समुत्कर्ष समिति द्वारा ‘‘गणतंत्र की महत्ता’’ विषय पर 82 वीं समुत्कर्ष विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। समुत्कर्ष समिति के समाज जागरण के प्रकल्प ऑनलाइन समुत्कर्ष विचार गोष्ठी में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती पर उनका पुण्य स्मरण कर अपने विचार रखते हुए सभी वक्ताओं का कहना था कि गण मतलब जनता और तंत्र मतलब शासन या प्रणाली। इसका शाब्दिक अर्थ हुआ, जनता द्वारा चलाये जाने वाला शासन या प्रणाली। हमारा देश 26 जनवरी 1950 से गणतंत्र देश घोषित हुआ। संविधान को लागू करने के लिए 26 जनवरी का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि इसी दिन 1930 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत को पूर्ण स्वराज घोषित किया था। इसके होते ही हमारा देश लोकतंत्रात्मक सम्प्रभुता-सम्पन्न, धर्म- निरपेक्ष, सामाजिक और न्यायवादी देश बन गया। इस साल पूरा देश 72 वां गणतंत्र दिवस मना रहा है।
विषय का प्रवर्तन और मंगलाचरण करते हुए समुत्कर्ष पत्रिका के संपादक वैद्य रामेश्वर प्रसाद शर्मा ने कहा कि भारत के आजाद होने के बाद संविधान सभा का गठन हुआ था। एक स्वतंत्र गणराज्य बनने के लिए विविधताओं से भरे दुनिया के अपनी तरह का अनूठे संविधान को 26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा अपनाया गया। डाॅ. भीमराव अम्बेडकर, जवाहरलाल नेहरू, डाॅ राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि इस सभा के प्रमुख सदस्य थे। संविधान सभा ने अपना काम 9 दिसंबर 1946 से शुरू किया। दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान 2 साल, 11 माह, 18 दिन में तैयार हुआ और संविधान सभा के अध्यक्ष डाॅराजेन्द्र प्रसाद को 26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान सौंपा गया, इसलिए 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में प्रति वर्ष मनाया जाता है।
शिक्षाविद् दर्शना शर्मा का कहना था कि सन् 1950 में 26 जनवरी को ही भारत सरकार अधिनियम को हटाकर भारत का संविधान लागू किया गया था। लोकतंत्र में जहाँ जनता के बहुमत को सर्वोपरि माना जाता है वहीँ गणतंत्र में शासन व्यवस्था का आधार संविधान होता है। सरकारें बहुमत होने के बावजूद कानून के आधार पर ही निर्णय लेती हैं। अतः इस प्रणाली में प्रत्येक नागरिक के अधिकार सुरक्षित होते हैं। साथ ही अत्यंत गर्व का विषय है कि भारत निरंतर विश्व पटल पर सशक्त रूप में उभरता जा रहा है।
अपनी बात रखते हुए साहित्यकार तरुण कुमार दाधीच ने कहा कि गणतंत्र दिवस, भारत का राष्ट्रीय त्यौहार है इस दिन राजपथ, नई दिल्ली पर एक विशेष परेड का आयोजन किया जाता है, जो कि राष्ट्रपति भवन, राजपथ से होते हुए इंडिया गेट को जाती है। इस अवसर पर राष्ट्रपति द्वारा विशेष सम्मान जैसे अशोक चक्र और कीर्ति चक्र दिए जाते हैं और बहादुरी पुरस्कार भी दिए जाते हैं। जिन बच्चों को राष्ट्रीय बहादुरी पुरस्कार दिए जाते हैं, उन्हें परेड में हाथी पर बिठाकर सम्मान दिया जाता है।
सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक बालमुकुन्द मंडोवरा ने बताया कि गण अर्थात जनता, और तंत्र मतलब होता हैदृ शासन। गणतंत्र या लोकतंत्र का शाब्दिक अर्थ हुआ, जनता का शासन। ऐसा देश या राज्य जहाँ जनता अपना प्रतिनिधि चुनती है। ऐसे राष्ट्र को लोकतांत्रिक गणराज्य की संज्ञा दी गयी है। ऐसी व्यवस्था हमारे देश में है। इसीलिए हमारा देश एक लोकतांत्रिक गणराज्य कहलाता है।
इस अवसर पर रश्मि मेहता, चन्द्रकान्ता बंसल, मंगल जैन, सन्दीप आमेटा, हरिदत्त शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। समुत्कर्ष पत्रिका के उपसंपादक गोविन्द शर्मा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए आभार प्रदर्शन किया। संचालन शिक्षाविद् शिवशंकर खण्डेलवाल ने किया।
इस ऑनलाइन विचार गोष्ठी में गौरव नागर, डाॅ. रेखराज मीणा, गीता कुंवर, रोमा चंदेल, सीमा गुप्ता, वीणा जोशी, गोपाल लाल माली, दर्शना व्यास, लोकेश जोशी राजेश गोराणा और अशोक पाटीदार भी सम्मिलित हुए।
शिवशंकर खण्डेलवाल