किसी दुकानदार या कंपनी द्वारा किये गए किसी भी शोषण या धोखाधड़ी के खिलाफ आवाज उठाने का उपयुक्त मंच है- उपभोक्ता अदालत।उपभोक्ता अदालत में केस दर्ज करने की प्रक्रिया इस प्रकार हैः
क्र.सं. | फोरम | धनराशि |
1. | जिला मंच | 20 लाख रुपये तक का केस |
2. | राज्य आयोग | 20 लाख से 1 करोड़ तक का केस |
3. | राष्ट्रीय आयोग | 1 करोड़ से अधिक का केस |
चरण 1ः पहले फोरम के न्यायक्षेत्र की पहचान करें, जहाँ शिकायत दर्ज की जानी है। इसका निर्धारण करने के दो तरीके हैंः-
- वस्तु या सेवा प्रदाता की दुकान या सेंटर किस क्षेत्र में है।
- वस्तु या सेवा की कीमत कितनी है।
चरण 2ः आपको अपने केस के अनुसार, जिला फोरम, राज्य आयोग और राष्ट्रीय आयोग के समक्ष अपनी शिकायत के साथ एक निर्धारित शुल्क का भुगतान करना होगा।
चरण 3ः इसके बाद आपको अपनी शिकायत का ड्राफ्ट तैयार करना होगा जिसमें यह बताना जरूरी होगा कि आप केस क्यों दाखिल करना चाहते हैं।
चरण 4ः इस शिकायत में बताएँ कि मामला इस मंच या फोरम के क्षेत्राधिकार में कैसे आता है।
चरण 5ः शिकायत पत्र के अंत में आपको अपने हस्ताक्षर करने जरूरी हैं। यदि आप किसी अन्य व्यक्ति में माध्यम से शिकायत दर्ज कराना चाहते हैं तो शिकायत पत्र के साथ एक प्राधिकरण पत्र (ंनजीवतपेंजपवद समजजमत) लगाना होगा।
चरण 6: शिकायतकर्ता का नाम, पता, शिकायत का विषय, विपक्षी पक्ष या पार्टियों के नाम, उत्पाद का विवरण, पता, क्षति पूर्ति राशि का दावा इत्यादि का उल्लेख करना ना भूलें।
चरण 7ः अपने आरोपों का समर्थन करने वाले सभी दस्तावेजों की प्रतियाँ, जैसे खरीदे गए सामानों के बिल, वाॅरंटी और गारंटी दस्तावेजों की फोटोकाॅपी, कम्पनी या व्यापारी को की गयी लिखित शिकायत की एक प्रति और उत्पाद को सुधारने का अनुरोध करने के लिए व्यापारी को भेजे गए नोटिस की काॅपी भी लगा सकते हैं।
चरण 8ः आप अपनी शिकायत में क्षतिपूर्ति के अलावा, धनवापसी, मुकदमेबाजी में आई लागत और ब्याज, उत्पाद की टूट-फूट और मरम्मत में आने वाली लागत का पूरा खर्चा मांग सकते हैं। आप इन सभी खर्चों को अलग-अलग मदों के रूप में लिखना ना भूलें और कुल मुआवजा शिकायत फोरम की केटेगरी के हिसाब से ही मांगें।
चरण 9: अधिनियम में शिकायत करने की अवधि घटना घटने के बाद से 2 साल तक है, अगर शिकायत दाखिल करने में देरी हो, तो कृपया देरी की व्याख्या करें जो कि ट्रिब्यूनल द्वारा स्वीकार की जा सकती है।
चरण 10: आपको शिकायत के साथ एक हलफनामा दर्ज करने की भी आवश्यकता है कि शिकायत में बताए गए तथ्य सही हैं।
चरण 11: शिकायतकर्ता किसी भी वकील के बिना, किसी व्यक्ति या उसके अपने अधिकृत प्रतिनिधि द्वारा शिकायत पेश कर सकता है। शिकायत पंजीकृत डाक द्वारा भेजी जा सकती है। शिकायत की कम से कम 5 प्रतियों को फोरम में दाखिल करना है। इसके अलावा आपको विपरीत पक्ष के लिए अतिरिक्त प्रतियाँ भी जमा करनी होंगी।
आजकल उपभोक्तावाद के जमाने में भी ‘‘उपभोक्ता राजा होता है’’ वाली कहावत चरितार्थ करने के लिए सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 बनाया है ताकि उपभोक्ता के हितों की रक्षा की जा सके।
आशा है कि ऊपर दिए गए चरणों की मदद से आप किसी दुकानदार या कंपनी द्वारा किये गए किसी भी शोषण या धोखाधड़ी के खिलाफ आवाज उठाकर अपने अधिकारों की रक्षा कर सकेंगे।
गोपाल पालीवाल