समय को यदि हम और विस्तृत रूप में समझें तो कह सकते हैं कि समय ही विश्व का निर्माता और विनाशक है। यह सदैव गतिमान है। किसी विशेष व्यक्ति के लिए यह कभी नहीं रुकता है। उसकी यह शाश्वत प्रकृति इस सृष्टि के आदि से है और भविष्य में भी शाश्वत बनी रहेगी। कितने ही महापुरुष महामानव होते चले गए, परंतु समय फिर भी चलता रहा वह कभी नहीं रुका। जो लोग समय के साथ चलते हैं, वे जीवन में अपने पदचिन्ह छोड़ जाते हैं और सम्पूर्ण विश्व उनका अनुकरण करता है। परंतु वे सभी लोग जो समय के महत्व को नहीं समझ सके अथवा समय के साथ न चल सके वे लुप्तप्राय हो गए।
समय-चक्र गतिमान है, उसके साथ चलें तो श्रेयस्कर और यदि पिछड़ गए तो जीवन को आप केवल ढोएंगे, उसे जी नहीं पाएंगे। समय प्रबंधन का अर्थ है- प्रकृति द्वारा प्रदत्त महनीय अवसरों का लाभ उठाकर अपनी अनन्तता को उजागर करना। अतः जीवन की दिव्यता, परिपूर्णता और वैशिष्ट्य के लिए समय का सदुपयोग अत्यन्त आवश्यक है। प्रतिस्पर्धा के आधुनिक युग में तो समय की महत्ता और भी बढ़ गई है। आज समय गँवाने का अर्थ है- प्रगति की राह में स्वयं को पीछे धकेलना। अगर जीने की ललक है तो फिर समय के साथ सामंजस्य बिठाइए और आशातीत सफलता प्राप्त कीजिए। प्रत्येक क्षण महत्वपूर्ण है, क्योंकि जो पल एक बार गुजर जाते हैं वे कभी भी वापस नहीं लौटते।
विद्यार्थी जीवन में समय की उपयोगिता तो और भी बढ़ जाती है, क्योंकि यह वह समय है जब मनुष्य के चरित्र का निर्माण होता है। वे सभी छात्र-छात्राएँ जो विद्यार्थी जीवन में समय के महत्व को समझते हुए इसका पूर्ण रूप से उपयोग करते हैं तथा लगन और परिश्रमपूर्वक शिक्षा ग्रहण करते हैं, वे ही बड़े होकर ऊँचे व महत्वपूर्ण पदों पर पदासीन होते हैं। परंतु वे विद्यार्थीगण जो कुसंगति में अपना समय नष्ट करते हैं, वे जीवन पर्यन्त अपनी छोटी-छोटी जरूरतों के लिए भी जूझते रहते हैं।
जीवन में समय के सदुपयोग के लिए इसके महत्व को समझने के अतिरिक्त यह भी आवश्यक है कि हम अपने कार्य की प्राथमिकताओं के आधार पर अपने समय को बुद्धिमत्ता से विभाजित कर लें ताकि कार्य की महत्ता के अनुसार हम अपने सभी कार्यो को उचित समय दे सकें। निरंतर कार्य भी हमें शारीरिक व मानसिक रूप से थका देता है। इसलिए यह आवश्यक है कि उचित अंतराल के बाद हम विश्राम लेते रहें तथा मनोरंजन आदि के लिए भी समय निकालें जिससे हम पुनः स्फूर्तिवान, प्रसन्नचित्त एवं सक्रिय हो सकें। महापुरुष अपने मिनट-मिनट के समय का हिसाब रखते हैं, साथ-साथ वे कुछ समय आराम के लिए भी निकालते हैं। अतः उचित आराम को समय का दुरुपयोग नहीं कहा जा सकता।
समय के मूल्य को पहचानना ही समय का सदुपयोग है। बीता हुआ समय कभी लौट कर नहीं आता। समय किसी का दास नहीं हैं। वह अपनी गति से चलता है। समय ही सबका संचालन करता है। समय का महत्व न पहचानने वाला व्यक्ति अपने ही भाग्य को ठोकर मारता है। ईश्वर ने जितना समय हमें दिया है उसमें एक क्षण की भी वृद्धि होना असम्भव है। जिस राष्ट्र के व्यक्ति समय के मूल्य को समझते हैं, वही समृद्धिशाली होता है। समय का सदुपयोग करके निर्धन धनवान, निर्बल सबल और मूर्ख विद्वान बन सकता है। समय का मूल्यांकन करके हम समय का सदुपयोग करें तो सफलता निश्चित रूप से मिल सकती है।
अतः हमारा यह कर्तव्य है कि हम अपने समय का सदुपयोग करें और प्रत्येक कार्य का समय निर्धारित करें। जीवन का प्रत्येक क्षण अनमोल है, इस बात को अपने हृदय में अंकित कर लें। ऐसी स्थिति में सफलता सदैव आपके कदम चूमेगी। प्रकृति ने किसी को भी अमीर गरीब नही बनाया, उसने अपनी बहुमूल्य संपदा यानि की चैबीस घंटे सभी को बराबर बाँटे हैं। मनुष्य कितना ही परिश्रमी क्यों न हो, परन्तु समय पर कार्य न करने से उसका श्रम व्यर्थ चला जाता है। वक्त पर न काटी गई फसल नष्ट हो जाती है। असमय बोया बीज बेकार चला जाता है।
जीवन का प्रत्येक क्षण एक उज्ज्वल भविष्य की संभावना लेकर आता है। क्या पता जिस क्षण को हम व्यर्थ समझ कर बरबाद कर रहे हैं वही पल हमारे लिए सौभाग्य व सफलता का क्षण हो। इसलिए आने वाला हर पल आकाश कुसुम की तरह है, इसकी सुवास से स्वयं को सराबोर कर लेना चाहिए, इसी में जीवन की सार्थकता है …।