आज के तकनीकी युग में युवा वर्ग जीवन में सफलता की सीढ़ी चढ़ने के लिए लालायित है, लेकिन थोड़ा-सा परिश्रम या फिर कड़ी मेहनत के बावजूद नकारात्मक परिणाम उन्हें पूरी तरह से निराश कर देता है। यही वक्त मानव जीवन का अहम मोड़ होता है, क्योंकि ऐसे समय पर जो व्यक्ति हिम्मत हार कर असफलता को अपनी किस्मत मान लेता है, वो जिंदगी भर सिर्फ दूसरों की सफलता का दर्शक मात्र बन कर रह जाता हैं। मगर अपनी कमियों एवं खामियों को दूर कर सही दिशा में मेहनत करने का मार्ग चुनने और उस पर चलने वाले ही सफलता हासिल करते हैं।
हालांकि ऐसे लोगों की सफलता की इबारत के पीछे कई बार मुंह की खाने (हार) वाली कहानी भी छिपी होती है, क्योंकि जीवन में मिलने वाली अनेक विफलताएं ही व्यक्ति की सफलता का आधार रखती हैं। बस शर्त इतनी है कि व्यक्ति अपनी विफलताओं से सबक ले और दोगुनी ऊर्जा के साथ निर्धारित लक्ष्य की ओर बढ़े। दृढ़ संकल्प और प्रबल इच्छाशक्ति से मंजिल पाने का सफर निरंतर तय करने वालों के सफलता कदम जरूर चूमती है। आज के युवा वर्ग को यह बात हमेशा अपने ध्यान में रखनी चाहिए कि सफलता के आयाम स्थापित करने वाला व्यक्ति कोई भी हो, हम सब को केवल उसकी सफलता नजर आती है, मगर उसके पीछे का कड़ा परिश्रम, लक्ष्य पाने का जुनून और इच्छाओं का त्याग नहीं दिखाई देता।
समाज में अनेक ऐसे उदाहरण है, जिन्हें आज का युवा वर्ग अपना आदर्श मानता है, मगर उनके सफल होने से पहले का संघर्षपूर्ण जीवन जानने तक की कोशिश नहीं की जाती। हां लोगों को नजर आती है, तो सिर्फ उनकी सफलता। एक व्यक्ति ने अपने घर के आँगन में एक पेड़ पर एक तितली का कोया (कोकून) देखा। उसने अगले कुछ दिनों तक प्रतिदिन उसे परखा। एक दिन उस ने कोया के भीतर एक सुंदर इल्ली को देखा। वह डिम्ब में थी। व्यक्ति ने बहुत समय के लिए इल्ली को डिम्ब में संघर्ष करते हुए देखा। प्रतिदिन उसने यह संघर्ष देखा, परंतु जैसे जैसे दिन बीतने लगे इल्ली थोड़ा थोड़ा बाहर आने लगी और उसके शरीर पर पंख आने लगे। कोया बढ़ते हुए डिम्ब के लिए छोटा लगने लगा। उस व्यक्ति से यह संघर्ष देखा ना गया और उसने तितली की सहायता करने का निर्णय किया। उसने कोये को काट कर खोल दिया और तितली आसानी से बाहर आ गई। परंतु वह सीधे भूमि पर गिर गयी। उसके शरीर में सूजन हो गयी और उसके पंख सूख गए। व्यक्ति वहाँ बैठे तितली को देखने लगा और यह आशा करने लगा कि वह उड़ने लगेगी, परंतु ऐसा कभी नहीं हुआ। वह अपने फूले हुए शरीर के साथ असहाय होकर चारों ओर रेंगने लगी। उस के पंख पूरी तरह से विकसित नहीं हुए थे और इसलिए वह कभी उड़ नहीं सकी। कुछ समय के उपरांत उसकी मृत्यु हो गयी। उस व्यक्ति ने जिसे संघर्ष समझा वह वास्तव में तितली को तैयार करने का प्रकृति का मार्ग था।
हमारे संघर्ष ही हमारे व्यक्तित्व को रूप प्रदान करते हैं। प्रकृति का विकास चुनौतियों द्वारा हुआ है। प्रकृति आप को भी आप की क्षमता के आधार पर लगातार चुनौतियां देगी। आप उन चुनौतियों के परिमाण को कम नहीं कर सकते हैं। यदि आप में कोई क्षमता है तो प्रकृति उसे बाहर लेकर ही आयेगी। हम ब्रह्मांड के सबसे मुख्य व्यक्ति नहीं हैं, केवल प्रकृति की भव्य योजना के एक छोटे से तत्व हैं। परंतु हाँ उन चुनौतियों की प्रबलता, आवृत्ति एवं संख्या को कम कर सकते हैं। यदि सरलता का जीवन जिएंगे तो प्रतिकूल परिस्थितियों को संघर्ष कभी नहीं मानेंगे। मैं यह नहीं कह रहा कि आप हर चुनौती को एक अवसर मान कर स्वीकार करेंगे। परंतु आप चुनौती द्वारा विचलित भी नहीं होंगे।
जीवन एक सीधी सड़क हो सकती है, परंतु बिना ऊबड़ खाबड़ के नहीं। यात्रा के कुछ पहलू सहज हो सकते हैं, परंतु आप को जागरूक एवं सतर्क रखने के लिए यह अस्त व्यस्त भी होगी। आप यात्रा का आनंद लें। कल्पना करें कि आप सड़क के किनारे खड़े हैं और जीवन के क्षण तीव्र यातायात के समान गुजर रहे हैं। जीवन किसी के लिए रुकता नहीं है। यह किसी की आलोचना या प्रशंसा सुनने के लिए ठहरता नहीं है। हमारी पृथ्वी या अन्य ग्रह एक पल के लिए भी घूर्णन या परिभ्रमण करना रोकते नहीं हैं अथवा उनका अस्तित्व ही समाप्त हो सकता है। प्रकृति की यह जटिल, अन्योन्याश्रित एवं आकर्षक प्रणाली कभी रुकती नहीं है। जीवन कभी ठहर जाए यह संभव ही नहीं।
जीवन बुलबुले के समान है – वास्तविक एवं अनित्य। इस से पहले कि यह नष्ट हो जाए, इस का सम्पूर्ण आनंद लें। यदि आप इस का आनंद लेना चाहते हैं, तो आप को इसके उतार चढ़ाव का साहसपूर्वक सामना करना होगा।