ministry of Human Resource Development ) का नाम बदल कर ‘शिक्षा मंत्रालय’ (Education Ministry) करने को भी मंजूरी दी गई है।
प्रारंभिक शिक्षाः
अभी तक सरकारी स्कूल पहली कक्षा से शुरू होते हैं लेकिन नई शिक्षा नीति में काफी बड़ा बदलाव किया गया है। जिसके अन्तर्गत पहले बच्चे को पाँच साल के फाउंडेशन स्टेज से गुजरना होगा। इस चरण के आखिरी दो साल पहली कक्षा और दूसरी कक्षा के होंगे। यानि पाँच साल के फाउंडेशन स्टेज के बाद बच्चा तीसरी कक्षा में जाएगा। 3, 5 और 8 में स्कूल की परीक्षा देना होगी ये परीक्षाएँ रटकर याद करने की बजाय प्रासंगिक उच्चतर क्रम के कौशलों और वास्तविक जीवन स्थितियों में पाठकयक्रम की मूलधारणा के मूल्यांकन का परीक्षण कर किया जाएगा। 3 वर्ष से 8 वर्ष की आयु के बच्चों के लिये शैक्षिक पाठ्यक्रम का दो समूहों में विभाजन किया गया है-
3 वर्ष से 6 वर्ष की आयु के बच्चों के लिये आँगनवाड़ी/ बालवाटिका/प्री-स्कूल (Pre-School) के माध्यम से मुफ्त, सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण ‘प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा’ (Early Childhood Care and Education-ECCE) की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
6 वर्ष से 8 वर्ष तक के बच्चों को प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा-1 और 2 में शिक्षा प्रदान की जाएगी।
प्रारंभिक शिक्षा को बहुस्तरीय खेल और गतिविधि आधारित बनाने को प्राथमिकता दी जाएगी।
ECCE से जुड़ी योजनाओं का निर्माण और क्रियान्वयन केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय व जनजातीय कार्य मंत्रालय के साझा सहयोग से किया जाएगा।
‘बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान पर एक राष्ट्रीय मिशन’
NEP में ‘बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान पर एक राष्ट्रीय मिशन’ (National Mission on Foundational Literacy and Numeracy) की स्थापना की माँग की गई है।
राज्य सरकारों द्वारा वर्ष 2025 तक प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा-3 तक के सभी बच्चों में बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान प्राप्त करने हेतु इस मिशन के क्रियान्वयन की योजना तैयार की जाएगी।
भाषाई विविधता को बढ़ावा और संरक्षणः
NEP-2020 में कक्षा-5 तक की शिक्षा में मातृभाषा स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा को अध्यापन के माध्यम के रूप में अपनाने पर बल दिया गस्कूली और उच्च शिक्षा में छात्रों के लिये संस्कृत और अन्य प्राचीन भारतीय भाषाओं का विकल्प उपलब्ध होगा परंतु किसी भी छात्र पर भाषा के चुनाव की कोई बाध्यता नहीं होगी।
बधिर छात्रों के लिये राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर पाठ्यक्रम सामग्री विकसित की जाएगी तथा भारतीय संकेत भाषा (Indian Sign Language- ISL) को पूरे देश में मानकीकृत किया जाएगा।
NEP-2020 के तहत भारतीय भाषाओं के संरक्षण और विकास के लिये एक ‘भारतीय अनुवाद और व्याख्या संस्थान’ (Indian Institute of Translation and Interpretation- IITI), ‘फारसी, पाली और प्राकृत के लिये राष्ट्रीय संस्थान’ National Institute (or Institutes) for Pali, Persian and Prakrit, स्थापित करने के साथ उच्च शिक्षण संस्थानों में भाषा विभाग को मजबूत बनाने एवं उच्च शिक्षण संस्थानों में अध्यापन के माध्यम से रूप में मातृभाषा/ स्थानीय भाषा को बढ़ावा दिये जाने का सुझाव दिया है।
पाठ्यक्रम और मूल्यांकन से जुड़े सुझावः
NEP-2020 में एक ऐसे पाठ्यक्रम और अध्यापन प्रणाली/ विधि के विकास पर बल दिया गया है जिसके तहत पाठ्यक्रम के बोझ को कम करते हुए छात्रों में 21वीं सदी के कौशल के विकास, अनुभव आधारित शिक्षण और तार्किक चिंतन को प्रोत्साहित करने पर विशेष ध्यान दिया जाए।
इस नीति में प्रस्तावित सुधारों के अनुसार, कला और विज्ञान, व्यावसायिक तथा शैक्षणिक विषयों एवं पाठ्यक्रम व पाठ्येतर गतिविधियों के बीच बहुत अधिक अंतर नहीं होगा।
कक्षा-6 से ही शैक्षिक पाठ्यक्रम में व्यावसायिक शिक्षा को शामिल कर दिया जाएगा और इसमें इंटर्नशिप (Internship) की व्यवस्था भी दी जाएगी।
‘राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद’ (National Council of Educational Research and Training- NCERT) द्वारा ‘स्कूली शिक्षा के लिये राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा’ [National Curriculum Frame work for School Education] (NCFSE, 2020-21) तैयार की जाएगी।
NEP-2020 में छात्रों के सीखने की प्रगति की बेहतर जानकारी हेतु नियमित और रचनात्मक आकलन प्रणाली को अपनाने का सुझाव दिया गया है। साथ ही इसमें विश्लेषण तथा तार्किक क्षमता एवं सैद्धांतिक स्पष्टता के आकलन को प्राथमिकता देने का सुझाव दिया गया है।
छात्र कक्षा 3, 5 और 8 के स्तर पर स्कूली परीक्षाओं में भाग लेंगे, जिन्हें उपयुक्त प्राधिकरण द्वारा संचालित किया जाएगा।
छात्रों के समग्र विकास के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए कक्षा-10 और कक्षा-12 की परीक्षाओं में बदलाव किये जाएँगे। इसमें भविष्य में सेमेस्टर या बहुविकल्पीय प्रश्न आदि जैसे सुधारों को शामिल किया जा सकता है।
छात्रों की प्रगति के मूल्यांकन के लिये मानक-निर्धारक निकाय के रूप में ‘परख’ (PARAKH) नामक एक नए ‘राष्ट्रीय आकलन केंद्र’ (National Assessment Centre) की स्थापना की जाएगी।
छात्रों की प्रगति के मूल्यांकन तथा छात्रों को अपने भविष्य से जुड़े निर्णय लेने में सहायता प्रदान करने के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता’ (Artificial Intelligence-AI) आधारित साॅफ्टवेयर का प्रयोग।
शिक्षण प्रणाली से जुड़े सुधारः
शिक्षकों की नियुक्ति में प्रभावी और पारदर्शी प्रक्रिया का पालन तथा समय-समय पर लिये गए कार्य-प्रदर्शन आकलन के आधार पर पदोन्नति।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद वर्ष 2022 तक ‘शिक्षकों के लिये राष्ट्रीय व्यावसायिक मानक’ (National Professional Standards for Teachers-NPST) का विकास किया जाएगा।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा छब्म्त्ज् के परामर्श के आधार पर ‘अध्यापक शिक्षा हेतु राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा’ का विकास किया जाएगा।
नीति यह भी बताती है कि 2030 तक शिक्षक शिक्षा को धीरे-धीरे बहु-विषयक काॅलेजों और विश्वविद्यालयों में स्थानांतरित कर दिया जाएगा। 2030 तक, शिक्षण के लिए न्यूनतम डिग्री योग्यता 4-वर्षीय एकीकृत बी.एड. डिग्री हो जाएगी।
ओपन डिस्टेंस लर्निंग के लिए मान्यता वाले बहु-विषयक उच्च शिक्षा संस्थान भी उच्च-गुणवत्ता वाले बी.एड. मिश्रित या ओपन डिस्टेंस लर्निंग कोर्स करवा सकेंगे।
उच्च शिक्षाः
NEP-2020 के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों में ‘सकल नामांकन अनुपात’ (Gross Enrolment Ratio) को 26.3ः (वर्ष 2018) से बढ़ाकर 50ः तक करने का लक्ष्य रखा गया है, इसके साथ ही देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में 3.5 करोड़ नई सीटों को जोड़ा जाएगा।
NEP-2020 के तहत स्नातक पाठ्यक्रम में महत्त्वपूर्ण सुधार किया गया है। इसके अंतर्गत 3 या 4 वर्ष के स्नातक कार्यक्रम में छात्र कई स्तरों पर पाठ्यक्रम को छोड़ सकेंगे और उन्हें उसी के अनुरूप डिग्री या प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाएगा (जैसे- 1 वर्ष के बाद सर्टिफिकेट, 2 वर्षों के बाद एडवांस डिप्लोमा, 3 वर्षों के बाद स्नातक की डिग्री तथा 4 वर्षों के बाद शोध के साथ स्नातक)।
मल्टिपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम में पहले साल के बाद सर्टिफिकेट, दूसरे साल के बाद डिप्लोमा और तीन-चार साल बाद डिग्री दी जाएगी। 4 साल का डिग्री प्रोग्राम फिर M.A. और उसके बाद बिना M.Phil के सीधा Ph.D. कर सकेगें। नई शिक्षा नीति के तहत एम.फिल. (M.Phil) कार्यक्रम को समाप्त कर दिया गया है।
विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों से प्राप्त अंकों या क्रेडिट को डिजिटल रूप से सुरक्षित रखने के लिये एक ‘एकेडमिक बैंक आफ क्रेडिट’ (Academic Bank of Credit) दिया जाएगा, जिससे अलग-अलग संस्थानों में छात्रों के प्रदर्शन के आधार पर उन्हें डिग्री प्रदान की जा सके।
भारत उच्च शिक्षा आयोग
चिकित्सा एवं कानूनी शिक्षा को छोड़कर पूरे उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिये एक एकल निकाय के रूप में भारत उच्च शिक्षा आयोग (Higher Education Commission of India-HECI) का गठन किया जाएगा।
HECI के कार्यों के प्रभावी और प्रदर्शितापूर्ण निष्पादन के लिये चार संस्थानों/निकायों का निर्धारण किया गया है-
विनियमन हेतु – राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा नियामकीय परिषद् (National Higher Education Regulatory Council- NHERC)
मानक निर्धारण – सामान्य शिक्षा परिषद् (General Education Council-GEC)
वित्त पोषण – उच्चतर शिक्षा अनुदान परिषद् (Higher Education Grants Council-HEGC)
प्रत्यायन – राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद् (National Accreditation Council-NAC)
महाविद्यालयों की संबद्धता 15 वर्षों में समाप्त हो जाएगी और उन्हें क्रमिक स्वायत्तता प्रदान करने के लिये एक चरणबद्ध प्रणाली की स्थापना की जाएगी।
देश में आईआईटी (IIT) और आईआईएम (IIM) के समकक्ष वैश्विक मानकों के ‘बहुविषयक शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय’ (Multidisciplinary Education and Research Universities-MERU) की स्थापना की जाएगी।
अन्य सुधारः
शिक्षा, मूल्यांकन, योजनाओं के निर्माण और प्रशासनिक क्षेत्र में तकनीकी के प्रयोग पर विचारों के स्वतंत्र आदान-प्रदान हेतु ‘राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच’ (National Educational Technology Forum-NETF) नामक एक स्वायत्त निकाय की स्थापना की जाएगी।
नयी शिक्षा नीति में सरकार ने छात्रों के लिए नया पाठ्यक्रम तैयार करने का भी प्रस्ताव रखा है। इसके लिए 3 से 18 साल के छात्रों के लिए 5+3+3+4 का डिजाइन तय किया गया है। इसके तहत छात्रों की शुरुआती फाउंडेशन स्टेज की पढ़ाई के लिए 5 साल का प्रोग्राम तय किया गया है।
इनमें 3 साल प्री-प्राइमरी और क्लास-1 और 2 को जोड़ा गया है। इसके बाद क्लास-3, 4 और 5 को अगले प्रीप्रेटरी स्टेज में रखा गया है। इसके अलावा क्लास-6, 7, 8 को तीन साल के मिडिल स्टेज में रखा गया है। आखिर क्लास-9, 10, 11, 12 को 4 वर्षीय सेकेंडरी स्टेजमें रखा गया है।
लड़कियों की शिक्षा जारी रहे इसके लिए उनको भावनात्मक रूप से सुरक्षित वातावरण देने का सुझाव दिया गया है। कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय का विस्तार 12वीं तक करने का सुझाव नई शिक्षा नीति-2019 के मसौदे में किया गया है।
दर्शना शर्मा