असफलता के डर को मन से निकाल
व्यक्ति सफलता पाने के लिए क्या कुछ नहीं करता, लेकिन उसके मन में असफल होने का एक डर होता है, उसके मन में बार-बार ऐसे ही खयाल आते रहते हैं कि ‘‘यदि असफल हो गये तो आगे क्या होगा! सब हँसेंगे, लोग क्या कहेंगे।’’
कई बार तो हम इसी वजह से कोई कदम नहीं उठा पाते। हमारे मन में असफलता का डर इस कदर बैठ गया होता है कि हम न तो अवसर का लाभ उठा पाते हैं और न एक कदम बढाकर अपनी मंजिल की तरफ बढ़ पाते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपने आईडिया पर विश्वास न करें, फेलियर के डर से ही चुपचाप बैठे रहें और अपने सपनों का गला घोटकर मार डालें! असफलता के डर को मन से निकालकर हम तेजी से आगे बढ़ सकते हैं।
डर के आगे जीत है
हमें कोई काम शुरू करने से पहले अपने अन्दर के डर को खत्म करना होगा, डर से जीतना होगा और यह तभी संभव हो पाएगा जब हम एक स्टेप लेंगे३ धीरे-धीरे कदम बढ़ाते जाएँगे.. हमें यह नहीं सोचना कि हम फेल होंगे या पास३
बस हमें अपना सर्वश्रेष्ठ देना है.. डर को एकदम से खत्म करना संभव नहीं है लेकिन किसी काम की शुरुआत करके ही आप अपने डर को खत्म कर सकते हैं। यदि आपने आज नहीं किया, डरकर बैठे रहे, तो जिंदगी भर आप आम बनकर ही रहकर जाएँगे, यदि आपको आम से खास बनना है तो इस बात को याद रखना ही होगा कि डर के आगे जीत है। असफलता का डर, आपको भाग्य के भरोसे बैठे रहना सिखा सकता है लेकिन यदि आपने आगे बढ़कर शुरुआत ही नहीं की तब कुछ सालों बाद जब आप पीछे मुड़ेंगे तब खुद को वहीं पाएँगे जहाँ अभी आप हैं।
कोशिश
कोई व्यक्ति इसलिए सफल हो पाता है क्योंकि वह बार-बार कोशिशें करता है। वो इस बात को बखूबी जानता है कि यदि आज उसनें कोशिश नहीं की तो जिंदगी भर असफलता का डर उससे चिपक जाएगा और वह कभी भी अपने सपनों की जिंदगी नहीं जी पाएगा। मरते दम तक कोशिश कीजिए, आप बार-बार असफल हो सकते हैं लेकिन इसका मतलब यह बिलकुल नहीं है कि आप कभी सफल नहीं हो पाएँगे। अपनी असफलता के कारणों का चिन्तन कर हमें कोशिशें जारी रखनी है, फेल होने का अर्थ जीवन का अंत नहीं है, असफल होने के डर की वजह से ही हम कोशिश बंद कर देते हैं और प्रयास नहीं करते, मंजिल के करीब पहुँचकर ही बहुत लोग पीछे हट जाते हैं और कोशिश नहीं करते३ कोशिश करते जाएँ और मंजिल तक पहुँचकर ही दम लें।
कुछ तो लोग कहेंगे
कई लोग बार-बार यही सोचते रहते हैं कि यदि हम असफल हो गये तब लोग क्या कहेंगे? समाज क्या कहेगा? हमारे बारे में सब तरफ तरह-तरह की बातें होंगी। आपकी लाइफ में चाहे आप फेल हों या पास, लोग किसी न किसी तरह से निशाना बनाकर आपके बारे में बात करेंगे ही.. हमें बेकार की बातों को दिमाग से निकालना होगा। यदि हम उनकी बातों को पकड़कर बैठ गये तो जीवन में कभी भी बड़ी सफलता पाना संभव नहीं। जितने भी लोग महान हुए हैं, या जिन्होंने बड़ी से बड़ी सफलताएँ पाई हैं उन्होंने कभी भी यह नहीं देखा कि लोग क्या कहेंगे! उन्होंने बस अपनें काम पर फोकस किया है, आपको बस अपने काम के बारे में सोचना है, और आगे बढ़ते जाना है३ एक दिन आएगा जब पूरी दुनिया आपको सलाम करेगी एवम् चडुँ ओर आपका मिसाल देगी।
विश्वास
याद करें अपने बचपन को, जब हम छोटे बच्चे थे तो बड़े से बड़े पेड़ पर भी आसानी से चढ़ जाया करते थे। उस समय हमारे अन्दर विश्वास की कोई कमी नहीं थी। हमें किसी तरह की असफलता का डर नहीं होता था, हम जैसा करना चाहते थे वैसा कर देते थे। लेकिन बचपन का वह विश्वास अब शंकाओं में ही बदल कर रह गया, अब कुछ भी करने से पहले हम सफलता के बारे में सोचने लगते हैं और सफल होंगे या नहीं। इसलिए सफलता और असफलता के बीच हम बस जूझते रहते हैं और खुद पर विश्वास नहीं करते। इसी वजह से हम ज्यादा दूर तक नहीं जा पाते। सबसे पहले हमें खुद पर भरोसा करना होगा, बचपन में कैसे हम बिना डरे जो करना होता था कर देते थे३ उसी बचपन को हमें अपनी लाइफ में आज फिर से फिट करना है, विश्वास के दम पर हम दुनिया जीत सकते हैं.. बस हमें खुद पर भरोसा करना है और असफलता के डर को पीछे छोड़ देना है।
तरुण शर्मा