श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट अयोध्या में भव्य मंदिर के निर्माण के लिए जन संपर्क और योगदान अभियान चला रहा है, जो 27 फरवरी (माघ पूर्णिमा) तक चलेगा। अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए दान राशि एकत्रित करने के अभियान का प्रारंभ 15 जनवरी से हुआ था। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास ने मंदिर निर्माण के लिए धन एकत्रित करने के लिए विहिप को अधिकृत किया है। अभियान का शुभारम्भ देश के प्रथम नागरिक राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंदिर निर्माण के लिए 5,00,100 रुपये दान देकर किया।
सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया। सिर्फ एक धारणा नहीं है। यह मूर्त रूप ले सके, इसके लिए व्यवस्था भी बनाई गई है। दान उसी व्यवस्था का एक हिस्सा है। कहा जाता है कि बाँटने से दुख घटते हैं, जबकि सुख बढ़ते हैं। दान सुख की साझेदारी का माध्यम है। अगर रूढ़ियों से मुक्त होकर दान की सच्ची अवधारणा को समझा और उस पर अमल किया जा सके तो यह मनुष्यता के समग्र कल्याण का माध्यम बन सकता है।
अन्नदान, वस्त्रदान, विद्यादान, अभयदान और धनदान, ये सारे दान इंसान को पुण्य का भागी बनाते हैं। किसी भी वस्तु का दान करने से मन को सांसारिक आसक्ति यानी मोह से छुटकारा मिलता है। हर तरह के लगाव और भाव को छोड़ने की शुरुआत दान और क्षमा से ही होती है।
हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत दोनों में ही दान एक परंपरा के रूप में स्थापित है, जिसकी बड़ी महिमा बताई गई है। माना गया है कि सहृदयता और सहायता करने की सोच के साथ किसी जरूरतमंद को कुछ देने का ही अर्थ दान है। अपनी वस्तु पर से अधिकार हटाकर, जिसको दिया जा रहा है उसे उसका स्वामी बना देना, दान कहलाता है। यह अधिकार अगर किसी सुपात्र के हिस्से आता है तो देने वाले के मन को संतोष मिलता है और समाज के लिए भी हितकारी सिद्ध होता है। भारतीय परंपरा में दान को कर्तव्य और धर्म दोनों ही माना जाता है। यही कारण है कि दान की महिमा को हमारी सभ्यता में बड़े ही धार्मिक और सात्विक रूप में स्वीकार किया गया है। इसे बहुत कल्याणकारी कर्म माना गया है।
सभी मत – पंथों में जप, तप, दान और यज्ञ का बड़ा महत्व माना गया है। ग्रहों का दान, गोदान, कन्या दान, सोना-चाँदी, खाने-पीने की वस्तुएँ तथा दवा-औषधि आदि का दान बहुत ही लाभदायी और महापुण्यकारी माना गया है।
व्यक्ति को सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि दूसरों के लिए भी जीना चाहिए। जरूरतमंद व्यक्तियों को मदद प्रदान करने वाला व्यक्ति समाज में सम्मान प्राप्त करता है। इसीलिए शास्त्रों में दान देने की परंपरा को उत्तम बताते हुए मनुष्य के लिए इसे श्रेष्ठ गुण बताया है। दान करने से व्यक्ति श्रेष्ठ बनता है। दान करने वाले व्यक्ति की ईश्वर भी मदद करते हैं और देवी-देवता दानवीरों पर अपनी कृपा बनाकर रखते हैं। दान करने वाला व्यक्ति अहंकार से मुक्त हो जाता है। क्योंकि दान का पूर्ण लाभ तभी मिलता है जब व्यक्ति अहंकार से दूर रहता है। अहंकारी व्यक्ति दान-पुण्य के कार्यों से दूर रहता है। दिखावे के लिए जो ऐसा करता भी है तो उसे दान का पुण्य प्राप्त नहीं होता है। इसलिए दान पूरे मन और श्रद्धा से करना चाहिए, तभी इसका लाभ मिलता है।
वर्तमान में भी दान करने का ऐसा ही एक शुभ प्रसंग चल रहा है। श्रीराम मंदिर बनने की तैयारियों से राम भक्त उत्साहित हैं। मंदिर निर्माण के लिए लोग अपनी श्रद्धानुसार दान दे रहे हैं। राम मंदिर को लेकर देश में कितनी उत्सुकता है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मंदिर निर्माण के लिए प्रारंभ के तीन दिनों में ही 250 करोड़ का दान मिल चुका है। अगर आप श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र को मन्दिर निर्माण के लिए दान दे रहे हैं तो आपको तुरंत ही एक रसीद दी जाएगी। इसके अलावा, अगर आप आॅनलाइन पेमेंट की मदद से दान दे रहे हैं तो आपको आपकी ई-मेल आईडी पर जनरेटेड रसीद मिल जाएगी। बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करने वाले लोग आॅफिशियल वेबसाइट से रसीद ले सकते हैं।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव श्री चंपत राय ने विश्वास व्यक्त किया है कि जिस प्रकार जन्मभूमि को प्राप्त करने के लिये लाखों भक्तों ने कष्ट सहे, सतत सक्रिय रहे, सहयोग किया, उसी प्रकार करोड़ों लोगों के स्वैच्छिक सहयोग से मन्दिर बने। स्वाभाविक है जब जनसंपर्क होगा लाखों कार्यकर्ता गाँव और मोहल्लों में जाएँगे तो समाज स्वेच्छा से कुछ न कुछ निधि समर्पण करेगा । भगवान का काम है, मन्दिर भगवान का घर है, भगवान के कार्य में धन बाधा नहीं हो सकता , समाज का समर्पण कार्यकर्ता स्वीकार करेंगे, आर्थिक विषय में पारदर्शिता बहुत आवश्यक है, पारदर्शिता बनाए रखने के लिए हमने दस रुपया , सौ रुपया , एक हजार रुपया के कूपन व रसीदें छापी हैं। समाज जैसा देगा उसी के अनुरूप कार्यकर्ता कूपन या रसीद देंगे। करोड़ों घरों में भगवान के मंदिर का चित्र पहुँचेगा।जनसंपर्क का यह कार्य मकर संक्रांति से प्रारंभ करेंगे और माघ पूर्णिमा तक पूर्ण होगा। लाखों रामभक्त इस ऐतिहासिक अभियान के लिये अपना पूर्ण समय समर्पित करें, यह निवेदन है।